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    Home»पंजाब»मुख्यमंत्री के आदेशों पर फि़ल्म ‘ शूटर ’ पर रोक के बाद पंजाब पुलिस द्वारा फि़ल्म निर्माता और अन्यों के विरुद्ध एफ.आई.आर दर्ज़
    पंजाब

    मुख्यमंत्री के आदेशों पर फि़ल्म ‘ शूटर ’ पर रोक के बाद पंजाब पुलिस द्वारा फि़ल्म निर्माता और अन्यों के विरुद्ध एफ.आई.आर दर्ज़

    By Himachal VartaFebruary 11, 2020
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    कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा भविष्य में भी ऐसी फिल्मों के निर्माण पर सख्त कार्यवाही करने की चेतावनी
    चंडीगढ़। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की तरफ से गैंगस्टर सुखा काहलवां के जीवन और अपराधों पर आधारित फि़ल्म ‘शूटर ’ पर रोक लगाने के आदेश से कुछ घंटों बाद पंजाब पुलिस ने रविवार बाद दोपहर को निर्माता / प्रमोटर के.वी. सिंह ढिल्लों और अन्यों के विरुद्ध हिंसा, घृणित अपराध, गैंगस्टर कल्चर, नशा, फिरौती, लूट, धमकियों और ऐसे अन्य अपराधों को कथित तौर पर उत्साहित करने के दोष में केस दर्ज किया।

    पंजाब पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि एफ.आई.आर नंबर 3 तारीख़ 9/ 2/ 2020 के अनुसार एस.एस.ओ.सी मोहाली में आई.पी.सी की धारा 153, 153 ए, 153 बी, 160, 107, 505 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। एफ.आई.आर. के मुताबिक फि़ल्म ‘शूटर ’ नौजवानों को हथियार उठाने के लिए उकसाऐगी और शान्ति, सदभावना को भंग करेगी।

    गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की तरफ से डीजीपी दिनकर गुप्ता को निर्माता के.वी. ढिल्लों के विरुद्ध बनती कार्यवाही के निर्देश दिए जाने के बाद यह एफ.आई.आर दर्ज की गई है। के.वी. ढिल्लों ने साल 2019 में लिखित वायदा किया था कि वह ‘सुखा काहलवां ‘टाईटल के तहत फि़ल्म नहीं बनाऐगा। डीजीपी को यह भी कहा है कि वह फि़ल्म में प्रमोटरों, डायरैक्टर और एक्टरों के रोल संबंधी भी देखें।

    सरकारी प्रवक्ता के अनुसार कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने साफ़ किया है कि उनकी सरकार ऐसे किसी फि़ल्म, गाने आदि को चलाने की आज्ञा नहीं देगी जो अपराध, हिंसा और गैंगस्टर या राज्य में अपराध को बढ़ावा देती हो जो अकालियों के शासन के दौरान अकाली नेताओं की सरप्रस्ती अधीन प्रफुल्लित हुआ।

    कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व अधीन सरकार को पिछले तीन सालों में राज्य की अमन, कानून व्यवस्था को बहाल करने के लिए लंबा समय लगा जोकि पिछले अकाली -भाजपा सरकार के दौरान सबसे निचले स्तर पर थी। प्रवक्ता ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि यह यकीनी बनाया जाये कि पंजाब में शान्ति और सांप्रदायिक सदभावना को भंग करने की किसी को भी इजाज़त न दी जाये।

    डीजीपी ने खुलासा किया कि पंजाब में विवादित फि़ल्म पर पाबंदी का मामला शुक्रवार को मुख्यमंत्री के साथ मीटिंग में विचारा गया था जिसमें एडीजीपी इंटेलिजेंस वरिन्दर कुमार भी उपस्थित थे और यह फ़ैसला किया गया कि फि़ल्म पर पाबंदी लगाई जाये जिसका ट्रेलर 18 जनवरी को रिलीज हुआ है। मीटिंग में यह सुझाव दिया गया कि यह फि़ल्म बहुत ही हिंसक है।

    एडीजीपी ने आगे कहा कि यह देखते हुये कि इस फि़ल्म का नौजवानों पर बुरा प्रभाव हो सकता और इस फि़ल्म से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह मामले और न्याय को लिखे पत्र में कहा गया, ‘पंजाब में इस फि़ल्म को रिलीज़ और दिखाने पर पाबंदी लगा दी जाये।’

    इससे पहले मोहाली पुलिस के पास इस फि़ल्म के द्वारा गैंगस्टर सुखा काहलवां को हीरो के तौर पर पेश करने की शिकायत मिली थी जिसमें फि़ल्म के निर्माता ने गैंगस्टर को शार्प शूटर के तौर पर पेश किया है जिसके विरुद्ध कत्ल, अपहरण और फिरौती के मामलों समेत 20 से अधिक केस दर्ज हैं। उसे गैंगस्टर विक्की गौंडर और उसके साथियों ने 22 जनवरी 2015 को मार दिया था जब उसे जालंधर में सुनवाई के लिए पटियाला ज़ेल से लाया जा रहा था।

    अपने पत्र में ढिल्लों ने मोहाली के एसएसपी को लिखा था, ‘अगर आपका यह विचार है कि इस फि़ल्म से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है तो मैं फि़ल्म के प्रोजैक्ट को बंद कर देता हूं।’ डीजीपी के अनुसार फि़ल्म के निर्माता ने फि़ल्म का प्रोजैक्ट रद्द करने की बजाय इस पर काम जारी रखा और अब 21 फरवरी को नये टाईटल और नये नाम के तरह उसी फि़ल्म को रिलीज़ किया जा रहा है।

    सरकार द्वारा अब फि़ल्म पर पाबंदी लगाने का फ़ैसला मानसा पुलिस द्वारा पंजाबी गायकों सिद्धू मूसे वाला और मनकीरत औलख के खि़लाफ़ सोशल मीडिया पर हिंसा और अपराध का प्रचार करते हुये अपलोड किये वीडियो क्लिप के बदले केस दर्ज करने के 10 दिनों से कम समय अंदर किया गया।

    गौरतलब है कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सिवल रिट्ट पटीशन 6213 /2016 में पंजाब, हरियाणा और यू टी चण्डीगढ़ के डीजीपी को निर्देश दिए थे कि यह यकीनी बनाया जाये कि कोई ऐसा गाना किसी लाइव शो के दौरान चलने न दिया जाये जो शराब, नशे और हिंसा का बढ़ावा करता हो। अदालत ने आगे हर जिले के जि़ला मैजिस्ट्रेट /एसएसपी को निर्देश दिए थे कि इन आदेशों की सख्ती से पालना करने की उनकी निजी जिम्मेदारी है।

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