उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 से इस इलाके का भाग्य परिर्वतन होना शुरू हुआ। बिक्रमबाग देवनी सड़क पर मारकंडा नदी पर आर-पार जाने के लिए पहला पुल 9 करोड़ रुपये की लागत से बना। खैरी नाले का पुल 3 करोड़ रुपये की लागत से लगा, खैरवाला ढाकवाला को पक्की सड़क मिली और काला आम सुकेती होते हुए खजूरना सड़क को नया रूप दे कर उस पर बसें चली। यह है सबसे बड़ी इलाके के विकास की कहानी, अनेक छोटे बड़े पुलों व सड़के बनने से इलाका टापू की श्रेणी से बाहर आने लगा।
उन्होंने कहा कि 4 करोड़ रुपये की लागत से मंडेरवा का पुल बन रहा है और 2.50 करोड़ रुपये की लागत से पथराला का खाला का पुल का निर्माण किया जाएगा। डा. बिन्दल ने कहा कि उनका अगला प्रयास क्षेत्र में पीने का पानी उपलब्ध करवाना था। पीने के पानी के लिए अनेक टयूब वैल टयूबलर लगाए गए हैं। हाल ही में बड़े-बडे 3 परकोलेशन वैल लगाए गए हैं जिनका कार्य पूर्ण होने पर इलाके को बारह माह स्वच्छ एवं पूरा पीने का पानी मिलेगा। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति 3 करोड़ रुपये व्यय किये जा रहे हैं। डा. बिन्दल ने कहा कि हमने किसान के खेत को पानी देने का नवीन प्रयास शुरू किया गया है।
मारकंडा नदी से निकलने वाली कूहल सिंचाई योजना हर साल धवस्त हो जाती है व महीनों महीने लोगों को इसकी रिपेयर का इंतजार करना पड़ता है किन्तु अब 2 करोड़ रुपये की लागत से इसका नवीनीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बेला गांव व आसपास के क्षेत्र सिंचाई से महरूम थे। उन्होंने अपनी विधायक निधि से एक छोटी सिंचाई योजना बनाई। आज बेला क्षेत्र को 2 करोड़ रुपये की लागत की सिंचाई योजना दी जा रही है। उन्होंने कहा कि खैरवाला-ढाकवाला क्षेत्र की सिंचाई योजना का नवीनीकरण करने हेतु लगभग दो करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे, जिसका आज शिलान्यास हुआ है।
डा. बिन्दल ने कहा कि देवनी की सिंचाई योजना पर दो चरणों में 60 लाख रुपये, खदरी की सिचाई योजना पर 40 लाख रुपये, खेड़ा की सिंचाई योजना पर 40 लाख रुपये डांडीपुर-कौंथरों की सिंचाई योजना पर लगभग 30 लाख रुपये वर्तमान सरकार के इन चार वर्षों में खर्च किए गए हैं। डा. बिन्दल ने कहा कि इलाके के लोगों को पटवारी के कामों के लिए मोगीनंद जाना पड़ता था उन्हें कई-कई दिन चक्कर काटने पड़ते थे, आज नया पटवार सर्कल बिक्रमबाग देवनी का खोला गया है जिससे गरीब आदमी को बड़ी राहत मिलेगी।