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    Home»हिमाचल प्रदेश»अंजना शर्मा ने कांग्रेस का हाथ क्यों छोडा, जानिए!
    हिमाचल प्रदेश

    अंजना शर्मा ने कांग्रेस का हाथ क्यों छोडा, जानिए!

    By Himachal VartaFebruary 8, 2021
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    नाहन (हिमाचलवार्ता)। आखिरकार 35 वर्षों से कांग्रेस में रही वरिष्ठ नेत्री अंजना शर्मा को कांग्रेस से क्यों किनारा करना पड़ा। इसको लेकर न केवल पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र में बल्कि समूचे जिला सिरमौर में चर्चाओं का बाजार गर्म है। कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के कार्यकर्ता भले ही अंजना शर्मा पर कई संगीन इल्जाम लगा रहे हैं कि अंजना शर्मा  ने सत्ता सुख के लिए पाला बदला है।
    यही नहीं कई  लोगों द्वारा अंजना शर्मा के पोस्टरों पर कालिक तक पोत डाली , लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। किसी भी कांग्रेस नेता ने यह जानने की जहमत नहीं उठाई कि आखिर वयोवृद्ध नेत्री को ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा। गौर हो कि पांवटा निर्वाचन क्षेत्र के जिला परिषद वार्ड भंगानी से अंजना शर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी।
    जिला सिरमौर में जिला परिषद् के कुल 17 वार्ड है।  इनमे से भाजपा व कांग्रेस को किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। दोनों ही पार्टियों के पास जिला परिषद की आठ -आठ सीटें आई।  पच्छाद विधानसभा क्षेत्र के बाग पशोग जिला परिषद वार्ड से बतौर निर्दलीय नीलम शर्मा ने जीत हासिल की।
    जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस ने नीलम शर्मा को अपने खेमे में मिला लिया। जिला सिरमौर में किंग मेकर कही जाने वाली नीलम शर्मा को कांग्रेस ने अपने खेमे में तो मिला लिया लेकिन तीन दशक से पार्टी के लिए तन्मयता से काम करने वाली अंजना शर्मा के दर्द को नहीं समझ पाई। ना ही उन्हें कांग्रेस पार्टी ने उन्हें किसी पद पर विराजमान करने की कोशिश की।
    नतीजतन अंजना शर्मा की दुखती रग पर भाजपा ने हाथ रख दिया। नतीजा यह रहा कि जिला परिषद के अध्यक्ष पद से कांग्रेस को हाथ धोना पड़ा। अंजना शर्मा विधानसभा क्षेत्र तीन दशकों से कांग्रेस के लिए कार्य कर रही थी। अंजना शर्मा ना केवल पंचायत प्रधान बल्कि बीडीसी डीडीसी पर भी विराजमान रही है। बताते है कि कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री को पार्टी के नेताओं द्वारा कोई तवज्जो नहीं दी , अपनी अनदेखी चलते अंजना को अपना स्वाभिमान बचाने के लिए भाजपा का साथ देना पड़ा।
    परिणाम यह रहा कि जिला सिरमौर मैं जिला परिषद की सरदारी भाजपा के पाले में चली गई। भले ही कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता अंजना शर्मा पर कई प्रकार के आरोप लगा रही है लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। अंजना शर्मा का कहना है कि यदि कांग्रेस पार्टी द्वारा उन्हें सम्मान दिया होता तो उन्हें भाजपा का समर्थन ना करना पड़ता। बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी ने पच्छाद से बतौर निर्दलीय नीलम शर्मा को सिर आंखों पर बिठा लिया लेकिन अपनी वरिष्ठ कार्यकर्ता को दरकिनार कर दिया जिसके चलते अंजना शर्मा भाजपा का साथ दिया।
    यही नहीं जब कांग्रेस पार्टी के जिला परिषद सदस्यों ने शपथ ग्रहण की उसमें भी अंजना शर्मा नहीं पहुंची। देर शाम को पांवटा साहिब के पूर्व विधायक किरनेश जंग ने अंजना शर्मा के घर जाकर उसके साथ ना केवल फोटो लि , बल्कि सोशल मीडिया पर फोटो वायरल कर लिखा की जिला परिषद की हॉट सीट पर कांग्रेस ही विराजमान होगी।
      यही नहीं शिलाई के विधायक और कांग्रेस के प्रदेश महासचिव हर्षवर्धन चौहान ने तो मीडिया के समक्ष बयान दिया था की कांग्रेस के संपर्क में भाजपा के जिला परिषद् सदस्य भी है और कांग्रेस को 17 में से 11 का समर्थन मिलेगा। जबकि भाजपा ने अंतिम समय तक अपने पत्ते नहीं खोले , शनिवार को जब जिला मुख्यालय नाहन में जिला परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होना था उस दौरान अंजना शर्मा भाजपाइयों के साथ जिला परिषद भवन पहुंची।
    जैसे ही अंजना भाजपा सदस्यों के साथ जिला परिषद पहुंची उसके बाद कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में कानाफूसी शुरू हो गई और कांग्रेसी नेता जिला परिषद स्थल से अपने कार्यालय की ओर रुखसत होते गए। दोपहर करीब 12 बजे जिला परिषद का परिणाम आया तो भाजपा की सीमा कन्याल अध्यक्ष और कांग्रेस से जीत कर आई अंजना शर्मा उपाध्यक्ष के पद पर विराजमान रही। उसके बाद सोशल मीडिया पर मानो अंजना शर्मा के खिलाफ कांग्रेसियों के बयान की बाढ़ आ गई। 
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