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    Home»चण्डीगढ़»बर्ड फ्लू का पंजाब में अभी कोई ख़तरा नहीं, परन्तु सरकार किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार: तृप्त बाजवा
    चण्डीगढ़

    बर्ड फ्लू का पंजाब में अभी कोई ख़तरा नहीं, परन्तु सरकार किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार: तृप्त बाजवा

    By Himachal VartaJanuary 7, 2021
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    मीट-मछली खाने वालों को डरने की ज़रूरत नहीं, सिर्फ पूरी तरह पकाकर खाने की आवश्यकता

    पंजाबी यूनिवर्सिटी को वित्तीय संकट से निकालने के लिए सरकार द्वारा हर संभव मदद की जाएगी

    स्मार्ट विलेज कम्पेन के दूसरे चरण के अंतर्गत गाँवों के सर्वपक्षीय विकास के लिए 2775 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे

    पंचायत विभाग ने 917 एकड़ पंचायती ज़मीन नाजायज़ कब्जों से मुक्त करवाकर ठेके पर दी

    12वीं पशुधन चैंपियनशिप और एक्सपो-2021 मार्च में बटाला में करवाया जाएगा

    चंडीगढ़ (हिमाचलवार्ता)। पंजाब के पशुपालन मंत्री तृप्त रजिंदर सिंह बाजवा ने आज यहां काह कि राज्य में अभी तक बर्ड फ्लू का कोई भी केस सामने नहीं आया है परन्तु सरकार किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। पंजाब भवन में अपने विभागों की पिछले चार साल की उपलब्धियों संबंधी रखी प्रैस कॉन्फ्ऱेंस के दौरान अपने संबोधन करते हुए लोगों को सचेत करते हुए कहा कि मीट-मछली खाने वालों को डरने की ज़रूरत नहीं सिर्फ इन वस्तुओं को अच्छी तरह पकाकर खाने की ज़रूरत है।

    श्री बाजवा ने कहा कि पशुपालन विभाग राज्य सरकार के अन्य विभागों के साथ मिलकरपूरी तरह निगरानी में जुटा हुआ है जिससे बाज़ार में ग़ैर मानक मीट-मछली न बिके। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की कि वह अफ़वाहें फैलाने वालों से बचें और यदि कोई अफ़वाह फैलाता है तो उसकी सूचना तुरंत प्रशासन को दें।

    उन्होंने बताया कि ग्रामीण विकास विभाग की तरफ से कोविड के दौरान बड़े स्तर पर आगे बढक़र लड़ाई लड़ी गई। राज्य के 12,860 गाँवों में 3 बारी सोडियम हाईपोक्लोराईड का छिडक़ाव करवाया गया। राज्य के 4,000 स्व-सहायता ग्रुपों की तरफ से 6.45 लाख मास्क तैयार किये गए। राज्य की पंचायतों को कोविड के विरुद्ध लड़ाई के लिए 50,000/- रुपए तक ख़र्च करने का अधिकार दिया गया।

    श्री बाजवा ने राज्य सरकार की अहम स्मार्ट विलेज स्कीम का जि़क्र करते हुए बताया कि साल 2019 में शुरू की गई स्मार्ट विलेज कम्पेन के पहले चरण में 835 करोड़ रुपए की लागत से 19,132 काम सम्पन्न किए गए हैं। साल 2020 के अक्तूबर महीने में शुरू किये गए दूसरे चरण में 2,775 करोड़ रुपए की लागत से 48,910 काम करवाए जा रहे हैं। राज्य भर में 750 पार्क और 750 खेल के मैदान बनाए जा रहे हैं जितना में से 117 खेल के मैदान मुकम्मल भी हो चुके हैं।

    उन्होंने बताया कि मौजूदा सरकार ने पिछले 4 सालों के दौरान मनरेगा स्कीम के अंतर्गत रजिस्टर्ड हुए वर्करों को 9 करोड़ 29 लाख दिन के रोजगार के द्वारा तकरीबन 2400 करोड़ रुपए मजदूरी के तौर पर दिए। साल 2017 से अब तक इस स्कीम के अंतर्गत 2994 करोड़ रुपए का ख़र्च किया गया, जबकि पिछली सरकार के 10 सालों के अरसे के दौरान (2007 से 2017 तक) सिफऱ् 2027 करोड़ रुपए ख़र्च किये गए थे। मनरेगा के अंतर्गत 2364 स्कूलों में विकास कार्य करवाए जा रहे हैं, जिस पर अब तक 18 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।

