
युद्ध जीतने और पुत्र पैदा होने की खुशी में उस समय श्री गुरु गोविंद सिंह जी की अगुवाई में भंगानी साहिब से पांवटा साहिब तक फतेह मार्च निकाला गया था। यह परंपरा आज भी कायम है। पांवटा साहिब क्षेत्र का माहौल गुरुमय था। संगतें पांवटा साहिब की धरती पर पैदा हुए श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रथम पुत्र बाबा अजीत सिंह जी के प्रकाशोत्सव पर फतह मार्च के लिए जुटे। साहिबजादा अजीत सिंह के जन्मदिवस और श्री गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा जीवन काल के पहले युद्ध की जीत की खुशी में हर वर्ष खालसा फतेह मार्च आयोजित किया जाता है।
दरअसल नाहन रियासत के राजा मेदनी प्रकाश के आग्रह पर श्री गुरु गोविंद सिंह जी लाव लश्कर के साथ पहले नाहन और फिर पांवटा साहिब पहुंचे थे। यहां उन्होंने अपने जीवन काल का पहला युद्ध भंगानी साहिब में लड़ा था। 11 फरवरी को यह युद्ध उन्होंने गढ़वाल के राजा फतेह शाह से नाहन रियासत का हड़पा हुआ हिस्सा वापस लेने के लिए लड़ा था। इस सिद्ध में गुरु गोविंद सिंह जी की सेना ने जीत हासिल की थी। इसी दिन युद्ध समाप्ति के बाद उन्हें पांवटा साहिब में पुत्र के जन्म की भी सूचना मिली थी।
लिहाजा खालसा सेना ने स्थानीय लोगों के साथ मिल कर भंगानी साहिब से पांवटा साहिब तक फतेह मार्च निकाला था। पांवटा साहिब क्षेत्र के लोगों ने इस परंपरा को आज तक कायम रखा है। खालसा फतेह मार्च सुबह गुरुद्वारा भंगानी साहिब से चल कर देर शाम गुरुद्वारा पांवटा साहिब पहुंचा। पारंपरिक वेशभूषा में सजे पंज प्यारे खालसा फतेह मार्च की अगुवाई कर रहे थे। इनके पीछे बड़ी संख्या में सिख संगतें गुरबाणी का बखान करते हुए चल रही थी। फतेह मार्च के दौरान सिख युवक युद्ध कला गतका का भी प्रदर्शन कर रहे थे।
विशेष रुप से सुसज्जित वाहन में श्री गुरु ग्रंथ साहब के दर्शनों को बड़ी संख्या में लोग जुटे। खालसा मार्च के लिए रास्ते में जगह जगह पर जल पान स्वागत कार्यक्रमों की व्यवस्था की गई है। नगर कीर्तन के दौरान एस एच ओ पुरूवाला विजय रघुवंशी ने खुद ट्रैफिक व कानून व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी संभाली हुई थी भंगानी से नगर कीर्तन के साथ-साथ पुलिसकर्मी पांवटा साहिब तक सारी व्यवस्था संभालते नजर आए जिनके साथ एसएचओ विजय रघुवंशी खुद सारी व्यवस्था संभाल रहे थे।