नाहन। हिमाचल देवभूमि है और यह देव रे देव यानी स्वर्ग वाले कभी रहे हो अब वे है जो जनप्रतिनिधि हो गए है चाहे संसद में हो या विधानसभा में अथवा अन्य निर्वाचित संस्थाओं में क्योंकि दैवीय सुख सुविधाएं ऐशो आराम इन्हें ही हासिल है आम लोगों के लिए तो यहां खुद अस्पताल ही बीमार है। सिरमौर जिले में तो कुछ ज्यादा ही यहां से मरीज इलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ़ जाने को विवश है जो भी इतनी बड़ी संख्या मेें रहे हैं कि कहा जाने लगा है कि पीजीआई चंडीगढ़ अगर किसी जगह से सबसे ज्यादा मरीज इलाज करवाने आए हैं या आ रहे हैं तो वह हिमाचल के जिला सिरमौर वाले हैं हालांकि सिरमौर में सरकारी निजी अस्पतालों की कमी नहीं है।
नाहन में मेडिकल कॉलेज अस्पताल है और इससे भी वही हैसियत हासिल बताई जा रही है जोकि चंडीगढ़ में सेक्टर 32 स्थित मेडिकल कॉलेज की है। यह अलग बात है की चंडीगढ़ में जहां उपचार की तमाम सहूलियतें है डॉक्टरोँ व अन्य स्टाफ व डॉक्टरी उपकरणों की कमी नहीं है, नाहन मेडिकल कॉलेज में इस मामले में निराशा ही हासिल हो रही है कहा जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज का फायदा सिर्फ उन्हीं को है जो इसमें मोटे वेतन भत्ते व अन्य सुख सुविधाएं पा रहे हैं लाखों का पानी पी रहे हैं, बिजली फूंक रहे हैं, मरीजों को इलाज से ज्यादा यहां धक्के खाने को मिलते हैं कॉलेज पर सरकार करोड़ों रुपए फूंकने में लगी है, उस हिसाब से मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है मिलता तो पीजीआई चंडीगढ़ में सिरमौर से इतनी अधिक संख्या में मरीज शायद नहीं आते वैसे भी यह कॉलेज खुला ही इस मकसद से है कि पहाड़ी क्षेत्र में मरीज इलाज के लिए प्रदेश से बाहर धक्के खाने व आर्थिक रूप से बर्बाद होने से बचे उन्हें हर बीमार को सुुविधा मिले, लेकिन एकदम उल्टी गंगा बह रही है |
सिरमौर में मेडिकल कॉलेज हो या यहां के अन्य तमाम सरकारी अस्पताल व डिस्पेंसरियां उनकी कहानी एक सी है। उनमें डॉक्टर अन्य स्टाफ तकनीकी साजो-समान, दवाइयों की कमी तो है ही मरीजों व उनके साथ के तीमारदारों के बैठने के लिए जगह तक नहीं मिलती है ऐसे में मरीजों का इलाज कैसे होगा यह स्वयं सोचने की बात है ददाहू अस्पताल में उसका भवन देखने लायक है इसका फायदा उसे बनाने वालों को ही हुआ है यहां मरीज दूरदराज से इलाज के लिए आते हैं और धक्के खाकर जाते हैं या उन्हें नाहन रैफर किया जाता है जबकि नाहन मेडिकल कॉलेज जोकि जिले का सबसे बढ़ा स्वास्थ्य केंद्र है इसमें ऊंची दुकान फीके पकवान की कहावत चरितार्थ भर हो रही है मरीज इलाज के लिए चंडीगढ़ का रुख करने में लगे हैं इससे उनका वक्त व धन दोनों दांव पर हैं सरकार की आंखों पर चुनावी जीत की चर्बी चढ़ी हुई है मरीजों व तीमारदारों के लिए यह भी एक बड़ी परेशानी है की शिकायत करें भी तो किससे।