Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Breakng
    • चरस तस्कर को दस साल का कठोर कारावास व एक लाख रुपए जुर्माना की सजा
    • डीएवीएन पब्लिक स्कूल ददाहू में रेड क्रास डे पर प्रधानाचार्य ने प्रकाश डाला
    • पाकिस्तान द्वारा साइबर हमलों के प्रयासों में वृद्धि को देखते हुए हिमाचल पुलिस ने नागरिकों को सर्तक रहने का आग्रह किया।
    • उद्योग मंत्री पांवटा साहिब के राजपुरा में 13 मई को करेंगे ‘‘सरकार गांव के द्वार‘‘ कार्यक्रम की अध्यक्षता
    • डीएवीएन पब्लिक स्कूल ददाहू में रेस प्रतियोगिता का आयोजन
    • बिजली उपभोक्ता तुरंत बिल‌ जमा कराए नहीं तो कनेक्शन कटे गा
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Himachal Varta
    • होम पेज
    • हिमाचल प्रदेश
      • शिमला
      • सिरमौर
      • ऊना
      • चंबा
      • लाहौल स्पीति
      • बिलासपुर
      • मंडी
      • सोलन
      • कुल्लू
      • हमीरपुर
      • किन्नोर
      • कांगड़ा
    • खेल
    • स्वास्थ्य
    • चण्डीगढ़
    • क्राइम
    • दुर्घटनाएं
    • पंजाब
    • आस्था
    • देश
    • हरियाणा
    • राजनैतिक
    Friday, May 9
    Himachal Varta
    Home»ताजा समाचार»हिमाचल मैं सरकारी स्कूलों के शिक्षक नहीं पड़ना चाहते अंग्रेजी
    ताजा समाचार

    हिमाचल मैं सरकारी स्कूलों के शिक्षक नहीं पड़ना चाहते अंग्रेजी

    By adminawJune 3, 2019
    Facebook WhatsApp

    शिमला: अंग्रेजी आज विश्व की मुख्य भाषा है और इस आधुनिक तकनीकी युग में अंग्रेजी भाषा पर पकड़ होना समय की मुख्य जरूरत है | कहते है कि जो समय के साथ चलते हैं वही कामयाब होते है या कहे कि उन्हें कामयाब होना आ जाता है | लेकिन सरकारी स्कूलों में जहां पढ़ाई मुफ्त है कि तुलना में अभिभावक अपने बच्चों का वर्तमान भविष्य सुधारने के लिए उन्हें अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने के लिए प्राथमिकता देते हैं | यही वजह है कि नामी-गिरामी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलवाने के लिए तो पैसे की भी परवाह नहीं करते |

    सरकारें चाहे किसी पार्टी या गठबंधन की हो इस सच्चाई से अवगत है कि जैसे रुपयों पर गांधी जी की तस्वीर जरूरी है और स्वच्छ भारत अभियान में गांधी जी का चश्मा ठीक ऐसे ही बच्चों की शिक्षा में अंग्रेजी भी जरूरी है | आज अभिभावकों पर बच्चों को अंग्रेजी में शिक्षित करने या कहे इस विदेशी भाषा के माध्यम से पढ़ाना चाहते है | लेकिन हिमाचल के सरकारी स्कूल खासकर प्राथमिक विद्यालयों में जोकि शिक्षा की बुनियाद है पढ़ने लिखने या सिखाने की पहली सीडी है इनमें बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने या इस भाषा के माध्यम से पढ़ाने लिखाने की कोई व्यवस्था नहीं है जबकि अभिभावक इसकी मांग काफी समय से करते आ रहे हैं |

    बताया जाता है कि शिक्षक साफ मना कर देते हैं कि उनके यहां अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने की सुविधा नहीं है और ना ही सरकारी स्तर से ऐसे निर्देश है कहां तो यहां तक जा रहा है की सरकारी स्कूलों के शिक्षक अंग्रेजी जानते ही नहीं इसलिए इस अनिवार्य होते जा रहे अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को शिक्षित नहीं किया जा रहा है यह अलग बात है की सरकारी शिक्षक खुद अपने बच्चों को ऐसे निजी स्कूलों में ही पढ़ा रहे हैं |

