चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से लॉकडाउन 3.0 से बाहर निकलने की रणनीति और देश की अर्थव्यवस्था को पैरों पर खड़ा करने के लिए आगे बढऩे के रास्ते का स्पष्टत: से प्रगटावा करने की अपील की है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने राज्यों को पेश राजस्व घाटे की पूर्ति और कोविड -19 की रोकथाम और प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य संभाल और राहत मुहैया करवाने पर हो रहे और ज्यादा खर्चों के एवज़ में तीन महीनें के लिए राजस्व अनुदान देने की माँग को भी दोहराया।
प्रधान मंत्री को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘लॉकडाउन में से बाहर निकलने की रणनीति न सिफऱ् सुरक्षा सीमाओं में रहते हुये कोविड -19 के फैलाव को रोकने के लिए पैमाने तय कर सकती है बल्कि आर्थिक पुर्नोद्धार के लिए राह को भी निर्धारित कर सकती है। इस रणनीति को राज्यों के वित्तीय और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए विचारने और एकाग्र करना चाहिए।’’
मुख्यमंत्री ने राजस्व अनुदान की माँग को उठाने के अलावा केंद्र सरकार को 15वें वित्त आयोग के द्वारा मौजूदा साल के लिए अपनी रिपोर्ट की समीक्षा करने की हिदायत देने के लिए कहा गया है क्योंकि कोविड -19 के कारण स्थिति पूरी तरह बदल गई है। उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग को कोविड -19 के प्रभाव का लेखा -जोखा करने के बाद पाँच सालों के लिए फंड का वितरण साल 2020 की बजाय एक अप्रैल, 2021 से करना चाहिए।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा प्रधान मंत्री से अपील की गई कि विभिन्न मंत्रालयों को ज़रूरी हिदायतें जारी की जाएँ जिससे 17 मई को ख़त्म हो रहे तीसरे लॉकडाउन के बाद के समय के लिए राज्य स्पष्ट नीति बना सकें और निश्चित दिशा में काम करने के योग्य हो सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा करना ज़रूरी है क्योंकि कोविड -19 और इसके कारण विभिन्न पड़ावों में लगाए गए लॉकडाउन के कारण बड़े स्तर पर रोजग़ार छिनने और व्यापार और आर्थिक मौकों को भारी चोट लगी है जबकि इसका असली प्रभाव अभी सामने आना बाकी है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से तथ्य है कि इससे आर्थिकता को भारी चोट लगी है और सकल घरेलू उत्पाद भी नहीं बढ़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अप्रैल, 2020 के दौरान पंजाब को होने वाली आय 88 फीसद तक नीचे जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे गरीब वर्ग सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है और उनके सामाजिक -आर्थिक जीवन पर इसके बहुत से नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं। गरीबी, भूख और स्वास्थ्य बिगडऩे के खतरे अब सबसे प्रमुख हैं। यदि आम लोगों के जीवन के सामाजिक -आर्थिक पहलूओं को फिर राह पर न लाया गया तो इससे समाज के अंदर मनोवैज्ञानिक विकार पैदा होंगे। नौकरियाँ छिनने और रोजग़ार के मौके हाथों से निकलने के कारण हमारे समाज के अंदर नागरिक अधिकारों और बराबर मौकों के सिद्धांतों पर भी नकारात्मक प्रभाव होंगे। उन्होंने कहा कि यह सब आज के समय के कड़वे सत्य हैं।
इसी दौरान मुख्यमंत्री की तरफ से प्रधान मंत्री को भरोसा दिलाया गया कि पंजाब सरकार लोगों की जानों को सुरक्षित रखने के लिए इस ख़तरनाक महामारी को फैलने से रोकने की ख़ातिर हर संभव यत्न कर रही है।
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Thursday, May 15