शिमला (हिमाचल वार्ता)। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कुल्लू तथा लाहौल-स्पीति के दो दिवसीय प्रवास के पहले दिन जिला कुल्लू में स्थित सुप्रसिद्ध रोरिक आर्ट गैलरी नग्गर का दौरा किया। आर्ट गैलरी में उन्होंने निकोलस रोरिक, जो एक रूसी चित्रकार थे, द्वारा स्थापित आर्ट गैलरी में उनकी कृतियों का बारीकी से अवलोकन और अध्ययन किया। आर्ट गैलरी के भारतीय अध्यक्ष रमेश चन्द्र तथा रूसी अध्यक्ष लारीसा सुरगीना ने राज्यपाल को रोरिक आर्ट गैलरी में स्थापित निकोलस की कृतियों की जानकारी दी।
इस दौरान राज्यपाल को अवगत करवाया गया कि आर्ट गैलरी में चार संग्रहालय हैं, जिनमें रोरिक आर्ट गैलरी, हिमालयन फोक आर्ट संग्रहालय, देविका रानी कला संग्रहालय तथा उर्सवती संग्रहालय शामिल हैं। राज्यपाल ने सभी संग्रहालयों का अवलोकन किया और निकोलस की प्रत्येक कृति की खूबसूरती की सराहना की। बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि निकोलस रोरिक 26 वर्षों तक नग्गर में रहे और इस दौरान उन्होंने 7000 से अधिक कला-कृतियां बनाई जो देश-दूनिया के लिए एक दुर्लभ उदाहरण बन गई। रोरिक आर्ट गैलरी में भारत-रूस की संस्कृति को बेहद खूबसूरती के साथ चित्रण किया गया है।
अनेकों कलाकृतियों में दोनों देशों की संस्कृति की विशेषताओं को दर्शाया गया है। यही नहीं, हिमालयी संस्कृति विशेषकर कुल्लू, चंबा व लाहौल-स्पिति जिलों की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का बखूबी प्रयास निकोलस ने किया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को रोरिक आर्ट गैलरी का अध्ययन करना चाहिए, इसका अवलोकन करना चाहिए। सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखना निकोलस की कृतियों की विशेषता है। राज्यपाल ने कहा कि रोरिक आर्ट गैलरी ने नग्गर को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दी है।
रोरिक आर्ट गैलरी पर अपने अनुभव सांझा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि ‘मैं निकोलस द्वारा स्थापित रोरिक आर्ट गैलरी को देखने के बाद प्रेरित हुआ हॅूं कि इसका जिक्र अधिक से अधिक लोगों से सांझा करूं। खूबसूरत हिमालय के इतिहास और पुरातत्व को निकोलस परिवार द्वारा सुन्दरता से संरक्षित किया गया है। निकोलस ने वर्ष 1929 से भारतीय संास्कृतिक विरासत की सुंदरता का संरक्षण किया है जो बेहद उल्लेखनीय और प्रेरणादायी है। उन्होंने कहा कि 1460 सालों तक कुल्लूत की राजधानी रहा नग्गर का अनुपम इतिहास है। यह बेहद दर्शनीय क्षेत्र है, जहां हर साल लाखों सैलानी आते हैं।