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    Home»चण्डीगढ़»रोजी-रोटी और बेहतर भविष्य की आस व तलाश में बहुत-से लोगों को अपना घर-बार छोडऩा पड़ता है। लेकिन व्यक्ति कहीं भी चला जाए ‘जननी जन्मभूमि’ से जुड़ी यादें भुलाए नहीं भूलती
    चण्डीगढ़

    रोजी-रोटी और बेहतर भविष्य की आस व तलाश में बहुत-से लोगों को अपना घर-बार छोडऩा पड़ता है। लेकिन व्यक्ति कहीं भी चला जाए ‘जननी जन्मभूमि’ से जुड़ी यादें भुलाए नहीं भूलती

    By Himachal VartaFebruary 2, 2021
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    चंडीगढ़ (हिमाचलवार्ता)। रोजी-रोटी और बेहतर भविष्य की आस व तलाश में बहुत-से लोगों को अपना घर-बार छोडऩा पड़ता है। लेकिन व्यक्ति कहीं भी चला जाए ‘जननी जन्मभूमि’ से जुड़ी यादें भुलाए नहीं भूलती और सात समंदर पार जाने पर भी अपनी माटी की सौंधी खुशबू उसे अपनी तरफ आकर्षित करती ही रहती है। हर कोई अपने रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों तथा धर्म व संस्कृति को सहेजकर रखता है और समय-समय पर इस बहाने ‘अपनों’ के बीच होने का अहसास करता रहता है। दूसरे शब्दों में, मातृभूमि के प्रति प्रेम या लगाव के इसी भाव या जज्बे को देशप्रेम या देशभक्ति कहा जाता है।

    ऑस्ट्रेलिया में बसे हरियाणवियों ने भी इसी जज्बे को बरकरार रखा है। उनके संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ हरियाणवीज इन ऑस्ट्रेलिया’ (ए.एच.ए.) ने भारत के 72वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में राष्ट्रीय स्तर पर रक्तदान मुहिम चलाकर एक तरफ जहां गणतंत्र दिवस में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर देश-प्रेम का परिचय दिया तो वहीं ‘रक्तदान महादान’ के सूत्रवाक्य को भी सार्थकता प्रदान की।

    इस मुहिम के राष्ट्रीय संयोजक सतीश खत्री ने बताया कि राष्ट्रीय अवकाश होने के बावजूद गणतंत्र दिवस के मौके पर सिडनी, मेलबर्न और एडिलेड शहरों से 150 से ज्यादा लोगों ने सहर्ष रक्तदान किया। इस रक्तदान से तकऱीबन 450 जिंदगियां बचायी जा सकती हैं।  श्री खत्री ने बताया कि इनमें से बहुत सारे लोगों ने अपने जीवन में पहली बार रक्तदान कर गौरव का अनुभव किया। उन्होंने यह भी बताया इस मुहिम के सफल संचालन के लिए 20 से ज्यादा स्वयंसेवकों ने दिन-रात मेहनत की। पंकज मित्तल, प्रवीण कुमार सिंगरोहा, अशोक कुंडू  और अमन बुरा ने विभोर शर्मा और मंजीत साहू की मदद से अपनी-अपनी टीमों के साथ मिलकर इसके सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    ए.एच.ए.के संस्थापक अध्यक्ष सेवा सिंह रेढू ने इस रक्तदान मुहिम के सफल संचालन के लिए सभी रक्तदाताओं, आयोजन समिति के सदस्यों और स्वयंसेवकों का धन्यवाद करते हुए बताया कि संगठन द्वारा रक्तदान की ऐसी मुहिम साल में दो बार, यानी भारत के गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय स्तर पर चलाई जाती है। उन्होंने बताया कि 26 जनवरी का महत्व ऑस्ट्रेलिया में बसे हरियाणवियों के लिए ही नहीं बल्कि समस्त भारतीयों के लिए बहुत ज्यादा है क्योंकि इसी दिन ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ अपना राष्ट्रीय दिवस सांझा करता है जिसे वहां ‘ऑस्ट्रेलिया डे’ कहते हैं। श्री रेढू ने बताया कि उनकी योजना है कि ए.एच.ए.द्वारा ऐसे रक्तदान शिविरों का आयोजन साल में कम-से-कम 4 बार किया जाए ताकि ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके।

    संगठन के विक्टोरिया चैप्टर के अध्यक्ष सतपाल चहल ने मेलबर्न से बताया कि इस आयोजन के लिए एक टीम स्थाई रूप से नियुक्त की गई है जो स्वयंसेवकों का चयन करती है और रक्तदान मुहिम के सफल संचालन के लिए दिन-रात काम करती है। उन्होंने मेलबर्न में रह रहे हरियाणवियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्हें उन पर गर्व है क्योंकि इस मुहिम में सबसे ज्यादा रक्तदाता मेलबर्न शहर से शामिल हुए।

    एडिलेड शहर से मुहिम के संयोजक अशोक कुंडू ने कहा कि यहां बसे हरियाणवियों ने पहली बार इतनी संख्या में किसी राष्ट्रीय पर्व पर रक्तदान किया है। उन्होंने भी अपने शहर में रह रहे हरियाणवियों का धन्यवाद किया और उन्हें भविष्य में लगाए जाने वाले रक्तदान शिविरों में ज्यादा से ज्यादा संख्या में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

    गौरतलब है कि ए.एच.ए. एक सामाजिक संगठन है जिसका एकमात्र उद्देश्य ऑस्ट्रेलिया में बसे हुए हरियाणवी परिवारों को जोडऩा और अपनी संस्कृति, सभ्यता और परंपराओं को जीवित रखना है। संगठन के बारे में ज्यादा जानकारी उनकी वेबसाइट www.myaha.org.au पर या उन्हें [email protected] पर ईमेल करके हासिल की जा सकती है।

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