लाखों खर्च के बावजूद सिरमौर में सड़क सुरक्षा अभियान बना मात्र औपचारिकता
आयोजित करवाई अल्ट्रामैरॉथन मगर कोरोना प्रोटोकॉल की उड़ी धज्जियां
नाहन (हिमाचलवार्ता)। हिमाचल प्रदेश सरकार सड़कों पर सुरक्षा को लेकर जितनी गंभीर नजर आती है मगर जिला सिरमौर में परिवहन विभाग उतना ही लापरवाह नजर आ रहा है। वजह है सड़क सुरक्षा अभियान केवल औपचारिकता बनकर रह गया है। हैरानी तो इस बात की है कि सरकार के द्वारा जहां पहले सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता था वही इसे इस बार सड़क सुरक्षा माह घोषित किया गया है। जिला सिरमौर को सरकार के द्वारा लाखों रुपए का बजट भी इस 1 महीने के जागरूकता अभियान के लिए दिया गया है।
बावजूद इसके परिवहन विभाग केवल औपचारिकताओं की पूर्ति ही रहा है। विभाग ब्लैक स्पॉट को लेकर अभी भी 2010 और 2011 के आंकड़ों पर ही कार्य कर रहा है। विभाग पुलिस के साथ मिलकर जिला में जागरूक कैंप लगाने का दावा कर रहा है। मगर दिन ढलने के बाद जब माइनिंग की ओवरलोडेड गाड़ियां शहर और सड़कों से होकर गुजरती है तो उस समय यह जागरूकता गायब हो जाती है। जिला में दो जगह इंडस्ट्रियल एरिया है। इंडस्ट्रियल एरिया में ट्रांसपोर्टर गैर ट्रांसपोर्ट अपने वाहनों के साथ उपस्थित रहते हैं।
ऐसे में होना यह चाहिए था कि विभाग की उपस्थिति में यह ट्रांसपोर्टर अपने चालको परिचालकों को सड़क पर सुरक्षा कैसे हो यह जानकारी दे। जबकि विभाग के द्वारा केवल कुछ जगह टेंट लगाकर आने जाने वाले वाहनों को रोक कर उन्हें प्रिंटेड मैटर सर्कुलेट किया जा रहा है। इसके अलावा हेल्थ चेकअप के दावे भी किये जा रहे है। मगर इन दावों का लाभ जिस जिला के लिए खर्च किया जा रहा है उस जगह के चालक परिचालक को कितना मिल रहा है इस पर सवालिया निशान है।
विभाग हाईवे पर टेंट तंबू लगाकर केवल टूरिस्ट व्हीकल को ही ज्ञान बांट रहा है। मजे की बात तो यह है कि इस जागरूकता अभियान में खर्चों को लेकर भी कुछ सवालिया निशान खड़े हुए हैं। जानकारी यह भी है कि विभाग के द्वारा कोरोना को लेकर काफी महंगे दामों पर फेस मास्क भी प्रिंट करवाए गए हैं। जबकि सरकारी रेट के अनुसार मास्क का रेट 6 रुपए रखा गया है। भारी भरकम खर्च पर जागरूकता अभियान के नाम पर वाहन भी दौड़ाये जा रहे हैं। जबकि जिला में यही कार्य संबंधित ब्लॉक व विधानसभा क्षेत्र के प्रधान या अन्य जनप्रतिनिधियों के द्वारा भी करवाया जा सकता है।
आज शुक्रवार को विभाग के द्वारा करीब 90 किलोमीटर की अल्ट्रा मैराथन दौड़ भी करवाई गई। इस अल्ट्रा मैराथन दौड़ में बतौर रोल मॉडल धावक वीरेंद्र सिंह ने हिस्सा लिया। इस दौड़ में कई युवा भी शामिल थे। मगर इस दौड़ में सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता कम, दौड़ का जोश ज्यादा था। लोगों का कहना है कि जितना खर्चा प्रशासन और विभाग इन कार्यों पर करता है उससे अच्छा तो वाहनों के फ्री चेकिंग कैंप और ड्राइवरों का हेल्थ चेकअप करता। गाड़ियों के फ्री चेकिंग कैंप को लेकर चालक परिचालक कार्यक्रम में हिस्सा भी लेते और जागरूकता का भी सही संदेश फलीभूत होता।
मजे की बात तो यह है कि जब उपायुक्त सिरमौर ने अल्ट्रामैरॉथन की समाप्ति पर धावकों से यह पूछा कि सड़क सुरक्षा के क्या मायने हैं तो केवल 1-2 युवा ही सड़क के कायदे बता पाए। बड़ी बात तो यह है कि प्रशासन की उपस्थिति में कोरोना वायरस प्रोटोकॉल की भी जमकर धज्जियां उड़ाई गई। हालांकि दौड़ते समय मास्क लगाया नहीं जा सकता मगर दौड़ समाप्ति के बाद मास्क लगाना जरूरी था। मगर कार्यक्रम में ना तो किसी धावक ने मास्क लगाया और ना ही सोशल डिस्टेंस मेंटेन किया गया। इक्का-दुक्का लोग परिवहन विभाग के प्रिंटेड मास्क लगाकर नजर आए।
तो बच्चों ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें मास्क नहीं दिए गए हैं। यही कार्यक्रम के बाद एक रेस्त्रां में महंगे जलपान के साथ महंगा खाना भी खिलाया गया। हालांकि सड़क सुरक्षा क्लब इनरव्हील क्लब सहित पुलिस प्रशासन के द्वारा हिना धावकों का उत्साह वर्धन भी किया गया। साथ ही सड़क पर सुरक्षा को लेकर जानकारी भी दी गई । मगर विभाग जिसका मुख्य दायित्व सड़क पर सुरक्षा कैसे हो उसको लेकर जो रोड मैप तैयार किया जाना चाहिए था उसकी बड़ी कमी नजर आई। बरहाल सड़कों पर अभी भी रैश ड्राइविंग हो रही है, दिन ढलते ही ओवरलोडेड ट्रकों का दौर चलता है।
कान फाडू होरन बजाए जाते हैं। सड़कों के किनारे इंडस्ट्रियल एरिया में अवैध रूप से भारी वाहन पार्क होते हैं। टैक्सी परमिट की जगह निजी वाहन सवारियां ढोते नजर आते हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि लाखों रुपए खर्च ने के बावजूद सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान विभाग के लिए केवल एक सरकारी आदेश की औपचारिकता और खाना पूर्ति करना बनकर रह गया है।
उधर, परिवहन अधिकारी सोना चौहान का कहना है कि विभाग पूरे जिला भर में सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चला रहा है। उन्होंने बताया कि लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से अल्ट्रा मैराथन दौड़ का भी आयोजन करवाया गया। सोना चौहान का कहना है कि जागरूकता शिविर के साथ-साथ हेल्थ चेकअप कैंप भी लगाए जा रहे हैं।