    श्री बाजवा ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं का सशक्तिकरण करने के मनोरथ के साथ कैप्टन अमरिन्दर सिंह की सरकार की तरफ से सभी पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं का आरक्षण 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। पंचायती राज संस्थाओं का सशक्तिकरण करने के लिए सरकार ने एक अहम फ़ैसला लिया है कि गाँवों में होने वाले सभी विकास कार्य पंचायतें ख़ुद करवाएँगी और पंचायती राज विभाग सिफऱ् उनको तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। गाँवों के विकास के लिए राज्य की 13,269 पंचायतों को हमारी सरकार की तरफ से 4,016 करोड़ रुपए मुहैया करवाए गए हैं।

    पंचायती और शामलात ज़मीनों की बढ़ी हुई आय संबंधी बात करते हुए श्री बाजवा ने बताया कि इस वर्ष 374.96 करोड़ की आय हुई है, जोकि 2016-17 में 292.74 करोड़ थी। 2016-17 में प्रति एकड़ औसत आय 20546/- रुपए थी, जो इस साल बढक़र 27,841/- रुपए प्रति एकड़ हो गई है। इसी अरसे के दौरान 917 एकड़ पंचायती ज़मीन नजायज़ कब्जों से मुक्त करवाकर ठेके पर दी गई।

    उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अंतर्गत अब तक 15,193 मकान बनाकर लाभार्थीयों को दे दिए गए हैं और 5742 मकान मुकम्मल होने के समीप हैं। एक मकान बनाने के लिए लाभार्थी को 3 किश्तों में 1,20,000/- रुपए मुहैया किये जाते हैं।

    पंजाब राज्य ग्रामीण आजीविका मीशन अधीन राज्य में 21,163 स्व-सहायता ग्रुप बनाए गए हैं, इन ग्रुपों में 2,20,240 महिलाएं शामिल हैं। इन ग्रुपों को अपने कारोबार शुरू करने के लिए 45.40 करोड़ रुपए की सहायता देने के अलावा सस्ती ब्याज दरों पर 115 करोड़ रुपए ऋण के तौर पर मुहैया करवाए गए हैं।

    रूरबन-श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुरबन मीशन के अंतर्गत गाँवों का टिकाऊ विकास करवाने के लिए 7 जिलों के 332 गाँवों के 8 रुरबन कलस्टर बनाकर विकास कार्य शुरू करवाए गए थे। कुल 240 करोड़ रुपए की स्कीम में से अब तक 100 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।

    गाँवों के छप्पड़ों की सफ़ाई और संभाल के लिए 192 गाँवों के छप्पड़ों को सीचेवाल और थापर मॉडल के अंतर्गत तैयार कर दिया गया है। पिछले साल मॉनसून से पहले राज्य के तकरीबन 12,296 छप्पड़ों को खाली करके गाद निकालने का काम पूरा किया गया था। इस कार्य पर 9.52 करोड़ रुपए की लागत आई। 49.75 करोड़ रुपए ख़र्च कर 190 गाँवों के छप्पड़ों के पानी को साफ़ करके सिंचाई के लिए प्रयोग करने का प्रबंध किया गया।

    श्री गुरु नानक देव जी के चरणस्थल राज्य के 63 गाँवों का सर्वपक्षीय विकास करने के लिए 1 करोड़ रुपए प्रति गाँव खर्च किए गए हैं। इन गाँवों में गलियों नालियों को पक्का करने के अलावा पार्क, जिम और स्ट्रीट लाईटों, स्कूलों और आंगनवाडिय़ों की इमारतों और पंचायत घरों के निर्माण जैसे विकास कार्य किये गए हैं। इसके अलावा गाँवों में कुल 77 लाख पौधे लगाए गए।

    स. बाजवा ने पंजाबी यूनिवर्सिटी के बारे पूछे सवाल का जवाब देते हुए कहा कि पंजाब सरकार द्वारा पंजाबी यूनिवर्सिटी को वित्तीय संकट से बाहर निकालने के लिए हर संभव सहायता की जायेगी। उन्होंने बताया कि पजाबी यूनिवर्सिटी के हर पहलू को जाँचने के लिए समिति की तरफ से विचार विमर्श किया जा रहा है। उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार की तरफ से पंजाबी यूनिवर्सिटी को फिर से राह पर लाने के लिए जितने अनुदान की आवश्यकता हुई वह दी जायेगी।

    महात्मा गांधी सरबत विकास योजना के अधीन पंजाब सरकार द्वारा अलग-अलग समय पर शुरू की गई लोक कल्याण स्कीमों का लाभ लेने से वंचित रह गए परिवारों और व्यक्तियों को गाँव-गाँव जाकर इन स्कीमों की सुविधा देने के लिए शुरू की गई इस स्कीम के अंतर्गत 11.25 लाख व्यक्तियों को लाभ पहुँचाया गया है।

    पशु पालन विभाग:

