नाहन। सूचना अधिकार अधिनियम में राज्य में जन या लोक सूचना अधिकारी तथा केंद्र में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी के अलावा प्रथम अपीलीय अधिकारी का प्रावधान है अंतिम अथॉरिटी राज्य सूचना आयोग व केंद्रीय सूचना आयोग है आयोगों को जन सूचना अधिकारियों पर सूचना देने में कोताही बरतने की स्थिति में अथवा सही सूचना न देने पर कार्रवाई या जुर्माना करने का अधिकार है|
इन अधिकारों का प्रयोग होने के सकारात्मक परिणाम भी है लेकिन प्रथम अपीलीय अथॉरिटी महज बोझ प्रतीत हो रही है इस अथॉरिटी के पास जन सूचना अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का कोई हक नहीं है वही यह आरोप आम है यह अथॉरिटी जन सूचना अधिकारियों की पक्षधर अधिक साबित हो रही है बजाएं अनुरोध कर्ता के प्रथम अपीलीय अथॉरिटी के समक्ष जन सूचना अधिकारी से मिली सूचनाओं पर संतुष्ट ना होने पर अपील दायर की जाती है अथॉरिटी अनुरोध करता को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाती है तो जन सूचना अधिकारी को भी सफाई प्रस्तुत करने को इसमें अधिकारी महोदय को तो टीए डीए मिल जाता है जबकि सूचना चाहने वाले अनुरोधक को जेब से पैसा खर्च करना पड़ता है तो वक्त भी बर्बाद हाथ कुछ नहीं लगता उल्टे अथॉरिटी जन सूचना अधिकारी की ही पैरवी कर मामला रफा दफा करने का टरकाऊ रवैय्या अपना रही है|
इसके विपरीत आयोगों की भूमिका सशक्त है वहां यह अधिनियम गंभीरता से लिया जाता है आयोग के पास कार्रवाई के अधिकार भी है इसी भय से कुछ जन सूचना अधिकारी सूचना में देर अनुरोधक को संतुष्ट करने की कोशिश कर भी रहे हैं तथापि अधिकतर औपचारिकता मात्र है लोगों का कहना है कि जब प्रथम अपीलीय अधिकारी शक्ति विहीन है तो उसकी सेवाएं लेने का कष्ट नहीं होना चाहिए यह प्रावधान खत्म करने से यह अधिनियम अति सार्थक तथा उद्देश्य पूर्ति में सहायक होगा।