शिमला: प्रदेश के जिन भी विभागों में ठेकेदारी प्रथा या ठेकेदारों के जरिए काम हो रहे हैं करवाए जा रहे हैं या करवाए गए हैं विकास की कसौटी में उनकी गति धीमी ही मानी बताई जा रही है कोई भी काम समय से पूरा नहीं हुआ है न ही हो पाता है. अलबत्ता यह माध्यम रिश्वत या कमीशन खोरी को बढ़ावा देने फलने फूलने में जरूर सहायक है | इससे सरकारी विभागों में अधिकारी कर्मचारी वेतन भतो के अलावा भी खूब खा कमा रहे हैं जिनमें काम करवाने के लिए ठेकेदारों की सेवाएं ली जा रही हैं या सेवा का मौका दिया जा रहा है लोक निर्माण विभाग के अलावा सिंचाई व जन स्वास्थ्य विभाग में ज्यादातर काम ठेकेदारों के जरिए हो रहे हैं इनमें ऊपरी कमाई का जरिया या संभावनाएं भी उतनी ही अधिक है बल्कि भरमार है |
खाने पीने की तो मौज जमकर मुर्गा दारू की दावत जिसका असर अधिकारियों कर्मचारियों के पेट पर भी सरेआम देखा जा सकता है आगे आ रहे वैसे भी सरकारी सेवा वालों के अच्छे दिन है ही तो इन विभागों में कुछ ज्यादा ही भले ही विकास की गति धीमी हो या भाड़ में जा रही हो लोक निर्माण विभाग व सिंचाई जन स्वास्थ्य विभागों में काम भी खूब है निविदाओं के माध्यम से ठेकेदारों को एक तरह से सरकारी स्तर से काम करने के लिए बुलाने का न्योता दिया जाता है हर कार्य की अनु यवित लागत क्या होती है उससे जितने कम पर जो ठेकेदार काम करने को तैयार हो जाता है उसे सेवा का मौका मिलता है लेकिन औपचारिकताएं पूरी करने या मंजूरी के लिए समय इतना अधिक लग जाता है लग रहा है की काम के समय से पूरा होने का तो स्वालही नहीं बल्कि थोड़े बहुत करवाएं काम की ही पेमेंट ठीक मिल गई तो ठेकेदार बीच में ही गायब भी हो जाते हैं काम लटका देते हैं और ऐसे उदाहरणों की भरमार है यूं भी बड़े ठेकेदार काम लेकर छोटे ठेकेदारों के हवाले करने के तरीके भी अजमा रहे हैं ताकि पेमेंट का झंझट ही न हो कभी एक ही ठेकेदार ज्यादा ठेके हथिया लेते हैं इससे भी सरकार के विकास के दावों की हवा निकलती है क्योंकि ऐसे में काम समय से पूरे तो क्या समय अवधि बीतने पर शुरू भी हो जाए तो गनीमत है|

शिमला में महालेखाकार कार्यालय के स्तर से सरकार को उन विभागों की कार्यप्रणाली में सुधार के सुझाव भी दिए गए जिनमें की ठेकेदारी माध्यम का उपयोग ज्यादा है ताकि विकास कार्यों को अपेक्षित गति मिले लेकिन लोक निर्माण विभाग के उच्च स्तरीय सूत्रों का कहना है की जो व जैसे चल रहा है उनमें बदलाव की संभावना दूर-दूर तक नहीं है एक का पेट दूसरे से उसका तीसरे से और उसका चौथे से जुड़ा है किसी एक पर भी लात नहीं मारी जा सकती जबकि ठेकेदार तो वैसे भी सरकार या नेताओं के अपने सगे है या खासम खास है चुनाव में चंदा देते हैं इसलिए इतनी मिली भक्त के बावजूद भी सड़कें बन रही हैं मरम्मत भी की जाती है पुल अस्तित्व में आ रहे हैं आई है तो बड़ी बात है एक हाथ दो एक हाथ लो की लत पढ़ चुकी है जो छोडी नहीं जा सकती