कोरोना वायरस के इस संकट से बचने के लिए नाहन का गोरखा समुदाय इन दिनों सन 1919 में बने मां संसारी देवी मंदिर में प्रार्थना कर रहा है. मान्यता है कि 1918 में मां संसारी देवी की स्थापना के बाद स्पेनिश फ्लू की रोकथाम हो गई थी.
नाहन। साल 1918 में फैले स्पेनिश फ्यू से मां संसारी देवी ने ऐतिहासिक शहर नाहन के लोगों को बचाया था। अब कोरोना से निजात दिलाने की भी मां से पुकार की जा रही है। मान्यता है कि उस वक्त मां संसारी देवी की स्थापना के बाद स्पेनिश फ्लू की रोकथाम हो गई थी।
नाहन के लोगों का कहना है कि संसारी देवी की पहले की तरह अब भी कोरोना से उनकी रक्षा करेंगी। कहा जाता है कि गोरखा समुदाय की आस्था और श्रद्धा का प्रतीक माता संसारी देवी मंदिर में प्रथम पूजा रियासतकाल के दौरान सन 1919 में शुरू हुई थी। स्थानीय गोरखा समुदाय के अनुसार यह पूजा साल 1919 में उस समय शुरू हुई थी, जब नाहन में भी स्पेनिश महामारी का प्रकोप फैल रहा था।
अब एक शताब्दी के बाद कोरोना वायरस पूरे विश्व पर अपना कहर बरसा रहा है। लिहाजा गोरखा समुदाय के लोग एक बार फिर माता संसारी देवी से इस वैश्विक महामारी से निजात दिलाने की पुकार कर रहे हैं। हालांकि कोरोना वायरस की वजह से धार्मिक स्थल बंद है, लेकिन मंदिर कमेटी का कोई न कोई सदस्य हर रोज मंदिर में पूजा अर्चना के लिए पहुंचता है।
मंदिर की दीवार पर गोरखाली भाषा में कोरोना वायरस से निजात दिलाने के लिए मां से प्रार्थना करते हुए संदेश भी लिखा गया है। गोरखा समुदाय माता से जल्द कोरोना से निजात दिलाने की प्रार्थना कर रहा है।
मान्यताओं के मुताबिक तब गोरखा समुदाय के लोगों ने नेपाल की तर्ज पर यहां माता संसारी देवी की पूजा अर्चना की और तब जाकर नाहन में महामारी का प्रकोप कम हुआ था। संसारी माता के इस मंदिर की स्थापना रियासत काल में महाराज की सेना में तैनात गोरखा समुदाय के इंद्र सिंह गुरंग द्वारा की गई थी। मान्यता है कि माता संसारी देवी की पूजा अर्चना के बाद इस बीमारी से नाहन के लोगों की सुरक्षा हुई थी।
गोरखा सभा के यूथ कन्वीनर अंकुर थापा ने बताया कि गोरखा समुदाय के लोगों की माता के प्रति अपार श्रद्धा है। मां संसारी देवी मंदिर की स्थापना महाराज की सेना में कार्यरत इंद्र सिंह गुरंग द्वारा 1919 में की गई थी। जब 1918 में पूरे विश्व में स्पेनिश फ्लू का प्रकोप चला हुआ था, तो उसके मद्देनजर नाहन की जनता सहित गोरखा समुदाय की सुरक्षा के लिए इस मंदिर की स्थापना की गई थी।
मान्यता है कि जब मंदिर की स्थापना हुई थी उसके बाद से कालाअंब से लेकर कटासन और नाहन तक यह महामारी पहुंच नहीं पाई थी। साथ ही नाहन का कोई भी निवासी स्पेनिश फ्लू से प्रभावित नहीं हुआ था।