विभीषण ने पत्ते पर लिखा मंत्र और व्यक्ति समंदर पर पैदल चलने लगा- उषा अंचल व्यास
नाहन (हिमाचलवार्ता)। नाहन विधानसभा क्षेत्र में पडने वाले बर्मा पापड़ी राम मंदिर में तीन दिवसीय रामकथा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उषा शर्मा अंचल व्यास के द्वारा दिव्य प्रवचनो के साथ राम कथा पढ़ी गई। कथा प्रारंभ करने से पूर्व गांव की मातृशक्ति के द्वारा एक भव्य कलश यात्रा भी कोरोना प्रोटोकॉल के तहत आयोजित की गई। कथा के पहले दिन उपस्थित जनसमूह को भगवान श्री राम की महिमा का महत्त्व बताया गया। संध्या के वक्त संकीर्तन का आयोजन भी हुआ जिसमें गांव के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
कथा वाचन घड़ी के दौरान राम उद्घोष क्रांति के विषयों पर भी ग्रामीणों के साथ चर्चा की गई। बड़ी बात तो यह है कि राम राज्य में सामाजिक सरोकार व आपसी भाईचारा कैसे निभाया जाए इन विषयों के ऊपर भी चर्चा हुई। इस उद्घोष क्रांति श्री राम जी की तीन दिवसीय कथा में धर्म के 30 लक्षणों के ऊपर भी चिंतन किया गया। जिसमें व्यास कथा वाचक उषा अंचल ने बताया कि सत्य, दया, पवित्रता, तपस्यचर्या, तितिक्षा के बारे में भी जानकारी दी। वही कठाना जामन की सेर में भी तीन दिवसीय कथा का आयोजन किया गया।
वेदव्यास अंचल शर्मा ने बताया कि गांव के लोगों एकल के बारे में जानकारी मिली और गांव वालों का कथा आयोजन के दौरान भरपूर सहयोग भी रहा। उन्होंने बताया कि इस गांव में हर परिवार रोज हनुमान चालीसा का पाठ करता है तथा गांव में एकल गांव की निवासी मीना कुमारी, कुंजना, ललिता आदि ने बताया कि आचार्य किरण बाला एक कल के साथ जुड़कर अनेक विषयों के बारे में गांव के बच्चों व ग्रामीणों का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं। गांव में एकल के माध्यम से दैनिक सत्संग भी चलता है। वेद व्यास ऊषा शर्मा ने राम कथा का बखान करते हुए कहा कि एक बार एक व्यक्ति समुद्रतट पर चिंता में बैठा था।
इतने में ही वहां से विभीषण गुजरे। उन्होंने व्यक्ति से पूछा कि तुम किस बात को लेकर चिंतित हो। तब व्यक्ति ने कहा कि उसे समुद्र पार जाना है लेकिन कोई साधन नहीं है। तब विभीषण ने कहा कि इस पर इतना उदास होने की क्या जरुरत है। विभीषण ने एक पत्ता लिया और उस पर राम का नाम लिख दिया। विभीषण ने व्यक्ति से कहा कि उन्होंने उसकी धोती में इसमें मैंने तारक मंत्र बांधा है। बिना घबराए ईश्वर पर भरोसा करते हुए पानी में चलते जाना। समुद्र पार पहुंच जाओगे।
विभीषण के वचनों पर विश्वास कर वह व्यक्ति समुद्र की तरफ बढ़ने लगा। वह व्यक्ति बडी ही आसानी से पानी पर चलने लगा। जब समुद्र के बीचों बीच आया तब उसे लगा कि ऐसा क्या मंत्र विभीषण ने बांधा है कि वो पानी पर चल पा रहा है। उसने अपने पल्लू में बंधा हुआ पत्ता खोला और पढ़ा तो उस पर राम का नाम लिखा था। उसे पढ़ते ही उसकी श्रद्धा तुरंत ही अश्रद्धा में बदल गयी। उसे लगा कि यह कोई तारक मंत्र नहीं है। यह तो सबसे सीधा सादा राम नाम है। उसके मन में आई अश्रद्धा के चलते ही वह डूबकर मर गया।