शिमला नाहन ददाहु : जिस जोश से शुरुआत में लोगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छ भारत अभियान के प्रति दिल चस्पी दिखाई हाथों में झाड़ू पकड़े इधर-उधर बिखरी गंदगी इकट्ठी कर ठिकाने लगाने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया अन्य को भी अभियान से जुड़ने को प्रेरित उत्साहित किया दिन बीतने के साथ अब इस अभियान की हवा सी निकलती दिखने लगी है |
अभियान जो कि सबके हित में है सार्थक भी है अपना सम्मान खोने सा लगा है जिसका कुप्रभाव भी सफाई व्यवस्था के चौपट होने के तौर पर सामने आने लगा है |जिससे लगता ही नहीं की स्वच्छ भारत अभियान जैसा कुछ जारी है टीवी चैनलों में जरूर इसका विज्ञापन बराबर दिखता है जिससे अभिनेत्री विद्या बालन जरूर घर घर में प्रचित हो चुकी है शिमला व रेणुका जी जोकि पर्यटन की दृष्टि से अहम है सफाई करने में आमजन की भागीदारी ढूंढने पर भी नहीं दिख रही है |
सिर्फ सफाई कर्मी ही झाड़ू चला रहे हैं जैसे कि पहले किया करते थे और इनकी सेवाएं जरूरत की तुलना में सीमित ही है लोगों की आदत में सुधार देखने में नहीं आ रहा है वही रात्रि के दौरान या दिन में भी नजरें बचाकर घरों दुकानों की गंदगी वह निर्माण कार्यों का मलबा इधर उधर डाल कर स्वच्छ भारत अभियान के प्रति लापरवाही दिखाई जा रही है नेता जनप्रतिनिधि व अधिकारी वर्ग को अपने कई दायित्व है उनका भी जोश जो शुरू में उफान पर दिखा अब ठंडा सा पढ़ चुका है सफेद कपड़ो व सूट बूट में कोई झाड़ू लगाता या अन्य को प्रेरित करता नहीं दिखता हालांकि शिमला ददाहु रेणुका ऊंची पहाड़ियों पर बसा होने के कारण इसका फायदा वर्षा होने पर गंदगी ऊपर से बहकर निचले इलाकों में या नदी नालों में चली जाती है इससे जरूर लगता है की कोई और ना सही इंद्र देवता स्वच्छ भारत अभियान में अनजाने मे ही सही रुचि तो है