नाहन। पड़ोसी पंजाब की तरह हिमाचल में भी युवा पीढ़ी को नशे का कीड़ा तेजी से काटने लगा
है वही जो समाज विरोधी तत्व नशे के गुपचुप कारोबार में लिप्त है उनकी मौज है इनकी धर पकड़ के लिए कार्यवाही काजिमा जिन विभागों पर है उनकी सुस्ती या कहे नाकामयाबी से ही यह धंधा तेजी से फल फूल रहा है |
राज्य में शिक्षक वर्ग तक सरेआम नशाखोरी करता देखा जा रहा है ऐसे में नशे की तरफ जा रही युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करें भी तो कौन जनप्रतिनिधियों को तो यूं भी बहुत से काम है सूत्रों की माने तो दारू बाजी तो मामूली बात है राज्य के दूरदराज के इलाकों व खासकर उन जगहो मैं नशे के कारोबारी बेहद सक्रिय हैं जहां पर्यटकों का आना जाना अधिक है अथवा धार्मिक पर्यटन अधिक है तीर्थ स्थलों में जितना देवी देवताओं का गुणगान पूजा अर्चना हो रही है उससे अधिक नशीले पदार्थों का व्यवसाय शाम होते ही यह धंधा जोर पकड़ने लगता है |
माल के नाम से यह चीजें अफरीदी इस्तेमाल की जाती हैं वही कोई दवाइयां भी नशे के लिए ली जाती है जोकि राज्य की फार्मा कंपनियों में बड़े पैमाने पर बनती हैं डॉक्टर की पर्ची के बिना जितना चाहो दवा विक्रेताओं के पास मिल जाती हैं सूत्रों के मुताबिक जो जिस तरह का नशा चाहता है यानी की जैसी लत है हिमाचल के कस्बा बाजारों यहां तक गांवो मैं भी उसी हिसाब से माल उपलब्ध है जिनसे निबटने उलझने का भी जोखिम पूर्ण होने से शांत प्रवृत्ति के लोक चुप रहने में ही भला समझते हैं वैसे राज्य में नशे के कारोबारियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले हम भी लेकिन इस बुराई के जड़ मूल उन्मूलन में कोई खास सक्रियता न दिखाने से ऐसे भलमानुष भी उद्देश्य प्राप्ति में सफल नहीं हो पा रहे हैं पैसे का बोल बाला है गुप्त सूचना के आधार पर कभी कभार नशे के धंधे का भंडाफोड़ होता भी है