    पशु पालन विभाग संबंधी जानकारी सांझा करते हुये श्री तृप्त बाजवा न बताचा कि बठिंडे जिले के रामपुरा फुल कस्बे में 92.14 करोड़ रुपए की लागत से एक नया वैटरनरी साईंस कॉलेज शुरू किया गया है। इस कॉलेज में पहले बैच की कक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। राज्य के पशु पालकों को उनके पशुओं की देखभाल और बेहतरीन इलाज की सहूलतें मुहैया करवाने के लिए 117 वैटरनरी डॉक्टर भर्ती किये गए हैं। इसके अलावा 353 वैटरनरी अफसर, 866 वैटरनरी इंस्पेक्टर, 7 लैब टैक्नीशियन और 1 लॉ असिस्टेंट की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।

    उन्होंने बताया कि राज्य के 9941 नये डेयरी फार्मरों को नये डेयरी यूनिट स्थापित करने के लिए 200 करोड़ रुपए की सहायता दी गई। राज्य के 20890 पढ़े-लिखे नौजवानों को डेयरी धंधे का प्रशिक्षण दिया गया। आधुनिक कैटल शैड बनाने के लिए 346 लाभपात्रियों को 5 करोड़ 3 लाख रुपए की सहायता दी गई।

    श्री बाजवा ने एक और अहम जानकारी साझा करते हुए बताया कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग को कोविड-19 टेस्टिंग प्रक्रियों में सहयोग देने हेतु अगस्त, 2020 को एन.आर.डी.डी.एल., जालंधर और गुरू अंगद देव वेटनरी एंड एनिमल साइंसज़ यूनिवर्सिटी, लुधियाना में आई.सी.एम.आर. सर्टिफाइड कोविड-19 टेस्टिंग लेबों की स्थापना की गई है। अब तक उक्त दोनों लेबों में वैज्ञानिकों द्वारा तकरीबन 2.00 लाख सैंपलों को ऐनालाईज किया जा चुका है। कोविड-19 पर सफलतापूर्वक नियंत्रण करने के उपरांत इन कोविड-19 लैबों के इनफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं को पशुओं की वायरल बीमारियों की इन्वैस्टीगेशन के लिए इस्तेमाल किया जायेगा।

    उन्होंने साथ ही बताया कि पंजाब वैटरनरी वैक्सीन इंस्टीट्यूट, लुधियाना को राज्य में पशुओं की विभिन्न बीमारियों की वैक्सीनें तैयार करने के लिए आर.के.वी.वाई. स्कीम के अंतर्गत 32.00 करोड़ रुपए के फंड के साथ अपग्रेड किया जा रहा है। इस संस्था की तरफ से नयी तकनीक से सैल कल्चर स्वाईन फीवर वैक्सीन का उत्पादन शुरू किया गया है। इस प्रकार पंजाब आई.वी.आर.आई., इज्जतनगर, बरेली के साथ मटीरियल ट्रांसफर समझौता करने के उपरांत इस वैक्सीन का उत्पादन करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।

    राज्य में नस्ल सुधार के लिए सांडों संबंधी जानकारी देते हुए श्री बाजवा ने बताया कि भारत सरकार की तरफ से जर्मनी से आयात किये गए एच.एफ. नस्ल के 04 सांड पशु पालन विभाग, पंजाब को राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत नेशनल डेयरी डिवैल्पमैंट बोर्ड के द्वारा मुफ्त में उपलब्ध करवाए गए हैं, जोकि प्रति सांड 9.00 लाख रुपए की कीमत के हैं। इन सांडों से 24 महीनों के अंदर-अंदर सीमन का उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है और उत्पादन के पहले साल दौरान तकरीबन 8000 से 10000 सीमन स्टराअज़ का उत्पादन होने की संभावना है। नतीजे के तौर पर पंजाब राज्य के लोकल जीन पुल में ऐग्जौटिक जर्मप्लाज़्म उपलब्ध होने से इस नस्ल की आनुवांशिकी संभावना में अपग्रेडेशन होगी।

    इसके अलावा आनुवंाशिकी सुधार के द्वारा भैंसों की नस्लों का सुधार करने और उत्तम नस्ल की भैंसों के हर्ड की स्थापना करने के मंतव्य के लिए गाँव बूह, जिला तरन तारन में 20.00 करोड़ रुपए की कुल लागत से रीजनल रिर्सच एंड ट्रेनिंग सैंटर की स्थापना की गई है। देसी गायों (साहिवाल और गिर) के संरक्षण, विकास और प्रचार के मंतव्य के साथ 12.84 करोड़ रुपए की कुल लागत के साथ बीड़ दोसांझ, नाभा में उत्तम नस्ल की देसी गायों को रखने हेतु एक स्टेट ऑफ दी आर्ट इंडीजीनस केटल ब्रीडिंग फार्म, गोकुल ग्राम की स्थापना की गई है।

