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    Home»चण्डीगढ़»कोविड संकट के बीच ऑक्सीजन के उत्पादन को उत्साहित करने के लिए मंत्रीमंडल द्वारा ऑक्सीजन उत्पादन इकाईयों के लिए प्राथमिक क्षेत्र के दर्जे को मंजूरी
    चण्डीगढ़

    कोविड संकट के बीच ऑक्सीजन के उत्पादन को उत्साहित करने के लिए मंत्रीमंडल द्वारा ऑक्सीजन उत्पादन इकाईयों के लिए प्राथमिक क्षेत्र के दर्जे को मंजूरी

    By Himachal VartaMay 6, 2021
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    विदेशी मदद को राहदारी देने के लिए कस्टम विभाग के साथ तालमेल हेतु नोडल अधिकारी की नियुक्ति

    चंडीगढ़ (हिमाचलवार्ता)।  राज्य में बढ़ते कोविड मामलों के मद्देनज़र पैदा हुए खतरे को देखते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाले मंत्रीमंडल ने बुधवार को सभी ऑक्सीजन उत्पादक इकाईयों को प्राथमिक क्षेत्र का दर्जा देने को मंजूरी दे दी और इसके साथ ही विदेशी मदद को राहदारी देने के लिए कस्टम विभाग के साथ तालमेल बनाने हेतु एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति भी की है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए स्थिति आने वाले दिनों में बिगड़ने के आसार हैं और यह कोई भी नहीं जानता कि देश और राज्य में कोविड की और कितनी लहरें उठेंगी।

    मंत्रीमंडल की वर्चुअल ढंग से आज हुई मीटिंग में इस दर्जे पर मोहर लगाई गई और यह दर्जा रोज़ाना कम-से-कम 700 सिलेंडर (5 एम.टी.) ऑक्सीजन उत्पादन सामर्थ्य वाली इकाईयों, ऑक्सीजन सिलेंडर उत्पादकों /निर्माण करने वालों और ऑक्सीजन कंसनट्रेटर उत्पादक इकाईयों पर लागू होगा। ऑक्सीजन की पुनः भराई करने वाली इकाईयाँ विशेष दर्जे के अंतर्गत नहीं आएंगी।

    इस फ़ैसले से ये इकाईयाँ (नयी और पुरानी दोनों) सी.एल.यू. /बाहरी विकास खर्चा (ई.डी.सी.), प्रॉपर्टी टैक्स, बिजली चुंगी, स्टैंप ड्यूटी और निवेश सब्सिडी, जोकि ज़मीन और मशीनरी में किये गए तय पूँजीगत निवेश के 125 प्रतिशत तक जी.एस.टी. की प्रतिपूर्ति के द्वारा दी जाती है, से 100 प्रतिशत छूट ले सकेंगी।

    ज़िक्रयोग्य है कि ऑक्सीजन उत्पादन इकाईयों को प्राथमिक क्षेत्र का दर्जा औद्योगिक और व्यापारिक विकास नीति, 2017 के चैप्टर 10 के क्लॉज 10.6 और विस्तृत स्कीमों और परिचालन दिशा-निर्देशों, 2018 के क्लॉज 2.22 के अंतर्गत दिया गया है।

    मंत्रीमंडल द्वारा उपरोक्त फ़ैसला राज्य में कोविड महामारी के कारण बढ़े मामलों के बाद ऑक्सीजन की कमी के कारण पैदा हुई स्थिति के मद्देनज़र लिया गया है। 4 मई को ख़त्म हुए हफ्ते के लिए राज्य में औसतन पॉज़िटिविटी दर 11.6 प्रतिशत और मामलों में मौत की दर 2.1 प्रतिशत हो गई है जोकि 74 लाख के सेंपल साईज़ में से ली गई है।

    मौजूदा समय में पंजाब को राज्य के बाहर से 195 एम.टी. रोज़ाना ऑक्सीजन सप्लाई मिलती है। इसमें आईनॉक्स प्लांट बद्दी से 60 एम.टी., पानीपत के एयर लीक्विडे प्लांट से 20 एम.टी., रुड़की के एयर लिक्विडे प्लांट से 15 एम.टी., देहरादून के लींडे प्लांट से 10 एम.टी. और बोकारो के आईनॉक्स प्लांट से 90 एम.टी. की सप्लाई शामिल है। परन्तु, वास्तव में रोज़ाना इन सभी प्लांटों से सिर्फ़ 140 एम.टी. की सप्लाई ही मिल पाती है क्योंकि टैंकरों की कमी के कारण ऑक्सीजन की चुकाई में, विशेष तौर पर बोकारो से, बहुत मुश्किल आती है। इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड (आई.ओ.सी.एल.) द्वारा दिए गए दो अतिरिक्त टैंकर तकनीकी /अनुकूलता समस्याओं के कारण अभी अप्रयुक्त पड़े हैं। इसके अलावा बार-बार अनुरोध के बावजूद लींडे और एयर लिक्विडे द्वारा किये गए वादे के मुताबिक कोटा जारी नहीं किया जा रहा।

    मंत्रीमंडल को यह भी जानकारी दी गई कि राज्य सरकारों द्वारा अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में आते प्लांटों से सप्लाई में विघ्न पैदा किये जा रहे हैं। इन प्लांटों में बिजली गुल होने की समस्या आने के कारण ऑक्सीजन सप्लाई के काम में रुकावट भी आती है।

    स्वास्थ्य विभाग के सचिव हुस्न लाल ने मंत्रीमंडल को बताया कि 14 जिलों में पॉज़िटिविटी दर 10 प्रतिशत और 6 जिलों में 11 प्रतिशत है। मोहाली में सबसे अधिक 25 प्रतिशत दर है। उन्होंने यह भी बताया कि युवा वर्ग में मौतों की संख्या कम है। उन्होंने आगे बताया कि हालात नाजुक हैं और सरकारी और निजी अस्पतालों में एल-2 के 70 प्रतिशत और एल-3 के 80 प्रतिशत बिस्तर भरे हुए हैं और प्रतिदिन 10-30 मरीज़ों के वेंटिलेटर पर जाने के कारण आसार अच्छे नहीं हैं।

    उन्होंने आगे जानकारी दी कि सरकारी मैडीकल कॉलेजों, ज़िला अस्पतालों और बठिंडा और मोहाली में अस्थायी अस्पतालों में और 2000 बिस्तरे इस महीने के अंत तक बढ़ाने के लिए रेगुलर स्टाफ की सीधी भर्ती शुरू कर दी गई है जबकि विशेष कोविड ड्यूटियों के लिए विद्यार्थियों, प्रशिक्षुओं और आउटसोर्स अमले को नियुक्त किया गया है। स्वास्थ्य सचिव ने यह जानकारी भी दी कि ज़रूरी दवाएँ, जिनमें 50 लाख रैमडेसिवीर 100 एम.जी. टीके शामिल हैं, के ऑर्डर दे दिए गए हैं और कुछ ही दिनों में इनके सप्लाई हो जाने की आशा है।

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