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    Home»चण्डीगढ़»पुन: प्रचंड की जायेगी कोर्नियल बलाईंडनैस मुक्त पंजाब मुहिम – विनी महाजन
    चण्डीगढ़

    पुन: प्रचंड की जायेगी कोर्नियल बलाईंडनैस मुक्त पंजाब मुहिम – विनी महाजन

    By Himachal VartaSeptember 11, 2020
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    मुख्य सचिव द्वारा पीजीआइ में आँखें दान सम्बन्धी वर्चुअल समागम में की शिरकत ; मिसाली सेवाएं निभाने वाले सर्जनों का ‘कोर्निया हीरोज़’ के तौर पर सम्मान

    चंडीगढ़ (हिमाचलवार्ता)। पंजाब के मुख्य सचिव श्रीमती विनी महाजन ने पीजीआइ, चंडीगढ़ में कराए गए वर्चुअल आई डोनेशन फोर्टनाईट (ईडीएफ) 2020 समारोह के दौरान कहा कि कोर्नियल बलाईंडनैस बैकलॉग फ्री पंजाब (सीबीबीएफ) मुहिम को पुन: तेज़ किया जायेगा।

    इस समागम के दौरान मुख्य मेहमान के तौर पर संबोधन करते हुये श्रीमती विनी महाजन ने कहा कि पूरे भारत में मार्च से जून 2020 के दौरान आँखें दान करने में 80 प्रतिशत गिरावट आई है और केरटोपलास्टी सजऱ्री में 78 प्रतिशत कमी आई है। इसलिए सीबीबीएफ पंजाब मुहिम को उत्साहित करना समय की ज़रूरत है। इस मुहिम की शुरुआत साल 2015 में की गई थी। उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों ने कोर्नियल बलाईंडनैस मुक्त राज्य का गौरवमई खि़ताब हासिल करने में योगदान डाला। इस प्राप्ति से पंजाब ने देश के अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल कायम की और यह भी साबित कर दिया कि पंजाब में अग्रणी बनने का सामथ्र्य है।

    कोर्नियल सर्जनों को ‘कोर्निया हीरोज़ के तौर पर सराहते हुये मुख्य सचिव ने कहा कि कोर्नियल बलाईंडनैस बैकलॉग फ्री पंजाब (सीबीबीएफ) पहलकदमी की सफलता सभी भाईवालों – आँखें दान करने वालो, आँखों के सर्जनों, एन.जी.ओज़ आदि – के सहयोग से बिना संभव नहीं हो सकती। उन्होंने आरपी सैंटर एम्स एन-दिल्ली से प्रो. डॉ. राधिका टंडन की तरफ से तकनीकी माहिर के तौर पर निभाई सेवाओं की भी सराहना की।

    पीजीआइएमईआर, चंडीगढ़ के कम्युनिटी मैडिसन एंड स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ डिपार्टमैंट, नेशनल प्रोग्राम फॉर बलाईंनैस एंड विजुअल इंमपेयरमैंट, पंजाब और यू.टी. चंडीगढ़, रोटरी आई बैंक एंड कोर्नियल ट्रांसप्लांट सैंटर, होशियारपुर और स्टरैटेजी इंस्टीट्यूट फॉर पब्लिक हैल्थ एजुकेशन एंड रिर्सच (सिफऱ) की तरफ से कराए गए इस आई डोनेशन फोर्टनाईट (ईडीएफ) 2020 समारोह के दौरान आँखें दान करने और सजऱ्री को उत्साहित करने में मिसाली सेवाएं निभाने वाले कोर्नियल सर्जनों का सम्मान किया गया और उनको ‘कोर्निया हीरोज़’ घोषित किया गया।

    मुख्य सचिव श्रीमती विनी महाजन और डायरैक्टर पीजीआइ प्रो. डा. जगत राम ने डा. अमित गुप्ता (पीजीआइ, चंडीगढ़), प्रो. डा. शकीन सिंह (एसजीआरडी मैडीकल कॉलेज, अमृतसर), प्रो. डा. करमजीत सिंह (जी.एम.सी., अमृतसर), डा. रमेश कुमार (पुनरजोत आई बैंक, लुधियाना), डा. अशोक शर्मा (कोर्निया सैंटर चंडीगढ़) और डा. रोहित गुप्ता (ट्राईसिटी आई अस्पताल, खरड़) का सम्मान किया।

    प्रमुख सचिव स्वास्थ्य विभाग, पंजाब श्री हुसन लाल ने कहा कि आँखें दान करने के कार्य में सहायता के लिए राज्य ने कुछ नियमों में बदलाव किये हैं और इस मुहिम को बढ़ावा देने के लिए रजिस्ट्रेशन खर्चे 1.5 लाख रुपए से घटा कर 10,000 रुपए कर दिए गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि पंजाब सरकार इस पहलकदमी को उत्साहित करने के लिए सिविल सोसायटी संस्थाओं और अकादमिक संस्थाओं समेत सभी भाईवालों के साथ तालमेल करेगी।

    स्टरैटेजी इंस्टीच्यूट फॉर पब्लिक हैल्थ एजुकेशन एंड रिर्सच के प्रधान डा. राकेश गुप्ता, जो सीबीबीएफ पंजाब मुहिम के साथ इसकी शुरुआत से ही जुड़े हुए हैं, ने कहा कि 5 साल पहले सितम्बर 2015 में श्रीमती विनी महाजन की तरफ से सीबीबीएफ मुहिम को अमली जामा पहनाया गया था और उन्होंने सरकारी /प्राईवेट कोर्नियल सर्जनों, एन.जी.ओज़., पैरा मैडीकल स्टाफ और यहाँ तक कि पुलिस विभाग समेत सभी के सहयोग को यकीनी बनाया था। इस मुहिम की नियमित निगरानी के कारण ही आँखें दान करने और केरटोप्लास्टी सजऱ्री में गुणात्मक सुधार हुए।

    प्रो. सोनू गोयल, पीजीआइ चंडीगढ़ ने कहा कि इस मुहिम का उद्देश्य आँखें दान करने की महत्ता संबंधी लोगों में जागरूकता पैदा करना है और लोगों को मौत के बाद अपनी आँखें दान करने के लिए प्रेरित करना है जिससे बहुत से नेत्रहीन व्यक्तियों के जीवन में से अंधेरा दूर किया जा सके।

    प्रो. डा. राधिका टंडन ने कहा कि देश में तकरीबन 1.2 मिलियन कोर्नियल नेत्रहीन व्यक्ति हैं और हर साल तकरीबन 20,000 से 30,000 नये मामले आ रहे हैं। इसके अलावा भारत में 5-6 मिलियन व्यक्तियों को एक आँख से नहीं दिखता। भारत ने समूचे रूप में नेत्रहीणता के इलाज में बड़ी पहलकदमी की है परन्तु मुख्य तौर पर ट्रांसप्लांटेबल कोर्नियल टिशू की कमी के कारण कोर्नियल नेत्रहीणता का इलाज करने में पिछड़ गया है। जागरूकता मुहिम और आई बैंकों के यत्नों के परिणामस्वरूप पिछले 7 सालों में साल 2011 के बाद ट्रांसप्लांट सजऱ्री में वृद्धि के साथ प्रगति दिखाई है। हालाँकि यह विकास दर साल 2020 तक प्रति साल 1 लाख ट्रांसप्लांट करने के ‘विजऩ 2020’ के लक्ष्य से बहुत पीछे है।

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