अनुबंध कर्मचारियों का कार्यकाल घटाकर दो वर्ष किया जाना भाजपा के मेन्यूफैस्टों में था शामिल
नाहन (हिमाचलवार्ता)। प्रदेश की वर्तमान भाजपा सरकार के मिशन 2022 रिपीट में प्रदेश का कर्मचारी वर्ग एक बड़ी बाधा भी साबित हो सकता है। इसकी बड़ी वजह है प्रदेश में अनुबंध के आधार पर लगे 18 हजार के लगभग कर्मचारियों का नियमितीकरण। वर्तमान की भाजपा सरकार ने अनुबंध पर लगे कर्मचारियों के कार्यकाल को घटाकर दो वर्ष किए जाने का वायदा अपने चुनावी मेन्यूफैस्टों में किया था।
जबकि सरकार के तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है, मगर अभी तक इन सभी कर्मचारियों को कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। माना तो यह भी जा रह है कि आगामी बजट में सरकार इनकी मांग को मान भी सकती है। अब यहां यह भी बताना जरूरी है कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में अनुबंध व कंप्यूटर शिक्षकों सहित अन्य कर्मचारियों के लिए कार्य करने की शुरूआत की थी। मगर जब तक यह कार्य सिरे चढ़ता तब तक सरकार ही बदल गई थी।
अब ऐसे में यदि वर्तमान जयराम सरकार उसी ढर्रे को अपनाती है तो यह मिशन रिपीट में सबसे बड़ी बाधा साबित होगा। काबिलेगौर हो कि भाजपा सरकार जब से सत्ता में आई है कोई भी ऐसी घोषणा नहीं कर पाई है, जिससे कि सरकारी कर्मचारी वर्ग सरकार को सत्ता में वापसी का मौका दें। उधर, कंप्यूटर शिक्षकों का मामला भी पिछले करीब 19 वर्षों से लंबित पड़ा है।
इसके साथ-साथ सीएंडवी अध्यापक और उनके साथ-साथ प्री नर्सरी के लिए एनटीटी डिप्लोमा होल्डर्स ने भी मोर्चा खोलने की तैयारी शुरू कर दी है। पुरानी पेंशन बहाली के साथ-साथ लंबित पड़ी कई समस्याओं के समाधान को लेकर कहीं न कहीं अब कर्मचारियों में रोष भी पनपना शुरू हो गया है। प्रदेश के अधिकतर कर्मचारी संगठनों का यह भी कहना है कि सरकार न तो पुरानी पेंशन को बहाल कर रही है और न ही न्यू पेंशन योजना के अंतर्गत सभी लाभ दिए जा रहे हैं।
अब यदि देखा जाए तो प्रदेश के तमाम अनुबंध पर लगे कर्मचारियों की मांग जायज भी मानी जा सकती है। क्योंकि एक तो सरकार उन्हें पैसा भी कम देती है और छुट्टियां भी इन्हें कम मिलती है। जबकि सरकार का सबसे ज्यादा कार्य नियमित कर्मचारियों से ज्यादा अनुबंध कर्मचारी करता है। हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों का तो यह भी मानना है कि पुरानी पेंशन की बहाली का मुद्दा केंद्र सरकार का है।
मगर प्रदेश सरकार प्रदेश के कर्मचारियों की समस्याओं को समय रहते सुलझा दें। उधर, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ जिलाध्यक्ष राजेंद्र बब्बी का मानना है कि अनुबंध पर लगे कर्मचारियों की मांग जायज है। उन्हें जल्द नियमित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को पुरानी पेंशन को बहाल करने के लिए भी केंद्र सरकार से आग्रह करना चाहिए