
नाहन। :- महिलाओं के आवाज को बुलंद करने वाली और समाजसेवी समीर शर्मा अब इस दुनिया में नहीं रही। अब उनका हंसता हुआ चेहरा हमेशा के लिए हमें छोड़कर चला गया। वो वीरांगना थी जिन्होंने मौत से करीब दो साल तक लंबी लड़ाई लड़ी।
आखिरकार मौत जीत गई और उन्हे अपने साथ ले गई। हम बात कर रहे हैं पांवटा साहिब की प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता समीर शर्मा की सोमवार सुबह देहरादून के अस्पताल में अंतिम सांस ली। अब वह हमारे बीच नही है, लेकिन उनके किये कार्य हमेशा उनकी याद दिलाते रहेंगे। उनके बेटे ने बताया कि हार्ट अटैक से उनकी मौत हुईं है।
पांवटा साहिब की सामाजिक कार्यकर्ता समीर शर्मा का स्वभाव ही उन्हे सामाजिक बनाता था। वह कहीं पर भी किसी इंसान के साथ गलत होते हुए नही देख सकती थी और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने मे पीछे नही हटती।
आज नगर के वार्ड़ नंबर-9 के मद्रासी काॅलोनी के लोगों के लिए काॅलोनी मे सार्वजनिक शोचालय बने हैं उसमे उनका बड़ा योगदान है। उनका कहना था कि महिलाओं को अपने चूल्हे चौके के साथ – साथ समाज के लिए अपना योगदान देना चाहिए। 58 वर्ष की आयु तक भी समीर शर्मा धार्मिक व सामाजिक कार्यो के लिए पूरा समय देती रही।
वह समाज में महिला उत्पीड़न, भ्रूण हत्या व बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ व स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही। नगर की कई सामाजिक संस्थाओं की बैठकों मे भी वह अकेली महिला नजर आती रही , लेकिन उनका लोगों की सेवा का जज्बा इसका उन पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकी।
गौर हो कि पति को खोने के बाद भी समीर शर्मा ने हिम्मत नहीं हारी थी और कठिन परिस्थितियों में अपने बच्चों का पालन पोषण कर आज उन्हे काबिल बनाया। हालांकि पिछले करीब डेढ़ वर्ष से समीर शर्मा गंभीर बीमारी के चलते समाज में पहले की तरह सेवाएं नहीं दे पा रही थी , जिसका उन्हे मलाल भी था। ऐसी महिलाएं समाज को एक प्रेरणा देती हैं।
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