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    Home»स्वास्थ्य»कोविड-19 अपशिष्ट का वैज्ञानिक निस्तारण करना अत्यंत अनिवार्य
    स्वास्थ्य

    कोविड-19 अपशिष्ट का वैज्ञानिक निस्तारण करना अत्यंत अनिवार्य

    By Himachal VartaJune 4, 2021
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    शिमला (हिमाचलवार्ता)। हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष के.के. पंत ने आज यहां कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पारिस्थितिकी तंत्र की पुर्नस्थापन तथा इससे संबंधित सभी आवश्यक कदमों को उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का थीम इकोसिस्टम रिस्टोरेशन है। उन्होंने पारिस्थितिकी के संरक्षण तथा पर्यावरण को हुए नुकसान में सुधार के लिए प्रयास करने पर बल दिया।
    उन्होंने कहा कि भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर बायोमेडिकल अपशिष्ट के प्रभाव तथा इसके उत्पादन को कम करने के लिए और पर्यावरण मित्र तरीके से कचरे को एकत्र करने, अलग करने, प्रसंस्करण, उपचार तथा निपटान में सुधार के उद्देश्य से बायोमेडिकल अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए वर्ष-2016 में नए नियम बनाए। एलोपैथिक, आयुर्वेदिक, पशु औषधालय, पैथोलाॅजिकल लैब, ब्लड बैंक आदि नए नियम के तहत सम्मिलित किए गए हैं।
    के.के. पंत ने कहा कि बोर्ड द्वारा नए नियमों के अन्तर्गत 8990 स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों का विनियमन किया जा रहा है। इन संस्थानों में प्रतिदिन लगभग 3.5 मीट्रिक टन बायोमेडिकल अपशिष्ट का उत्पादन हो रहा है, जिसका निपटान संस्थान स्तर पर कैप्टिव निपटान संस्थानों और सोलन, कांगड़ा व ऊना में स्थापित काॅमन बायोमेडिकल अपशिष्ट ट्रीटमेंट सुविधा के माध्यम से किया जा रहा हैं।
    उन्होंने कहा कि कोविड-19 बायोमेडिकल अपशिष्ट के निपटान के चुनौती के दृष्टिगत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोविड-19 के मरीजों के उपचार, निदान व कवारंटीन अवधि के दौरान तैयार हुए कचरे के निपटान के लिए दिशा-निर्देश जारी किए है। बोर्ड द्वारा नेशनल ट्रैेिकंग पोर्टल पर प्रतिदिन कोविड-19 अपशिष्ट के सृजन व निपटान की स्थिति की रिपोर्ट उपलब्ध करवाई जाती है तथा प्रदेश में अप्रैल, 2020 से कैप्टिव निपटान संस्थानों और काॅमन बायोमेडिकल अपशिष्ट ट्रीटमेंट सुविधा के माध्यम से लगभग 538 मीट्रिक टन कोविड-19 अपशिष्ट का निपटान किया गया हैं। प्रदेश में मई, 2021 में सबसे अधिक 105 मीट्रिक टन कोविड-19 अपशिष्ट का उत्पादन हुआ।
    के.के. पंत ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में प्रतिदिन लगभग 4.74 मीट्रिक टन बायोमेडिकल अपशिष्ट का उत्पादन हो रहा है। प्रदेश में स्थापित तीन काॅमन बायोमेडिकल अपशिष्ट ट्रीटमेंट सुविधाओं में 6.4 मीट्रिक टन अपशिष्ट के निपटान की क्षमता है। बायोमेडिकल, नुकसानदायक अपशिष्ट तथा ई-वेस्ट के प्रबंधन का विनियमन सृदृढ़ करने के लिए बोर्ड द्वारा सूचना प्रोद्योगिकी विभाग के माध्यम से अपशिष्ट एमआईएस आॅनलाइन वैब तथा मोबाइल एप्लीकेशन विकसित किया जा रहा है, जिससे प्राधिकृत ठेकेदारों के माध्यम से कचरे का वैज्ञानिक निपटान सुनिश्चित किया जाएगा।
    उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव में मास्क, ग्लवज तथा अन्य निजी सुरक्षा उपकरणों का उपयोग इस महामारी के दौरान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस-2021 के अवसर पर आग्रह किया है कि जो लोेग कोविड से प्रभावित नहीं है वे उपयोग किए मास्क तथा ग्लवज को कम से कम 72 घटों के लिए पेपर बैग या अलग कुडेदान में रखे तथा इनके पुनः उपयोग को रोकने के लिए निपटान से पहले इन्हें नष्ट कर दें।
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