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    Home»हिमाचल प्रदेश»मुख्य सचिव ने दिया आपदारोधी अधोसंरचना विकसित करने पर बल
    हिमाचल प्रदेश

    मुख्य सचिव ने दिया आपदारोधी अधोसंरचना विकसित करने पर बल

    By Himachal VartaSeptember 7, 2019
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    शिमला। मुख्य सचिव डॉ. श्रीकान्त बाल्दी ने लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण विकास, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य व अन्य विभागां को प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले जान-माल की क्षति से बचने के लिए तकनीक और अधोसंरचना में सुधार करने के लिए कार्य योजना बनाने पर बल दिया है।
    वह आज यहां अन्तर मंत्रालय केन्द्रीय टीम (आईएमसीटी) के सदस्यों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे, जिसमें प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव संजीव कुमार जिन्दल की अध्यक्षता में आईएमसीटी मानसून के कारण राज्य में हुए नुकासन का जायजा लेने के लिए चार सितम्बर से प्रदेश के दौरे पर है।
    मुख्य सचिव ने आपदा प्रतिरोधक अधोसंरचना के विकास पर बल दिया ताकि बादल फटने, आकस्मिक बाढ़ और भू-स्खलन की चुनौतियों से निपटा जा सके। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की सहायता से विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण सड़कां, विद्युत आपूर्ति लाइनों और पेयजल आपूर्ति योजनाओं आदि को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए अध्ययन करवाया जाएगा।
    उन्होंने लोक निर्माण, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास विभागों को ऐसे स्थान चिन्हित करने के निर्देश दिए जहां वर्षा के कारण अधिक नुकसान होता है ताकि भविष्य में इन स्थानों पर नुकसान होने से बचाया जा सके।
    डॉ. बाल्दी ने बागवानी विभाग को निर्देश दिए कि बागवानों के बागीचों को पहुंचे नुकसान की सूचना शीघ्र तैयार करें ताकि उन्हें उचित मुआवजा दिया जा सके। उन्होंने भविष्य में मानसून से पूर्व ही पर्याप्त संख्या में श्रमशक्ति एवं उपकरण उपलब्ध करवाने के लिए भी कहा ताकि किसी भी आपात स्थिति से सुगमतापूर्वक निपटा जा सके।
    उन्होंने मानसून के कारण हुए नुकसान के आकलन के लिए आईएमसीटी की टीम का आभार व्यक्त करते हुए आग्रह किया कि प्रदेश का मामला प्रभावी ढंग से केन्द्र सरकार के समक्ष रखे ताकि इस वर्ष हुए भारी नुकसान के अवज में प्रदेश को समुचित आर्थिक सहायता मिल सके।
    केन्द्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव संजीव कुमार जिन्दल ने कहा कि आईएमसीटी ने प्रदेश के विभिन्न हिस्सों का दौरा करने के उपरान्त पाया कि मानसून के दौरान काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि विशेषकर घुमारवीं उपमण्डल के कथालग, कांगड़ा जिला के नूरपुर क्षेत्र के अन्तर्गत धानी व लाहडू और शिमा जिला के रोहडू व नेरवा में बहुत नुकसान हुआ है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रभावित लोगों ने राहत व बचाव कार्य के लिए स्थानीय प्रशासन के प्रयासों को सराहा है।
    प्रधान सचिव राजस्व आेंकार चन्द शर्मा ने कहा कि इस वर्ष प्रदेश में छः प्रतिशत वर्षा की कमी के साथ सामान्य मानसून दर्ज किया गया है लेकिन जून में तीन दिन तक चली भारी वर्षा के कारण बादल फटने, आकस्मिक बाढ़ और भू-स्खलन से राज्य में भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान 201 भू-स्खलन और 14 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई। प्रदेश को प्राथमिक आकलन के अुनसार भू-स्खलन, बादल फटने और आकस्मिक बाढ़ के कारण लगभग 1200 करोड़ रुपये का नुकसान है और इसके अतिरिक्त 81 लोगों की जानें और 493 पशुओं की हानि हुई है।
    निदेशक एवं विशेष सचिव राजस्व और आपदा प्रबन्धन डी.सी. राणा ने जानकारी दी कि सभी विभागों द्वारा वास्तविक कुल नुकसान के आंकलन के उपरान्त भारत सरकार को निधि आवंटन के लिए विस्तृत ज्ञापन शीघ्र प्रस्तुत किया जाएगा।

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