भाजपा के चाणक्य फेल अभी तक नहीं कर पाए जिला परिषद के लिए जोड़-तोड़
यहां हो सकती है कांग्रेस के किले को भेदने की कोशिश
नाहन (हिमाचलवार्ता)। पांवटा साहिब में बड़ी किरकिरी के बाद जिस प्रकार नगर परिषद पर भाजपा ने कब्जा किया उसी फार्मूले पर जिला परिषद की भी तैयारी चल रही है। हालांकि पच्छाद का कांग्रेसी हो या फिर श्री रेणुका जी का भाजपा उन्हें तोड़ नहीं सकती। मगर पांवटा साहिब साहिब और माजरा में कमजोर कड़ी को तोड़ने की भरस्कर कोशिशें जारी हैं। हालांकि पांवटा साहिब में भी भाजपा नगर परिषद बनाने में कामयाब ना होती अगर कांग्रेस के एक बड़े नेता ने रात के अंधेरे में पाला बदलवाने की कोशिश ना की होती। कांग्रेसी नेता की वजह से ही पांवटा साहिब में नगर परिषद बनी थी।
ऐसे में जिला सहित प्रदेश के दिग्गजों को अपने ही एक पार्टी के नेता की कमी नजर आ रही है। यह ऐसे नेता है जो अपनी ही सरकार में अलग-थलग पड़े हुए हैं। इसमें भी कोई शक नहीं कि जिस प्रकार उन्हें कमजोर करने की कोशिश जारी की जा रही है। आज उन्हें यह जिम्मेवारी दी गई होती तो संभव था 1 दिन नहीं बल्कि मात्र कुछ घंटों में ही जिला परिषद भी भाजपा की झोली में होती।
अब अगर बात की जाए आजाद उम्मीदवार नीलम शर्मा की तो उसके लिए भाजपा में जाना भविष्य में नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। क्योंकि जिस महिला नेत्री का उसे जितने में वरद हस्त मिला था उसकी इस विधानसभा क्षेत्र के दो प्रमुख नेताओं से 36 का आंकड़ा है। ऐसे में भविष्य के पोलिटिकल कैरियर पर विराम भी लगता है।
अब यदि इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को वर्ष 2022 में अपनी वापसी करनी है तो उन्हें जीआर मुसाफिर को रिटायरमेंट देनी होगी। जानकारी तो यह भी है कि जीआर मुसाफिर एक बार फिर अपना भाग्य 2022 के चुनाव में आजमाना चाहते हैं। जिसके बाद लगभग तय है कि उनकी पूरी पॉलिटिकल डेट हो जाएगी।
अब यदि खुद जीआर मुसाफिर दयाल प्यारी को सम्मान सहित कांग्रेस में शामिल कर भावी प्रत्याशी घोषित कर देते हैं तो निश्चित ही एक मजबूत जिला परिषद और भविष्य में यह विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस के पाले में होगा। वजह यह भी है कि दयाल प्यारी अच्छा खासा वोट बैंक रखती है और उसका रसूख भी बरकरार है। अब यदि नीलम शर्मा केवल जिला परिषद की अध्यक्षता को लेकर भाजपा के साथ सहयोग करती है तो यह केवल उसके लिए फायदेमंद साबित होगा। मगर राजनीतिक सफर में कैरियर छोटा होगा।
उधर पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में रीना कश्यप बिल्कुल बेदाग छवि के साथ व्यवहारिक तौर पर भी एक बेहतर विधायक साबित हो रही है। और अब तो सतीश ठाकुर जैसा किलेदार भी उनके साथ होगा। ऐसे में कांग्रेस को कड़े निर्णय इस विधानसभा क्षेत्र के लिए लेने होंगे। यह पुराने भाजपा दिग्गजों का कद कितना है यह तो जिला परिषद बनाने में हो रही देरी खुद-ब-खुद साबित कर रही है। हालांकि भाजपा के आला ऊपरी क्षेत्रों में काफी माथापच्ची कर चुके हैं। अब उनकी नजरें पावटा और माजरा की ओर लगी हुई है। बरहाल देर से बनाई जिला परिषद भाजपा के लिए नसीहत और कांग्रेस के लिए फजीहत होगी।