3 चरणों में निर्धारित होगा पंचायती राज चुनाव के दावेदारों का भाग्य
नाहन (हिमाचलवार्ता)। वर्ष 2021 के लिए आने वाले 5 सालों हेतु जिला सिरमौर के पंचायती राज के लिए 2828 दावेदार मैदान में है। 3 चरणों में होने वाले चुनाव के लिए जिला परिषद हेतु कुल 47 पंचायत समिति के लिए 292 प्रधान पद के लिए 724 उप प्रधान पद के लिए 598 तथा वार्ड मेंबर के लिए 1187 उम्मीदवार मैदान में है। जिला की कुल 259 पंचायतों के लिए पहले चरण में 17 जनवरी को 87 पंचायतों में 19 जनवरी को 88 तथा 21 जनवरी को 84 पंचायतों में विधिवत चुनाव संपन्न करवाए जाएंगे। गौरतलब हो कि इस बार जिला सिरमौर में 31 नई पंचायतें भी बनाई गई हैं जिसके बाद जिला में कुल पंचायतों की संख्या 259 हो गई है।
अच्छी बात तो यह है कि इस बार जिला सिरमौर प्रशासन तथा जिला सिरमौर पंचायती राज विभाग के अथक प्रयास व कड़ी मेहनत के बाद जो डाटा तैयार किया गया है उस में कहीं भी विवाद की कोई गुंजाइश नजर नहीं आती है। पोलिंग पार्टियां बीते कल यानी 15 जनवरी को अपने गंतव्य के लिए रवाना हो चुकी थी। अब आपको यह भी बता दें कि पच्छाद ब्लॉक में पंचायत समिति हेतु 41 पंचायत प्रधान के लिए 126 तथा उप प्रधान के लिए 118 वार्ड मेंबर के लिए 148 उम्मीदवार मैदान में है।
इसी प्रकार राजगढ़ ब्लाक के लिए पंचायत समिति हेतु 39 प्रधान पद के लिए 106 उप प्रधान के लिए 62 तथा वार्ड मेंबर के लिए 73 उम्मीदवार भाग्य आजमाएंगे। शिलाई ब्लॉक हेतु ब्लॉक समिति के लिए 21 प्रधान पद के लिए 56 उप प्रधान के लिए 34 तथा वार्ड मेंबर के लिए 64 उम्मीदवार है। नाहन ब्लॉक में 51 उम्मीदवार पंचायत समिति के लिए, पंचायत प्रधान के लिए 111, उप प्रधान के लिए 125 तथा 311 वार्ड मेंबर के लिए दावेदार हैं। संगड़ाह ब्लॉक में पंचायत समिति हेतु 27, प्रधान पद हेतु 101, उप प्रधान के लिए 46 तथा वार्ड मेंबर के लिए 36 दावेदार मैदान में बैठे हुए हैं।
पांवटा साहिब ब्लॉक में पंचायत समिति के लिए 113, प्रधान पद के लिए 224, उप प्रधान पद के लिए 213, 495 उम्मीदवार वार्ड मेंबर के लिए अपना भाग्य आजमा आएंगे। अब पूरे जिला में सिर्फ कांटी मशवा एक ऐसी पंचायत है जहां पर निर्विरोध प्रधान चुना गया था मगर प्रधान का वोटर लिस्ट में नाम नहीं था। जिसके बाद अगले उपचुनाव तक उप प्रधान ही गांव का प्रधान माना जाएगा।
बरहाल इस बार अधिकतर पंचायतों में जो ज्यादा घमासान है उसमें भाजपा समर्थित कैंडिडेट के सामने अधिक जगह पर पार्टी से नाराज उम्मीदवार आजाद तौर पर मैदान में उतरे हुए हैं। हालाँकि ऐसा नहीं कि केवल भाजपा के हैं कुछ हद तक कांग्रेस में भी कमोबेश यही स्थिति बनी हुई है।