नाहन 05 जून (हिमाचलवार्ता) :- जिला सिरमौर के औद्योगिक क्षेत्र कलाअम्ब में गत दिनों एक उद्योग पर पंजाब पुलिस की छापेमारी हुई इसके चलते हिमाचल पुलिस ने भी कार्रवाई करते हुए उक्त उद्योग के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
बताते हैं कि कालाअंब स्थित ओरिसन फार्मा द्वारा फर्जी मार्केटिंग कंपनियां बनाकर दवाइयों की बिक्री की जा रही थी। साथ ही बताया जा रहा है कि उक्त कंपनी ने दो मार्केटिंग कंपनियां बनाई जिसके नाम पर मार्केटिंग की जा रही थी।
बता दें कि औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में ओरिसन फार्मा द्वारा पिछले करीब एक दशक से दवाइयों का निर्माण किया जा रहा है , लेकिन आज तक उक्त उद्योग की दवाओं के निर्माण में किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही सामने नहीं आई , ना ही इस प्रकार की कोई नशीली दवाओं की जाली मार्केटिंग का भी एक दशक में कोई मामला प्रकाश में आया है।
केवल मात्र गत दिनों पांवटा साहिब में एक उद्योग से लाखों की दवाइयां पकड़ी गई जिसके चलते जहां पुलिस ने मामला दर्ज किया है। वही उद्योग को सील कर दिया गया है साथ ही उद्योग का लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया है , लेकिन कालाआम में दो मार्केटिंग का जिक्र किया गया है कहीं यह केवल मात्र एक प्रतिष्ठित उद्योग को बदनाम करने का कोई षड्यंत्र तो नहीं है।
इसको लेकर भी अब चर्चाएं जोरों पर है , बताते हैं कि ओरिसन फार्मा जो पिछले एक दशक से जीवन रक्षक दवाओं का निर्माण कर रहा है पर फर्जी दवा एवं मार्केटिंग कंपनियों रैपर सामने आए हैं। साथ ही उद्योग के खिलाफ मामला दर्ज कर ट्रामाडोल और अन्य दवाओं के कैप्सूल कब्जे में लिए हैं। साथ ही पुलिस ने 226 किलोग्राम ट्रामाडोल का रॉ मैटेरियल भी अपने कब्जे में लिया है।
बताया जा रहा है कि 31 मई को कालाअंब थाने में मामला दर्ज हुआ था इसमें ट्रामाडोल का निर्माण ओरिसन फार्मा द्वारा जबकि मार्केटिंग बाय न्यू केयर हेल्थ केयर साहिबाबाद अहमदाबाद गुजरात का दर्शाया गया है उक्त दोनों ही कंपनियों के बारे में पुलिस द्वारा छानबीन की गई तो दोनों कंपनियों के पते मौजूद नहीं पाएं गए , जिसके चलते पुलिस द्वारा उद्योग के खिलाफ जाली मार्केटिंग फर्म बनाने का मामला दर्ज किया है।
साथ ही नशीली दवाओं के निर्माण की भी धारा लगाई गई है लेकिन सवाल यह उठता है कि जब ओरिसन फार्मा द्वारा केवल मात्र मैन्युफैक्चरिंग की जाती है और यह कंपनी जॉब वर्क के तौर पर अन्य कंपनियों के लिए प्रोडक्ट बना रही है तो पुलिस द्वारा किस आधार पर कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
जानकार बताते हैं हिमाचल प्रदेश इस समय पूरे देश में फार्मा हब के नाम से जाना जाता है। देश का 70% से अधिक दवाओं का उत्पादन हिमाचल प्रदेश में होता है जिसके चलते बाहरी राज्य की कई मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा हिमाचल में निर्मित दवा एवं उद्योगों के खिलाफ कोई षड्यंत्र भी हो सकता है। यह पता तो जांच में ही लगाया जाएगा की वास्तविकता इसके पीछे क्या है , लेकिन सारे तथ्यों के बावजूद भी दवा निर्माता कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
जानकारी के अनुसार पुलिस द्वारा भले ही कुछ दवाइयां कब्जे में ली है , लेकिन यदि हिमाचल प्रदेश के उद्योगों पर इसी प्रकार कार्रवाई होती रही तो हिमाचल में कोई भी उद्योग नहीं आएगा। उद्योगों के जानकार बताते हैं कि बाहरी राज्यों के उद्योगों द्वारा हो सकता है। हिमाचल के फार्मा उद्योगों के खिलाफ कोई षड्यंत्र तो नहीं रचा जा रहा है ताकि हिमाचल का फार्मा उद्योग पटरी से उतर जाए।