नाहन (हिमाचल वार्ता न्यूज):-सावन माह का आज पहला सोमवार है और भगवान भोले बाबा के दरबार भक्तों के लिए खुल गए हैं। हिमाचल के सभी शिव मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया गया है। वही , सावन माह के पहले सोमवार को जिला सिरमौर के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। इस मौके पर भगवान शंकर के जयकारों से माहौल भक्तिमय हो गया। जिला मुख्यालय नाहन स्थित ऐतिहासिक रानीताल शिव मंदिर, कालीस्थान मंदिर, पौड़ीवाला शिव मंदिर, जोगनवाली शिव मंदिर के अलावा यशवंत विहार जरजा स्थित शिव मंदिर सहित महामाया बालासुंदरी मंदिर जमटा, तीर्थ स्थली रेणुका में आस्था का सैलाब उमड़ा।
इसके अतिरिक्त जनपद सिरमौर के पांवटा साहिब, शिलाई, सराहां, पच्छाद और संगड़ाह आदि इलाकों के शिव मंदिरों में भी शिव भक्तों का तांता सुबह से लगा हुआ है। इस मौके पर शिवभक्तों ने शिवलिंग का दूध और जल से अभिषेक किया। शिव भक्तों ने शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाए और पूजा अर्चना की। सुबह से ही श्रद्धालुओं की शिव मंदिरो में भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। भोले के जयकारों के साथ शिव भक्तों का मंदिरों में तांता लगा हुआ है।
भगवान शिव के भक्तों के लिये यह महीना इसलिये भी खास है
इस महीने में भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है शिवभक्त गंगा नदी या अन्य पवित्र नदियों से जल लाते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। श्रावण या सावन महीने को सर्वोत्तम माह कहा जाता है। पौराणिक तथ्य बताते हैं कि भगवान शिव के भक्तों के लिये यह महीना इसलिये भी खास है क्योंकि मान्यताओं के अनुसार भोलेनाथ सावन के महीने में धरा पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे, जहाँ पर उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक से किया गया था। प्रत्येक वर्ष सावन माह में महादेव अपनी ससुराल जाते हैं। भू-लोक वासियों के लिए भोलेनाथ की कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है।
व्रत रखने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण
शिव पुराण में उल्लेख है कि भगवान शिव स्वयं ही जल हैं। इसलिए जल से उनकी अभिषेक के रूप में अराधना सर्वोत्तम फल है । ऐसा भी आख्यान है कि इस महीने में भगवान शंकर की पूजा करने और उनके लिए व्रत रखने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जिला कांगड़ा के बैजनाथ में ऐतिहासिक शिव मन्दिर के धार्मिक स्थल पर इस महीने में शिवभक्तों का काफी आना-जाना रहता है। शिवमंदिरों में भक्तों का हर-हर महादेव का जय घोष और भोलेनाथ के प्रति उनकी अटूट आस्था देखते ही बनती है ।
शिव पूजन में बेलपत्र जरूरी
भगवान शिव की पूजा जब बेलपत्र से की जाती है, तो भगवान अपने भक्त की कामना बिना कहे पूरी कर देते है। बेलपत्र के संबंध में मान्यता प्रसिद्ध है कि बेल के पेड़ को जो भी भक्तगण पानी या गंगाजल से सींचता है, उसे सभी तीर्थों की प्राप्ति होती है। वह भक्त इस लोक में सुख भोगने के बाद शिवलोक में प्रस्थान करता है।
दूध, दही, गंगाजल चढ़ाएं
सावन महीने में भगवान शिव की पूजा से मनवांछित फल प्राप्त होता है। इस महीने में भगवान भोले शंकर को दूध, दही, घी, मक्खन, गंगाजल, विल्ब पत्र, आक, धतूरा आदि चढ़ाना चाहिए, क्योंकि इस माह में भगवान भोले नाथ की सच्चे मन से आराधना की जाए, तो उसे मनवांछित फल प्राप्त होता है। वहीं सावन महीने में बेल पत्रों व पुष्पों की मांग बढ़ गई है। पूजन-अर्चन करने वाले श्रद्धालुओं ने एक महीने के लिए बुकिंग करा ली है। ऐसे लोगों ने रोजाना एक माह के लिए बेल पत्र, फूल, आंक व धतूरा लेने के लिए दुकान निर्धारित कर ली है।
अभिषेक का है महत्व
सावन में शिव अभिषेक का विशेष महत्व है। पंडितों के अनुसार पार्थिव शिवलिंग के पूजन से शिवजी का आशीर्वाद मिलता है। समुद्र मंथन में निकले विष का पान करने के बाद जलन को शांत करने शिवजी का जलाभिषेक किया गया था। यह विधि अपनाई जाती है। इसके साथ ही आंक व बिल्व पत्र चढ़ाने से अनिष्ट ग्रह की दशा भी शांत होती है। दूध में काले तिल से अभिषेक करने से चंद्र संबंधित कष्ट दूर होते हैं।