निवेशक जोखिम लेने की क्षमता एवं समय की आवश्यकताओं को देख कर ही बाजार में उपलब्ध योजनाओं में करें निवेश


मुख्य वक्ता सूर्यकांत शर्मा ने बताया कि हर व्यक्ति को समृद्धि से पहले वित्तीय सुरक्षा का इंतजाम करना चाहिए और पर्याप्त जीवन बीमा, उचित चिकित्सा बीमा कवर और एक आपातकालीन निधि को सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि नियमित बचत और हर साल बचत में न्यूनतम 10 प्रतिशत की वृद्धि आवश्यक होनी चाहिए। उन्होंने समृद्धि के लिए धन सृजन की आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताया और इस बात पर जोर दिया कि निवेशकों को धन संचयकर्ता नहीं बल्कि धन सृजन निर्माता होना चाहिए जो जीवन में जरूरत के समय उनकी धन की जरूरत को पूरा कर सके।
उन्होंने प्रतिभागियों को आगाह किया कि सरकारी योजनाओं को छोड़कर अधिकांश निवेशों में जोखिम होता है लेकिन जोखिम को सरल सूत्र द्वारा कम तथा प्रबंधित किया जा सकता है, इसलिए पहले सोचें, समझें और फिर निवेश करें। उन्होंने उद्देश्य अनुसार निवेश करने और वित्तीय नियोजन के महत्व को विस्तार से समझाया। उन्होंने प्रतिभागियों को लम्बी समयावधि के लिए निवेश और निवेश में चक्रवृद्धि के नियम को अपनाने पर अत्यधिक जोर दिया।
सूर्यकांत शर्मा ने प्रतिभागियों को सलाह दी कि वह वास्तविक रिटर्न पर ध्यान दें न कि आभासी रिटर्न पर क्योंकि मुद्रास्फीति और कर देयता काफी हद तक काल्पनिक रिटर्न का बड़ा हिस्सा ले लेते हैं और सही मायने में उन्हें कोई वास्तविक रिटर्न नहीं मिलता है।
उन्होंने बाजार में उपलब्ध विभिन्न निवेश के तरीकों के बारे में बुनियादी जानकारी सांझा की। सरकार आरबीआई बांड, कॉरपोरेट बॉन्ड, सरकारी योजनाएं, डाकघर योजनाएं, पीपीएफ, एनपीएस, सुकन्या समृद्धि योजना, प्रतिभूति बाजार, अचल संपत्ति, सोना और प्रतिभूति बाजार जैसे सभी निवेश के अलग-अलग विकल्प हैं और सबकी अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं। निवेशकों को अपनी जोखिम लेने की क्षमता एवं समय की आवश्यकताओं को देख कर ही भिन्न-भिन्न निवेश योजनाओं में निवेश करना चाहिए।
उन्होंने सामान्य निवेशक को सीधे प्रतिभूति बाजार में प्रवेश न करने की चेतावनी दी क्योंकि बाजार में निहित जोखिम होते हैं और जब तक निवेशक को बाजार, क्षेत्रों, अर्थव्यवस्था, अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था आदि का अच्छा ज्ञान नहीं है, उसे सीधे बाजार में प्रवेश करने से बचना चाहिए। इसके बजाय, म्युचुअल फंड सामान्य निवेशक के लिए एक बेहतर विकल्प है जिसमें हर तरह के निवेशक के लिए योजनाएं उपलब्ध हैं। सामान्य निवेशक लम्बी अवधि में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से न्यूनतम 500 रुपये की राशि का निवेश कर एक अच्छा कोष बना सकता है और अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से निभा सकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि म्यूचुअल फंड में इक्विटी फंड से लेकर डेट फंड से लेकर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड तक म्यूचुअल फंड योजनाओं का एक विस्तृत स्पेक्ट्रम है, जिसमें से एक निवेशक अपने जोखिम और निवेश क्षितिज के अनुसार योजना चुन सकता है।
उन्होंने प्रतिभागियों को आगाह किया कि वह एजेंटों सहित दूसरों की सलाह पर अपनी मेहनत की कमाई का निवेश न करें और कभी भी अनाधिकृत फंड जुटाने की योजनाओं जैसे – पोंजी योजना, चिट फंड और समितियों आदि में निवेश न करें जो शुरुआत में उच्च और त्वरित रिटर्न का आश्वासन देते हैं लेकिन अंततः निवेशकों की मेहनत की कमाई के साथ गायब हो जाते हैं। निवेशकों का समृद्ध वर्ग इस तरह के आकर्षण के प्रति अधिक संवेदनशील नहीं है पर समाज के गरीब तबके के लोग अपने वित्तीय अज्ञानता और लालच के कारण अपनी मेहनत का पैसा ऐसी गलत योजनाओं में लगा देते हैं जिससे उनका पैसा डूब जाता हैं। अतः हम सभी की सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम उन्हें ऐसी योजनाओं के खतरे के बारे में जागरूक करें और ऐसी योजनाओं में अपना पैसा निवेश न करने के लिए आगाह करें।
सूर्यकांत शर्मा ने इस वेबीनार में प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए।
इस वेबीनार में मुख्य अतिथि जिला पंचायत अधिकारी सिरमौर अंचित डोगरा ने कहा कि वेबीनार के माध्यम से कोरोना काल में वित्तीय जागरूकता और साक्षरता के प्रति लोगों की मदद करने का यह एक शानदार अवसर था। उन्होंने कहा कि वेबीनार में मुख्य वक्ताओं ने वित्तीय विवेक के विभिन्न पहलुओं पर बहुत ही शानदार ढंग से विस्तार पूर्वक जानकारी दी।