    एक और प्रोग्राम का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि भारत सरकार के कृत्रिम गर्भाधान प्रोग्राम के अंतर्गत पंजाब राज्य के सभी गाँवों में 11.00 लाख योग्य भैंसों और गायों में उत्तम गुणवत्ता वाले सीमन के साथ मुफ्त कृत्रिम गर्भाधान किया जा रहा है। गर्भाधान किये गए जानवरों को 12 अंकों वाला ईयर टैग लगाया जा रहा है और इस सम्बन्धी डाटा को नेशनल डाटाबेस पर अपलोड किया जा रहा है।

    राज्य में प्रोजनी टेस्टिंग मुरहा, पैडिगरी स्लैक्शन नीली रावी और प्रोजनी टेस्टिंग साहिवाल प्रोजेक्टस के अंतर्गत क्रमवार 23.49 करोड़ रुपए, 5.24 करोड़ रुपए और 13.02 करोड़ रुपए की कुल लागत से मुरहा, नीली रावी और साहिवाल नस्ल के हाई जेनेटिक मेरिट सांडों का उत्पादन किया जा रहा है।

    इस मौके पर श्री बाजवा ने 12वीं पशुधन चैंपियनशिप और एक्सपो-2021 की तारीखों का ऐलान भी किया और बताया कि इस साल मार्च महीने में 12वीं पशुधन चैंपियनशिप और एक्सपो 16 से 20 तारीख तक बटाला, जिला गुरदासपुर में करवाया जा रहा है।

    राज्य में भेजे गए सूअरों संबंधी जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा साल 2020-21 में उत्तरी -पूर्वी राज्यों के लिए 257 ऐग्जौटिक पिग्ज़ ईम्पोर्ट किये गए थे। परंतु उसी समय के दौरान उत्तरी-पूर्वी राज्यों में बीमारी फैलने के कारण भारत सरकार द्वारा इन सूअरों को अस्थायी तौर पर पंजाब राज्य में री-लोकेट किया गया है। इन सूअरों को सरकारी सूअर फार्म, नाभा (पटियाला) और होशियारपुर में रखा गया है। इन सूअरों से पैदा होने वाले पिग्गलैटस को राज्य के सूअर पालकों को उपलब्ध करवाया जायेगा, जिससे राज्य के मौजूदा सूअरों के जर्मप्लाज्म में जेनेटिक अपग्रेडेशन होगी और सूअरों के उत्पादन में विस्तार होने के साथ-साथ राज्य की आर्थिकता को भी बढ़ावा मिलेगा।

    राज्य में झींगा मछली पालन के पेशे को उत्साहित करने के लिए जिला मुक्तसर के गाँव ईनाखेड़ा में प्रदर्शन कम सिखलाई केंद्र स्थापित किया गया है, जहाँ मछली पालकों को सिखलाई देने के साथ-साथ सीड उत्पादन भी किया जायेगा।

    राज्य में सिर्फ 14 एकड़ के साथ शुरू हुआ झींगा मछली पालन का पेशा अब 410 एकड़ क्षेत्रफल तक पहुँच चुका है। इस साल 788 टन झींगा मछली का उत्पादन हुआ और मछली पालकों को 350-400 रुपए प्रति किलो का लाभदायक भाव मिला। इस साल 1865 एकड़ नया क्षेत्रफल मछली पालन के अधीन लाया गया, इस समय राज्य के 41,827 एकड़ क्षेत्रफल में मछली पालन का पेशा किया जा रहा है। फाजिल्का जिले के गाँव किल्यांवाली में एक नया मछली पुंग फार्म स्थापित किया जा रहा है।

    उच्च शिक्षा और भाषा विभाग:

    उच्च शिक्षा विभाग की उपलब्धियों का जि़क्र करते हुए कैबिनेट मंत्री बाजवा ने बताया कि पंजाब में उच्च शिक्षा के प्रसार के लिए दो नयी यूनिवर्सिटियाँ – जगत गुरू नानक देव पंजाब स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी, पटियाला और गुरू तेग़ बहादुर पंजाब स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, कैरों, तरन तारन स्थापित की गई हैं। इसके साथ ही 12 नये सरकारी कॉलेज स्थापित किये गए हैं और 8 कॉलेजों की इमारतें निर्माणाधीन हैं। सरकारी कॉलेजों में 8 प्रिंसिपल, 1000 एसोसिएट प्रोफैसरों और 48 लाइब्रेरियनों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों में सहायक प्रोफेसरों के मंजूर किये गये 1925 पदों में से 1300 पद भरने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

    उन्होंने साथ ही बताया कि भाषा विभाग की तरफ से पिछले साल 25 लेखकों को 21,000 रुपए की राशि देकर सम्मानित किया गया। पिछले 5 सालों से लम्बित पड़े पुरुस्कारों का ऐलान कर दिया गया है और यह पुरुस्कार इस साल दे दिए जाएंगे।

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