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    Home»हिमाचल प्रदेश»“शांत महायज्ञ” के समापन होने के बाद सूती धागे से बांधा गया गांव का सुरक्षा कवच
    हिमाचल प्रदेश

    “शांत महायज्ञ” के समापन होने के बाद सूती धागे से बांधा गया गांव का सुरक्षा कवच

    By Himachal VartaMay 11, 2022
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    शिलाई  11 मई (एसपी जैरथ){हिमाचलवार्ता न्यूज़ } :- विधानसभा शिलाई के कोटी बोंच पंचायत के अंदर क्षेत्र, प्रदेश व देश की खुशहाली के लिए करवाए गए देवी ठारी के “शांत महायज्ञ” का विधिपूर्वक गांव में समापन हो गया है। 32 वर्षों बाद करवाए जाने वाले “शांत महायज्ञ” तीसरे दिन संपन्न हो गया है। यज्ञ में करीब सवा लाख मंत्रो की आहुतियां दी गई। जबकि 300 से अधिक सामग्रियों का इस्तेमाल हवन कुंड में यज्ञ आहुतियों के लिए किया गया है। “शांत महायज्ञ” समापन पर भव्य भंडारे का आयोजन करवाया गया, करीब 15 हजार लोगों ने देवी ठारी के आशीर्वाद के साथ प्रशाद ग्रहण किया है। तीन दिवसीय यज्ञ के दौरान जिला सिरमौर, शिमला सहित उत्तराखंड प्रदेश के हजारों लोगों ने देवी के भव्य अवतार के दर्शन किए। लगातार तीन दिनों तक कोटीबोंच गांव में भजन, कीर्तन के साथ लिंबर नृत्य, रासा नृत्य, हारूल नृत्य व लोक नाटियों का दौर चलता रहा। गिरीखण्ड क्षेत्र में मनाए जाने वाले “शांत महायज्ञ” को हिमाचल का महाकुम्भ मेला कहा जाता है। इस यज्ञ में हरिद्वार में चलने वाले महाकुम्भ मेले की तर्ज पर ही भत्तों और श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहता है।

    इससे पहले शिलाई गांव में थिंडाऊ बिरादरी ने “शांत महायज्ञ” का भव्य आयोजन किया था जिसमे लगभग 35 हजार लोगों ने भाग लिया था। शिलाई में हर 12 साल बाद “शांत महायज्ञ” करवाया जाता है । जबकि कोटीबोंच पंचायत में 32 सालों बाद यज्ञ का आयोजन करवाया गया है। जानकारों की माने तो “शांत महायज्ञ” की फलप्राप्ति हरिद्वार में होने वाले महाकुम्भ से अधिक है। जिसे “शांत महायज्ञ” का प्रशाद व देवी ठारी का आशीर्वाद एकसाथ मिल जाएं, उस महिला को गोद कभी सुनी नहीं रहती है। इस महायज्ञ में शामिल होने वाले परिवार को सुख, समृद्धि, बुद्धि, बल सहित शोर्य की प्राप्ति होती है। “शांत महायज्ञ” के दौरान देवी ठारी के दरबार में जो भी पहुंचा, वह वैदिक व तांत्रिक मंत्रो से अपनी सुधबुध खोकर भजन, कृतन में मगन हो गया। यज्ञ में पहुंचे सभी दाइचारे के लोगों संग मेहमान व भग्त तीनों दिन झूमते रहे।

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