नाहन ( हिमाचलववार्ता न्यूज) : – हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है। प्रदेश भर में सैंकड़ो देवी देवता वास करते है, हिमाचल वासी अपने कुल देवता की पूजा अर्चना अलग – अलग ढंग से करते है । प्राचीन काल से चली आ रही इस प्रकार की परम्परा पूरे भारत में कहीं देखने को नही मिलती।
जिला सिरमौर के समूचे गिरिखण्ड में अलग – अलग जगहों पर पँचमी पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया गया है। यह पर्व गणेश चतुर्थी के उपलक्ष पर मनाया जाता है । भारत भर में गणेश जी की आराधना की जाती है तथा गिरीपार क्षेत्र में प्राचीन समय महासू महाराज पँचमी पर्व पर पूजा आराधना की जाती है।
द्राबिल गांव में पँचमी पर्व पर हर वर्ष विशाल जागरण का आयोजन किया जाता है तथा पँचमी पर्व को बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु द्राबिल गांव में महासू महाराज के दर्शन के लिए पहुचते है। क्षेत्र के लोग अपने दुःख दर्द महासू महाराज के समक्ष रख कर उसका निदान पाते है।
इस वर्ष द्राबिल में पंचमी पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया गया। गबदोउ भाट द्वारा बनाया गया प्राचीन महासू मंदिर की भव्यता बड़ी ही अलौकिक है, जिसको देखने लोग देश विदेश से पहुचते है।
द्राबिल पँचमी पर्व पूरे गिरिखण्ड में अलग व भव्य तरीके से मनाया जाता है। 2 बजे महासू देवता की पालकी मंगल स्नान के लिए मंदिर के गर्भगृह से निकल कर पवित्र देव जलकूप तक ले जाई जाती है। इस दौरान महासू महाराज के काफिले में हजारों की संख्या में लोग शामिल होते है। देव पालकी मंगल स्नान के पश्चात तीन घंटे तक देव प्रांगण में दर्शन के लिए मौजूद रहेगी। मंगल स्नान के बाद महासू महाराज पालकी के दर्शन को सबसे शुभ घड़ी माना जाता है, इसलिए तीन घंटे तक देव दर्शन के लिए लोंगो की भीड़ लगी रहती है।
इस दौरान देवालय में वाद्ययंत्र ढोल, नगाड़े, रणसिंगा व शहनाई से महासू महाराज के पौराणिक राग बजाए जाते है, जिस पर महासू महाराज की नृतकियां (दियाल) मनमोहक नृत्य बड़ा ही आकर्षक होता है। साय: 5 बजे देवपालकी प्राचीन मंदिर में प्रस्थान करेगी’ जिसके बाद 5 बजे से 10 बजे साय तक भंडारे का आयोजन किया जाता है। भंडारे के बाद देवालय में पूरी रात भर जागरण में देव वंदना व लोक गीतों का दौर चला रहता है।
द्राबिल महासू पँचमी जागरण की शाम हाटी कला मंच के सदस्य आत्मा राम शर्मा, लोकगीत कलाकार राजेन्द्र खदराई तथा स्थानीय कलाकार गिरिखण्ड के दिलों की धड़कन वीरेन्द्र शर्मा उर्फ बीरू मामा व उभरते लोकगीत कलाकार प्रकाश शर्मा के नाम रही। रात्रि जागरण के दौरान मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा, उपस्थित कलाकारों ने महासू वंदना के साथ- साथ हिमाचली लोकगीत से रात भर समा बंधे रखा, तथा खूब तालियां बटोरी। कलाकारों ने देवालय में उपस्थित सभी लोगों को थिरकने पर मजबूर कर दिया। पहाड़ी मुजरे के दौरान लोगों ने नाटी डाली कर खूब आनंद लिया।