शिमला। मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर ने विकासात्मक कार्यों के निष्पादन के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया है ताकि इनमें गुणवत्ता सुनिश्चित करने के साथ-साथ प्रकृति और विकास में भी संतुलन बनाया रखा जा सके। उन्होंने कहा कि हालांकि विकास हमारी स्वाभाविक आवश्यकता है, लेकिन यह पर्यावरण की कीमत पर नहीं हो सकता और हमें प्राकृतिक आपदाओं का जोखिम कम करने और बहुमूल्य पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने पर गहन चिंतन करना होगा।
मुख्य मंत्री ने गत सायं ‘इंजीनियर्स डे’ के अवसर पर यहां दिव्य हिमाचल समाचार पत्र समूह द्वारा आयोजित ‘‘प्राकृतिक आपदाओं से हिमाचल का बचाव’’ विषय पर एक संगोष्ठी के समापन-सत्र की अध्यक्षता करते हुए, यह विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र राज्य होने के कारण हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से संवेदनशील है, जिसे ध्यान में रखते हुए पर्यावरण हा्रास की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। राज्य को हर साल बरसात और सर्दियों के मौसम में भारी बारिश, भूस्खलन, बाढ़ और हिमपात तथा गर्मियों में सूखे जैसी परिस्थितियों के कारण बहुमूल्य जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में हमें विश्व स्तर की उन्नत तकनीकों को अपनाना होगा ताकि प्राकृतिक आपदाओं के खतरे कम हों और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिल सके।
मुख्य मंत्री ने कहा कि प्रकृति ने हिमाचल प्रदेश को अपार प्राकृतिक संसाधनों से नवाज़ा है लेकिन भविष्य के परिणामों की परवाह किए बिना अपनी ज़रूरतों के लिए इसका अंधाधंुध दोहन करने से बचना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुनिश्चित हो सके और प्राकृतिक आपदाओं का जोखिम भी कम हो सके। यह उचित समय है कि समाज का हर व्यक्ति पर्यावरण असंतुलन से पैदा होने वाली चुनौतियों को समझे और पर्यावरण संरक्षण में अपना भरपूर योगदान दे।
जय राम ठाकुर ने कहा कि हर साल मानसून के दौरान सड़कों और अन्य बुनियादी सुविधाओं को होने वाले नुकसान को बचाने के लिए इंजीनियरों को आधुनिक तकनीकों का लाभ उठाने की संभावनाओं को तलाशना चाहिए। उन्हें विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित व वैज्ञानिक मापदंडों के आधार पर इमारतों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया जहां लोग भूकंप और अन्य आपदाओं के कारण होने वाले खतरों के बारे में ज्यादा जागरूक नहीं हैं।
उन्होंने इंजीनियर्स डे पर इंजीनियरों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे राज्य में तकनीकी और औद्योगिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने इंजीनियरों से राज्य के त्वरित विकास के लिए राज्य सरकार के प्रयासों को पूर्ण सहयोग देने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने स्वच्छता अभियान, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन और विभिन्न सामाजिक गतिविधियों के बारे में व्यापक जागरूकता अभियान चलाने के लिए दिव्य हिमाचल समूह के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि लोगों के कल्याण के लिए सरकारों की पहल को उजागर करने और लोगों की प्रतिक्रिया देने में मीडिया रचनात्मक भूमिका निभा रहा है, जिससे सरकार को अपनी नीतियों व कार्यक्रमों को और भी अच्छे ढंग से निर्धारण में सहायता मिलती है।
उन्होंने इस अवसर पर दिव्य हिमाचल की काॅफी टेबल बुक का विमोचन भी किया।
मुख्य मंत्री ने दिव्य हिमाचल समूह की ओर से राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के इंजीनियरों को उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किए। उन्होंने प्रशासनिक सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सामाजिक सेवा और उद्योगों आदि क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए विभिन्न हस्तियों को सम्मानित किया।
दिव्य हिमाचल के प्रधान सम्पादक अनिल सोनी ने इस अवसर पर कहा कि बीते कई सालों में हिमाचल प्रदेश ने विभिन्न क्षेत्रों में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उनसे हर हिमाचलवासी गौरवान्वित महसूस करता है जिसमें समाज के हर क्षेत्र के व्यक्तियों ने अपना भरपूर सहयोग दिया है। प्रदेश के तीव्र एवं संतुलित विकास की दिशा में वर्तमान प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि प्ररेश में 85 हजार करोड़ से अधिक निवेश आकर्षित करने की दिशा में सरकार ने वैश्विक निवेशक सम्मेलन आयोजित करने का जो निर्णय लिया है वह स्वागत योग्य है जिससे हिमाचल निश्चित तौर पर खुशहाली की राह पर आगे बढ़ेगा।
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, शहरी विकास मंत्री सरवीन चैधरी, स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार, वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर, प्रदेश के पूर्व विधान सभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल और मुख्य सचिव डा. श्रीकांत बाल्दी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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Friday, March 29