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    Home»हिमाचल प्रदेश»लोईयां और हिमाचली टोपी ‌में विद्यानंद सरैक ने पर्याप्त किया पद्मश्री पुरस्कार।
    हिमाचल प्रदेश

    लोईयां और हिमाचली टोपी ‌में विद्यानंद सरैक ने पर्याप्त किया पद्मश्री पुरस्कार।

    By Himachal VartaMarch 22, 2022
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    नाहन  (एसपी जैरथ) 22 मार्च {हिमाचलवार्ता न्यूज़} :-  जिला सिरमौर व प्रदेश के जाने जाने माने साहित्कार , कवि एवं महान लेखक विद्यानंद सरैक को  दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से अलंकृत किया  गया । विद्यानंद सरैक पुरस्कार लेने के लिए सिरमौरी काला लोईया और हिमाचली टोपी पहनकर राष्ट्रपति भवन पहूंचे।  विद्यानंद का नाम पद्म पुरस्कारों की क्रम संख्या में 35वें स्थान थे । विद्यानंद सरैक पद्मश्री पुरस्कार पाकर गदगद हुए । उन्होने कहा कि प्रदेश व भारत सरकार द्वारा जो उन्हें सम्मान दिया गया है उसे वह ताउम्र नहीं भुला पाएंगे । उन्होने कहा कि उनके पूर्वजन्म के ऐसे सौभाग्य होगें कि वह दूसरी बार पुरस्कार लेने राष्ट्रपति भवन पहूंचे  और  उन्हें राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति वैकेया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से रूबरू होने का अवसर प्राप्त हुआ । साहित्य एवं शिक्षा में उत्कृष्ट एवं निःस्वार्थ  सेवाएं प्रदान करने के लिए विद्यानंद सरैक को पदमश्री अवार्ड से विभूषित किया गया है। इनके साथ इनके बेटे सेवानिवृत सहायक जिला शारीरिक अधिकारी रमेश सरैक, जगमोहन सरैक के अतिरिक्त  पोते दीपक सरैक, ईशान सरैक और विक्रम गंर्धव शामिल हैं ।
    बता दें कि विद्यानंद सरैक प्रदेश के जाने माने साहित्यकार,, उच्च कोटि के लेखक एंव  कवि, लोक कलाकार  तथा  समाज सेवक के रूप में जाने जाते हैं । जिनका जन्म 26 जून, 1941 को राजगढ़ ब्लॉक के देवठी मझगांव में एक साधारण परिवार में हुआ है ।  इससे पहले फरवरी 2018 को विद्यानंद सरैक को  प्रदेश की संस्कृति के सरंक्षण व संवर्धन में उत्कृष्ट योगदान देने पर  हिमाचल प्रदेश के एक प्रमुख कलाकार के रूप में राष्ट्रपति अर्वाड से सम्मानित किया गया था। और अब साहित्य एवं शिक्षा के लिए पदमश्री अवार्ड से नवाजा जाना हिमाचल प्रदेश विशेषकर सिरमौर जिला के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है । विद्यानंद सरैक ने अपना जीवन एक अध्यापक के रूप में आरंभ किया गया था । इस दौरान इनके द्वारा अघ्यापन में विशिष्ट कार्य किए जाने पर भी प्रदेश सरकार अनेकों बार सम्मानित किया गया ।  प्रदेश की संस्कृति के  सरंक्षण व सवंर्धन  में इनका सर्वाधिक योगदान रहा है । चूड़ेश्वर सांस्कृतिक कला मंच के के प्रमुख होने के नाते  विद्यानंद सरैक द्वारा सिरमौर की संस्कृति की महक को गायन, वादन और लोक नृत्य के माध्यम से देश व विदेश तक पहूंचाया गया ।

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