राजगढ़05 दिसम्बर (हिमाचल वार्ता) :- उपमंडल मुख्यालय राजगढ़ में आवासी कालोनियों के साथ-साथ बाजार का विस्तार भी लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन नगर पंचायत द्वारा शहर में प्रस्तावित पार्किंग का निर्माण आज भी अधूरा है।
आरएलए राजगढ़ में वर्तमान में 5502 कारें/छोटी गाड़ियां , 6144 मोटरसाइकिल/स्कूटर, 1239 गुड्स कैरियर, 58 बसों सहित कुल मिलाकर 13239 वाहन पंजीकृत हैं, लेकिन सड़क किनारे की जगह के अतिरिक्त पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है।
आलम यह है कि यदि बाजार आना हो तो लोगों को अपनी गाड़ी आधे से एक किलोमीटर दूर लगाकर आना पड़ता है। यहां तक कि स्थानीय दुकानदारों के लिए गाड़ी खड़ी करने के लिए आज तक कोई उपयुक्त स्थान नहीं बन पाया है।
पार्किंग की सुविधा न होने के कारण बेतरतीब ढंग से खड़ी गाड़ियां न केवल आमजन के लिए मुश्किलें खड़ी करती है, बल्कि आए दिन जाम का कारण भी बनती हैं। गौर रहे कि जहां पूर्व की सरकारों ने समय रहते इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाया।
वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने साढ़े तीन वर्ष पूर्व राजगढ़ के अपने प्रथम दौरे के दौरान ही क्षेत्रवासियों की पार्किंग की मांग को पूरा करते हुए एक करोड़ के बजट के प्रावधान की घोषणा की और 50 लाख की राशि नगर पंचायत को उसी वर्ष प्रदान भी कर दी थी।
यही नहीं, करगानू में प्रस्तावित झील का प्रस्ताव रद्द होने के बाद वहां का 50 लाख का अतिरिक्त बजट भी पार्किंग के लिए स्थानांतरित कर दिया गया है। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद शिमला संसदीय क्षेत्र सुरेश कश्यप ने आनन-फानन में उस समय बतौर विधायक इसका विधिवत शिलान्यास तो कर दिया था, लेकिन उसके बाद पार्किंग की सुध लेना ही भूल गए।
शिलान्यास को भी अढ़ाई वर्ष बीत गए, लेकिन सही कार्य योजना और प्रारूप नहीं बनाने के कारण क्षेत्रवासी आज भी पार्किंग के सपने देखने को मजबूर हैं।
पहले राजस्व विभाग की 820 वर्ग मीटर जमीन नगर पंचायत के नाम स्थानांतरित करवाकर तथा वन विभाग से अनुमति के बाद कुछ पेड़ों का कटान के बाद कटिंग के टेंडर भी हो गए, लेकिन रद्द कर दिए गए और अतिरिक्त एक बीघा 10 बिस्वा जमीन की आवश्यकता महसूस की
यह आज भी पूर्ण नहीं हो पाई है। स्थानीय विधायक रीना कश्यप की पार्किंग का समाधान करवाने में नाकाम साबित रही है।