ददाहू : सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सरकार विभाग जो जानकारी देते हैं , हकीकत में वह भी सच की कसौटी पर खरी नहीं होती | जानकारी कुछ दी जाती है और हो जो रहा है वह एकदम उलट है |
जानकारी दी जाती है कि ददाहू के सरकारी स्कूलों में खासकर प्राइमरी व कन्या उच्च विद्यालय मैं स्टाफ पूरा है और वह बच्चों को अभिभावकों के आग्रह पर अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित करने में सक्षम है यानी कि सरकारी स्कूल शिक्षक अंग्रेजी पढ़ानी जानते हैं | इस खुशफहमी मैं
ददाहू के कई अभिभावकों ने अपने बच्चों के ऐडमिशन यहां की प्राइमरी व कन्या माध्यमिक पाठशाला में करवाएं लेकिन जब अभिभावकों ने इन दोनों स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों से बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने का आग्रह किया तो शिक्षकों ने इस तर्क के साथ अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने से स्पष्ट इनकार कर दिया कि उनके पास स्टाफ की काफी कमी है इतनी कमी की चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का काम भी वे बच्चों से करवा रहे हैं |
सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब स्कूलों में स्टाफ कम है और वह अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने में सक्षम नहीं है इस योग्य नहीं है तो फिर सूचना का अधिकार एक्ट के तहत यह जानकारी किस आधार पर दी जा रही है कि स्टाफ पर्याप्त है और सरकारी स्कूलों में नियुक्त शिक्षक अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने में सक्षम है ताज्जुब तो यह है कि अभिभावकों ने उक्त दोनों स्कूलों के अंग्रेजी माध्यम को लेकर अपनाए गए रुख से जब शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया तो उनसे भी निराशा ही हाथ लगी अधिकारियों ने भी शिक्षकों के मनमाने रवैय के खिलाफ कोई कार्यवाही करनी तो दूर इसका आश्वासन तक नहीं दिया |