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    70 फ़ीसदी रुकावट के बावजूद जरूरी नहीं है कि आपकी बाईपास या स्टेंटिंग हो- डॉ आहूजा

    Rajesh RahiBy Rajesh RahiJune 29, 2022No Comments3 Mins Read
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    नाहन 29 जून (हिमाचल वार्ता न्यूज):- कोरोनरी धमनियों में 70 फ़ीसदी ब्लॉकेज होने के बावजूद जरूरी नहीं है कि सभी मामलों में इस्केमिक, बाईपास या स्टेंटिंग डालने की जरूरत हो। यह जानकारी नाहन में प्रेस वार्ता के दौरान फोर्टिस मोहाली के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के एमडी व सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अंकुर आहूजा ने दी है। उन्होंने दिल संबंधी बीमारियों के सही समय पर इलाज के महत्व पर जोर दिया। डॉक्टर आहूजा का कहना है कि कोरोनरी धमनियों में 70 फ़ीसदी ब्लॉकेज के लिए मेडिकल इंटरवेनेस की आवश्यकता होती है।

    उन्होंने वार्ता में महत्वपूर्ण जानकारियां देते हुए कहा कि मेडिकल साइंस तरक्की करते हुए हाल ही के कुछ वर्षों में कोरोनरी एंजियोप्लास्टी और एंजियोप्लास्टी में काफी बदलाव आए हैं। नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से हार्ट संबंधी जटिल बीमारियों से जूझ रहे पीड़ितों को बड़ी मदद मिल रही है। डॉक्टर आहूजा ने फ्रेक्शनल फ्लो रिजर्व, इंट्रावैस्कुलर इमेजिंग, इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी जिसे आईवीएल भी कहा जाता है तथा ट्रांस्क्युटेनियस एओर्टिक वाल्व इंटरवेंशन आदि ट्रीटमेंट की टेक्नोलॉजीज के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां दी।

    उन्होंने कहा कि फ्रेक्शनल फ्लो रिजर्व द्वारा कोरोनरी धमनी रोग का स्टिक मूल्यांकन किया जा सकता है। इस तकनीक को इस्तेमाल करने से यह निश्चित किया जाता है कि क्या ह्रदय रोगी को स्टेंट या फिर बाईपास की सर्जरी की जरूरत है, या फिर केवल दवाओं से ही उपचार किया जा सकता है। कुल मिलाकर एंजियोप्लास्टी के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए इस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया जाता है। वही इंट्रावैस्कुलर इमेजिंग एक डायग्नोस्टिक टेस्ट है जिसका प्रयोग कोरोनरी धमनियों के अंदर क्या चल रहा है यह देखने के लिए किया जाता है।

    इससे यह तय करने में मदद मिलती है कि क्या धमनियों में रुकावट के लिए रोटेबलेशन, इंट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी या फिर इलाज को अनुमति देने के लिए बैलून काटने की जरूरत है। अब यदि धमनियों में कैल्शियम अधिक मात्रा में जम गया है तब रोटेबलेशन का इस्तेमाल धमनी को खोलने के लिए किया जाता है। डॉक्टर आहूजा का कहना है कि आईवीएल का उपयोग हृदय की रुकावटों में किया जा सकता है जो कि उपयुक्त नहीं है यह कहा जा सकता है रोटेबलेशन के लिए यह एक उचित जोखिम है। अंत में डॉ आहूजा ने ट्रांस्क्युटेनियस एओर्टिक वाल्व इंटरवेंशन टेक्निक के बारे में जानकारी दी।

    उन्होंने इसे एक क्रांतिकारी नई तकनीक बताते हुए कहा कि एओर्टिक वाल्व को बिना सर्जरी के बदला जा सकता है जो कि पूरी दुनिया में वाल्व उपचार में बड़ा बदलाव लेकर आई है। उन्होंने कहा कि इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से हृदय के अन्य वॉल्वों का भी इलाज किया जा सकता है। गौरतलब हो कि फोर्टिस मोहाली में हृदय संबंधी इंटरवेंस के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस है। जिसमें तीन अल्ट्रा मॉडर्न कैथ लैब, सबसे कम डोर टू बैलून और एडवांस कार्डियक डायग्नोस्टिक के साथ-साथ समकालीन इमेजिंग तकनीकें उपलब्ध है।

    इस उत्तर भारत के प्रमुख अस्पताल में किसी भी तरह के हृदय रोग का इलाज किया जा सकता है। बशर्ते रोग जल्दी से डायग्नोज हो जाए और इससे भी बड़ी बात तो यह है कि इस हॉस्पिटल में 24/7 सेवाएं उपलब्ध रहती हैं। वही पूछे गए सवाल के जवाब में डॉ आहूजा ने कहा कि फोर्टिस में हिम केयर तथा आयुष्मान कार्ड नहीं चलता है।

    बल्कि उन्होंने यह जरूर कहा कि फोर्टिस का इलाज शत प्रतिशत उचित टेक्नोलॉजी की गारंटी देता है साथ ही जरूरी है कि आप अपना हेल्थ इंश्योरेंस जरूर कराएं। उन्होंने कहा कि हेल्थ इंश्योरेंस ही एकमात्र ऐसा साधन है जिससे सामान्य व्यक्ति भी फोर्टिस के ट्रीटमेंट को वहन कर सकता है। पत्रकार वार्ता के दौरान उनके साथ फोर्टिस अस्पताल मोहाली का अन्य स्टाफ भी मौजूद था।

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