नाहन06 जुलाई (हिमाचल वार्ता न्यूज):-लाल सोने की खाने कहे जाने वाला जिला सिरमौर मंदी की चपेट में आ गया है। सिरमौर के लाल सोना कहलाये जाने वाले टमाटर पर बंगलूरू का टमाटर भारी पड़ गया है। यहाँ कुछ दिनों पहले टमाटर के क्रेट का रेट 1100 से 1400 रूपए था वह अब 400-500 के रेट पर पहुँच गया है। इसको लेकर महीपुर, बेचड का बाग़. पराड़ा , चक्नाल, नेहरस्वार, मानगढ़, नाला बाक़ा, बागथन, बडू साहिब से लेकर रेणुका जी के नीचले क्षेत्रों का किसान काफी मायूस है। नेहरस्वार के एसएमसी प्रधान व जागरूक किसान सुरेश शर्मा, हरिदत्त,, पिंकी, मदन ठाकुर आदि का कहना है कि ऐसा हर वर्ष होता है।
उन्होंने कहा कि किसान अपना खून पसीना लगाकर बाल्टियों और डब्बो से टमाटर की फसल की सिंचाई करते है मगर एन वक़्त पर किसानों पर मंदी की मार पड़ जाती है। जिसके कारण मजबूरन उन्हें अपनी गाढ़ी कमाई व खून पसीना से उगाई गई फसलों को ओने पौने दामों में बेचने को मजबूर होना पड़ता है। हैरानी की बात तो यह है कि कृषि विपणन बोर्ड के अध्यक्ष बलदेव भंडारी सिरमौर से ही तालुकात रखते है। बावजूद इसके किसानों की फसल के लिए बतौर संरक्षक कोई भी योजना किसानों के हित में कारगर सिद्ध नहीं हुई है।
हैरानी तो इस बात की यह भी है कि इस मिड बेल्ट में सरकार के द्वारा कोई भी उच्च क्षमता वाला कोल्ड स्टोर नहीं लगाया गया है। हालाँकि कोल्ड स्टोर तो इस पूरे क्षेत्र में एक भी नहीं है मगर मार्किट को कंप्लीट करने के लिए बड़ा और उच्च क्षमता का कोल्ड स्टोर होना जरूरी है। कोल्ड स्टोर होने से किसान अपनी उपज को मार्किट के हिसाब से कभी भी निकाल कर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर सकते है। यही नहीं ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों की हालत भी इतनी बेहतर नहीं है कि किसान समय पर खेत से अपनी फसल को मंडी तक पहुंचा सकें।
बरसातों के दिनों में अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें बंद हो जाती है। जिसके चलते किसानों का टमाटर और अन्य सब्जियां आदि खेत में ही सड़ जाती है। सिरमौर की मिड बेल्ट में सड़कों के अलावा रोप-वे ट्रांसपोर्टेशन का भी कही पर भी कोई विकल्प नहीं है। किसानों का कहना है कि बीते चार वर्षों में डब्बल इंजन वाली सरकार से उन्हें बड़ी उम्मीदें थी मगर किसानों के हितो को लेकर केवल सेमीनार, मीटिंगे और लुभावने वायदे ही नजर आये। जमीनी स्तर पर कोई भी योजना नहीं उतर पाई है। जिसको लेकर किसानों में बड़ा रोष भी है।
किसानों का यह भी कहना है कि सिरमौर एक ऐसा जिला है जिसका सरकार में बड़ा स्थान है। जिसमें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद सुरेश कश्यप, बलदेव भंडारी खुद मध्य बेल्ट से संबंध रखते है तो वहीँ सरकार में सिरमौर से एक मंत्री भी है। साथ ही बलदेव तोमर जो शिलाई विधानसभा क्षेत्र से तालुकात रखते है उनके मुख्यमंत्री के नजदीकी होने का भी कोई फायदा किसानों को नहीं मिल पाया है।
सिरमौर में न तो सरकार एक अच्छा कोल्ड स्टोर दें पाई है और न ही फसलों को लाने ले जाने हेतु वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। सरकार के द्वारा ड्रोन पॉलिसी भी लागू कर दी गई है मगर इसका भी किसानों को कही पर वजूद नजर नहीं आ रहा है। सरकार स्थानीय स्तर पर स्थानीय समस्याओं के अनुसार ही किसानों के हितों के बारे में सोचे तो बेहतर परिणाम आ सकते है। एसी वाले दफ्तरों के कमरों में बैठकर बनाए गई योजनाए खेत तक पहुँचते पहुंचते पूरी तरह ठंडी साबित हो जाती है।