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    Home»हिमाचल प्रदेश»विश्वविद्यालयों में गुणात्मक अनुसंधानयुक्त शिक्षा को बढ़ावा देने पर बलः राज्यपाल
    हिमाचल प्रदेश

    विश्वविद्यालयों में गुणात्मक अनुसंधानयुक्त शिक्षा को बढ़ावा देने पर बलः राज्यपाल

    By Himachal VartaSeptember 25, 2019
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    शिमला। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने विश्वविद्यालयों में गुणात्मक शिक्षा के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में अच्छे शैक्षणिक माहौल के अलावा, रोजगार से जुड़े पाठ्यक्रमों को शुरू किया जाना चाहिए।
    राज्यपाल आज राजभवन शिमला में कुलपतियों के साथ बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
    राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों की प्रगति की समीक्षा करते हुए कुलपतियों द्वारा विश्वविद्यालयों की उपलब्धियों पर दी गई प्रस्तुतियों पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि वह जल्द ही हर विश्वविद्यालय का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में शिक्षा का स्तर बहुत ऊँचा है और हम गुणात्मक शिक्षा में भी आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुलपति को यह विचार करने की जरूरत है कि गुणात्मक अनुसंधानयुक्त शिक्षा को बढ़ाने के लिए हम क्या प्रोत्साहन दे सकते हैं। इसके अलावा, अन्य विश्वविद्यालयों के साथ समन्वय स्थापित करके शिक्षा की गुणवत्ता को कैसे बढ़ाया जाए, इस पर काम किया जाना चाहिए।
    उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय स्तर पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित किए जाने चाहिए जो छात्रों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकें। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के अलावा, हमें विश्वविद्यालय स्तर पर स्वस्थ शैक्षणिक वातावरण बनाने के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।
    राज्यपाल ने निर्देश दिये कि विश्वविद्यालय स्तर पर प्रतिष्ठित व्यक्तियों के व्याख्यान के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यटन उद्योग राज्य की आय का मुख्य स्रोत है, इसलिए ऐसे पाठ्यक्रम जो पर्यटन पर आधारित हैं, शुरू किए जाने चाहिए ताकि युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकें।
    उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा भी आज काफी प्रभाव डाल रही है, जिसके लिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को और मजबूत किया जाना चाहिए और यहां पढ़ाए जाने वाले विषय उद्योगों की जरूरतों पर आधारित होने चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से अधिक तकनीकी सहायता और सहयोग प्राप्त करने के एक रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए, जिसे केंद्र सरकार को भेजा जा सके।
    राज्यपाल ने विश्वविद्यालय स्तर पर छात्राओं की बढ़ती संख्या पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल एक आध्यात्मिक भूमि है और छात्रों में नैतिक मूल्यों को स्थापित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के लिए सख्त प्रशासन और अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण है, जिसे कुलपति प्रभावी ढंग से लागू कर सकते हैं। उन्होंने शिक्षकों और छात्रों के बीच बेहतर समन्वय के लिए विचार मंथन सत्र बुलाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा उनकी प्राथमिकता है और हमें बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने निर्धारित समय के भीतर काम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
    इससे पहले, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला के कुलपति प्रो. सिकंदर कुमार, चैधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति, प्रो. अशोक सरयाल, उप-कुलपति, बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी डाॅ. परविंदर कौशल, कुलपति हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर एस.पी. बंसल और सरदार वल्लभभाई पटेल क्लस्टर विश्वविद्यालय के कुलपति तथा मंडल अध्यक्ष सी.एल. चंदन ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों पर अपनी विस्तृत प्रस्तुति दी।
    राज्यपाल ने नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति से नवीनतम तकनीकों पर जानकारी प्रदान करने के लिए किसानों तक पहुंचने के लिए आधुनिक विस्तार विधियों को विकसित करने के लिए कहा। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रो. अशोक सरयाल ने कहा कि पिछले साल विश्वविद्यालय में प्राकृतिक कृषि केंद्र की स्थापना की गई थी, जो देश में पहली बार हुआ है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय विस्तार विभाग द्वारा प्रतिवर्ष 40,000 से अधिक किसानों को प्रशिक्षित और सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।

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