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    Home»हिमाचल प्रदेश»सिरमौर»सिरमौर के कालाअंब औद्योग में 3.39 करोड़ की हेराफेरी:हैंड-सैनिटाइजर की आड़ में अवैध स्पिरिट सप्लाई का शक; न लाइसेंस मिला न सप्लाई का कोई रिकॉर्ड
    सिरमौर

    सिरमौर के कालाअंब औद्योग में 3.39 करोड़ की हेराफेरी:हैंड-सैनिटाइजर की आड़ में अवैध स्पिरिट सप्लाई का शक; न लाइसेंस मिला न सप्लाई का कोई रिकॉर्ड

    By Himachal VartaFebruary 5, 2022
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    नाहन 05 फरवरी (हिमाचलवार्ता न्यूज़ ) :- हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी स्थित गोवर्धन बॉटलिंग प्लांट में निरीक्षण के दौरान पाई गई अनियमितताओं की कड़ियों को जोड़ते हुए शुक्रवार को आबकारी एवं कराधान विभाग के उड़न दस्ते ने कालाअंब में छापेमारी की। छानबीन में स्पिरिट की अवैध सप्लाई का खुलासा हुआ है। विभाग की माने तो कंपनी के ई वे बिल में 3.39 करोड़ रुपए की हेराफेरी पकड़ में आई है। इसको लेकर पुलिस को एफआईआर भी दर्ज करवाई गई है।
    न तो कोई लाइसेंस मिला और न ही उत्पाद के सबूत

    जानकारी के अनुसार विभाग ने जिला सिरमौर के कालाअंब स्थित एक औद्योगिक परिसर डच फोरमुलेशन में छानबीन की। मंडी के संयुक्त आयुक्त राज्य कर एवं आबकारी उज्जवल राणा के नेतृत्व में टीम यहां निरीक्षण के लिए पहुंची थी। जांच के दौरान पाया गया कि परिसर में किसी भी प्रकार का कोई उत्पाद तैयार नहीं किया जा रहा था। उक्त इकाई के पास ड्रग अथॉरिटी द्वारा जारी कोई लाइसेंस नहीं मिला।

    खरीद बिक्री में 3.39 करोड़ का फर्क

    कागजातों की छानबीन में पता चला कि यूनिट ने वर्ष 2020- 21 में 8.06 करोड़ रुपए की परचेज ई-वे बिलों में की है और लगभग 4.77 करोड़ रुपए की बिक्री दिखाई है। दोनों में कुल अंतर 3.39 करोड़ रुपए बनता है। सामान का कोई भी स्टॉक परिसर में नही पाया गया।

    अंबाला में डेनिश लैब में भी घपला मिला

    डच कंपनी की एक अन्य फर्म डेनिश लैब अंबाला में है। इस फर्म के भी ई वे बिल चेक किए गए। इसमें पाया गया कि इस फर्म ने सीएमओ धर्मशाला को हैंड सैनिटाइजर के चार खेप नवंबर व दिसंबर 2021 में भेजे हैं। इसी तरह इसी फर्म ने हैंड सैनिटाइजर के 3 खेप राजीव गांधी आयुष मेडिकल कॉलेज पपरोला को भेजे हैं। इन सभी की कीमत 51 लाख रुपए है।

    यहां भी यही खेल हुआ

    इसके अतिरिक्त मैसर्स डच फॉर्मूलेशन कालाअम्ब ने भी हैंड सैनिटाइजर की एक खेप पपरोला कॉलेज को भेजी है। इसकी कीमत 7.50 लाख रुपए है। यहां ये भी उल्लेखनीय हैं कि उक्त फर्मों को समय दिए जाने के बावजूद भी किसी तरह की डिटेल विभाग को उपलब्ध नहीं करवाई है।

    कोई रिकॉर्ड नहीं दिया

    विभाग ने यह सारा डेटा ई-वे बिल सिस्टम से निकाला है। जब इसकी दोनों विभागों से जांच पड़ताल करवाई तो उन्होंने लिखित में सूचित किया कि उन्होंने ऐसी कोई भी सप्लाई नही मंगवाई है, न ही प्राप्त की है। यह व्यापारी इंएन‌ए का कारोबार भी करते हैं।

    इससे तो 40 हज़ार पेटी शराब बन जाती

    कुल अवैध सप्लाई 58.50 लाख रुपए की है। जिससे लगभग एक लाख बल्क लीटर स्पिरिट खरीदी जा सकती है। लगभग 37 से 40 हज़ार पेटी शराब का उत्पादन किया जा सकता है। जांच के दौरान अनुमान लगाया गया है कि उक्त फर्मो द्वारा हैंड सैनिटाइजर सप्लाई करने की आड़ में स्पिरिट की आपूर्ति की जा रही थी। इस संबंध में विभाग द्वारा उक्त फर्म के खिलाफ आगामी कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज करवाई है। छानबीन जारी है।

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