नाहन 11 मई (हिमाचल वार्ता न्यूज) :- यदि हिमाचल प्रदेश सामान्य आयोग का गठन होता है तो अनुसूचित जाति आयोग को इस में कोई भी आपत्ति नहीं है। सामान्य आयोग का गठन होना चाहिए लेकिन संविधान के दायरे में रहकर। यह बात जिला मुख्यालय नाहन में आयोजित पत्रकार वार्ता में अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप ने कही। वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि किसी भी आयोग का गठन करना सरकार के अधिकार क्षेत्र में होता है और यह सरकार ने तय करना है कि प्रदेश में कितने आयोग बनाने हैं।
मीडिया से बातचीत करते हुए अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में एट्रोसिटी एक्ट के मामले अन्य राज्यों की अपेक्षा नाम मात्र है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षा और राज्य हैं और यहां पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के साथ अन्याय के कम मामले सामने आते हैं। यदि जिला सिरमौर की बात करते हैं तो जिला सिरमौर में पिछले 7 वर्षों में 122 कुल मामले दर्ज हुए हैं , जिनमें से केवल मात्र चार मामलों में ही दोष साबित हुए हैं।
मीडिया से बात करते हुए वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सामान्य वर्ग आयोग को बनाने की मांग उठ रही है सरकार को चाहिए कि संविधान के दायरे में रहकर इस आयोग का गठन किया जाए। उन्होंने कहा कि हर समुदाय के लोगों को अपनी मांग रखने का हक है मगर यह सभी कानून के दायरे में रहकर होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अन्य समुदाय के लोगो को अनुसूचित जाति के खिलाफ अनाप-शनाप बयानबाजी से बचना चाहिए।
कश्यप ने यह भी कहा कि कुछ लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में लगे हैं और आपसी भाईचारा बिगाड़ने की कोशिश कर रहे। वीरेंद्र कश्यप ने कहा कि राज्य में अनुसूचित जाति आयोग का गठन हुआ है जिसका मकसद अनुसूचित जाति से जुड़े लोगों का सामाजिक, आर्थिक राजनीतिक रूप से उत्थान करना है।
उन्होंने कहा कि समय-समय पर आयोग अलग-अलग जिला में बैठक आयोजित कर अनुसूचित जाति से जुड़े लोगों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा करता है और यह भी तय किया जाता है कि जो बजट केंद्र व राज्य सरकार दिया द्वारा इनके लिए दिया जा रहा है उसका किस तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है