नाहन (हिमाचल वार्ता न्यूज) :- अमेरिकन कीट के हमले से परेशान किसानों के लिए फाल आर्मी वर्म ट्रैप की तकनीक फायदेमंद साबित हो सकती है। इस ट्रैप सिस्टम से मक्की के अलावा ज्वार, गन्ना, चावल, गेहूं व रागी फसलों में भी कीट-पतंगों का प्रभाव कम होगा। दरअसल फेरोमोन जाल यानी वर्म ट्रैप में एक विशेष गंध वाला कैप्सूल इस्तेमाल होता है जो मादा पतंगों की गंध छोड़ेगा। इससे नर पतंगे आकर्षित होकर इसमें लगी फनल में ट्रैप होंगे।
इससे पतंगों की संख्या वृद्घि को नियंत्रित कर फसल को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा। कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर (धौलाकुआं) ने इस तकनीक को किसानों तक पहुंचाना शुरू कर दिया है।
कई किसानों को फेरोमोन ट्रैप निशुल्क बांटे गए हैं ताकि किसान खेती के नुकसान को कम कर सकें। इस ट्रैप में लगा कैप्सूल एक माह तक सक्रिय रहता है और इसके इस्तेमाल से कीटनाशकों का प्रयोग भी नहीं करना पड़ेगा।
के वी के सिरमौर (धौलाकुआं) के वैज्ञानिक कीट-पतंगों के प्रकोप को कम करने के लिए लगातार प्रयत्नशील हैं और किसानों को वर्म ट्रैप के बारे में जानकारी दे रहे है। बता दें कि सिरमौर ही नहीं पूरे प्रदेश में मक्की की फसल पर फाल आर्मी वर्म का प्रकोप अधिक बढ़ गया है।
किसान कई तरह के कीटनाशकों का इस्तेमाल कर रहे हैं और यह कीटनाशक महंगे होने के कारण किसानों की पहुंंच से दूर हैं। मक्की में कीट के प्रभाव को कम करने के लिए वैज्ञानिक किसानों को नए तौर तरीके बता रहे हैं।
फॉल आर्मी वर्म को अमेरिकन कीट के नाम से जाना जाता है और यह पिछले दो-तीन साल से प्रदेश में भी सक्रिय है। ये वर्म कई अवस्थाओं से गुजरकर अंत में पतंगे का रूप लेता है। के वी के लगातार किसानों को फसलों के बचाव को लेकर किसानों को जागरूक कर रहा है।
सुंडी व पतंगे मक्के को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके लिए किसानों को फेरोमोन जाल (ट्रैप) को खेतों में लगाने की विधि किसानों को बताई जा रही है। इसे फसल से एक फीट ऊपर स्थापित किया जाना चाहिए। ये मादा पतंगों की गंध छोड़ेगा और नर पतंगों को आकर्षित कर ट्रैप करेगा। एक बीघा भूमि पर दो ट्रैप इस्तेमाल करने से फसल पर पतंगों का प्रभाव कम होगा।