    प्राइमरी स्तर पर भी 35 से 40 हजार मासिक से ऊपर वेतन है लेकिन उसके बाद भी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की चांदी ही चांदी है इसके विपरीत सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद घटने में लगी है राज्य में ऐसे सरकारी स्कूल बहुत है जिनमें छात्रों की संख्या नाममात्र है शिक्षक टाइमपास के लिए आते हैं और अधिकतर वक्त मोबाइल पर बातें करने या जो दिल करे कहें वह देखने सुनने में व्यतीत करने में मस्त है लोगों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में भी निचले स्तर से ही बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित करने की वैसी ही सुविधा होनी चाहिए जिस प्रकार कि निजी स्कूलों में है लेकिन जिला सिरमौर के ददाहु प्राथमिक पाठशाला व माध्यमिक कन्या स्कूलों में शिक्षकों ने मध्यम अंग्रेजी से पढ़ाने से बिल्कुल इंकार कर दिया गया है | जबकि शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों से भी इस विषय में बात की गई व पत्राचार किया गया लेकिन शिक्षक अपनी जिद पर अड़े हैं और बच्चों को माध्यम अंग्रेजी से पढ़ाने से साफ इंकार कर रहे हैं जबकि अभिभावक बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाना चाहते थे परंतु शिक्षकों के साफ इनकार करने के बाद अभिभावकों को मजबूरी में अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिल करवाना पड़ा इन बातों से ऐसा लगता है की विभाग व सरकार भी शिक्षकों से डरी हुई लगती है यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में सरकारी स्कूलों में बच्चे देखने को भी नहीं मिलेंगे और अभिभावक अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए निजी स्कूलों में लूटते रहेंगे |

    अभी वे अभिभावक हताश निराश है कुछ अभिभावकों का कहना है की शिक्षा पर सिर्फ पैसे वालों का ही एकाधिकार नहीं होना चाहिए सरकार को अपने स्कूल इस लायक बनाने होंगे कि निजी स्कूलों की पढ़ाई लिखाई में कोई खास अंतर न दिखे कुछ लोगों का यह भी कहना है कि सरकारी शिक्षक आखिर मोटी तनख्वाह किस योग्यता की पाते हैं यदि वह माध्यम अंग्रेजी मैं छोटे-छोटे बच्चों को भी नहीं पढ़ा सकते या उन्हें अंग्रेजी नहीं आती तो सरकार को अंग्रेजी के साथ ही कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं बच्चों के बेहतर भविष्य बनाया जा सके | सरकारी स्कूलों में शिक्षा का हाल है यह है कि लगता है यह बच्चों को पढ़ाने लिखाने के लिए नहीं बल्कि उनमें नियुक्त शिक्षकों को मोटी तनख्वाह देने के लिए खोले गए हैं क्योंकि बड़ी दुर्भाग्य की बात है कि सरकारी स्कूलों के ज्यादातर बच्चे हिंदी भी सही ढंग से नहीं पढ़ लिख सकते टीचर क्लास में पढ़ाने की बजाए ज्यादातर मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं

    Follow on Google News Follow on Facebook
    Share. Facebook Twitter Email WhatsApp


    Demo

    Recent
    • चरस तस्कर को दस साल का कठोर कारावास व एक लाख रुपए जुर्माना की सजा
    • डीएवीएन पब्लिक स्कूल ददाहू में रेड क्रास डे पर प्रधानाचार्य ने प्रकाश डाला
    • पाकिस्तान द्वारा साइबर हमलों के प्रयासों में वृद्धि को देखते हुए हिमाचल पुलिस ने नागरिकों को सर्तक रहने का आग्रह किया।
    • उद्योग मंत्री पांवटा साहिब के राजपुरा में 13 मई को करेंगे ‘‘सरकार गांव के द्वार‘‘ कार्यक्रम की अध्यक्षता
    • डीएवीएन पब्लिक स्कूल ददाहू में रेस प्रतियोगिता का आयोजन
    Recent Comments
    • Sandeep Sharma on केन्द्र ने हिमालयी राज्यों को पुनः 90ः10 अनुपात में धन उपलब्ध करवाने की मांग को स्वीकार किया
    • Sajan Aggarwal on ददाहू मैं बिजली आपूर्ति में घोर अन्याय
    © 2025 Himachal Varta. Developed by DasKreative.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.