धर्मशाला ( हिमाचल वार्ता न्यूज) प्रदेश में अपनी जमीन पर खैर के पेड़ लगाने वालों को इसके कटान के लिए विभागीय फॉरमैल्टी के चक्कर से नहीं गुजरना होगा। प्रदेश सरकार ने जमींदारों को राहत देते हुए अब अपने हिसाब से इनके कटान तथा बेचने को लेकर राहत प्रदान की है, साथ ही प्रदेश सरकार ने खैर को 10 वर्षीय फॉलिंग प्लान से बाहर कर दिया है। अब जमींदार अपनी सहूलियत अनुसार खैर कटान कर सकेंगे। सरकार की इस घोषणा का प्रदेश के 32 विधानसभा क्षेत्रों के पौने 2 लाख किसानों को लाभ मिलेगा। बुधवार को धर्मशाला में पत्रकार वार्ता के दौरान वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस बारे में घोषणा कर दी है तथा अब जल्द इस मामले को कैबिनेट की बैठक में मुहर लगाई जाएगी।
प्रदेश में अपनी जमीन पर खैर के पेड़ लगाने वालों को इसके कटान के लिए विभागीय फॉरमैल्टी के चक्कर से नहीं गुजरना होगा। प्रदेश सरकार ने जमींदारों को राहत देते हुए अब अपने हिसाब से इनके कटान तथा बेचने को लेकर राहत प्रदान की है, साथ ही प्रदेश सरकार ने खैर को 10 वर्षीय फॉलिंग प्लान से बाहर कर दिया है। अब जमींदार अपनी सहूलियत अनुसार खैर कटान कर सकेंगे। सरकार की इस घोषणा का प्रदेश के 32 विधानसभा क्षेत्रों के पौने 2 लाख किसानों को लाभ मिलेगा। बुधवार को धर्मशाला में पत्रकार वार्ता के दौरान वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस बारे में घोषणा कर दी है तथा अब जल्द इस मामले को कैबिनेट की बैठक में मुहर लगाई जाएगी।
राकेश पठानिया ने ये भी कहा कि निचले हिमाचल में कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर और हमीरपुर में ये बहुतायत मात्रा में पाया जाता है, जबकि चम्बा, मंडी व सोलन में भी कुछ मात्रा में इसकी पैदाइश होती है और पौने 2 लाख जमींदार खैरों पर ही निर्भर करते हैं। अब उन्हें सरकार ने बहुत बड़ी राहत देते हुए इस पेचीदगी से छुटकारा दिला दिया है।