नाहन ( हिमाचल वार्ता न्यूज)(लक्ष्य शर्मा) :- त्योहारों का सीजन शुरू होते ही सिरमौर का खाद्य सुरक्षा विभाग जागना शुरू हो गया है। मगर बाहरी राज्यों से बनी हुई मिठाईयां, तेल, मावा आदि कितनी और कैसी मात्रा में पहुंचा है इसकी जानकारी विभाग को नहीं है। सूत्रों की माने तो सिरमौर के रास्ते प्रदेश में मावे की बड़ी खेप एंटर हुई है। अब यह मावा असली है या नकली इसकी भी जानकारी विभाग के पास नहीं है। विभाग अपने चार चुनिंदा कर्मचारियों के साथ शहर में इजी अप्रोच वाली जगह पर दही, चीनी, नमक आदि के सैंपल लेकर केवल अपने टारगेट पूरे करने में लगे हुए हैं।
जानकारी तो यह है कि इस खेप में से एक गुज्जर के द्वारा भी काफी मात्रा में मावा खरीदा गया है। जानकारी तो यह भी है कि दुकानदार इसे भैंसों का असली मावा मानकर हाथों हाथ ले लेते हैं। बता दें कि 2005 के आसपास भी मेरठ से एक बड़ी नकली मावे की खेप ऊंटों के माध्यम से सिरमौर में पहुंची थी। उस दौरान मेरठ की एक मंडी से मावा ट्रेन के माध्यम से बराड़ा हरियाणा के रेलवे स्टेशन पर उतरा करता था। वहीं से नकली मावे को हरियाणा, पंजाब और हिमाचल तक पहुंचाया जाता था। हालांकि, नाहन शहर में अधिकतर हलवाई दूध लेकर अपना मावा तैयार करते हैं।
मगर ग्रामीण क्षेत्रों में किस तरह का मावा जा रहा है इस पर बड़े सवालिया निशान लग रहे हैं। ग्रामीणों का अधिकतर दूध मिल्कफेड के द्वारा खरीदा जाता है तो वही लोकल सप्लाई हरियाणा से होती है। जाहिर सी बात है मावा सिरमौर से होकर प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर गया होगा। अब यह मावा असली है या नकली यह जांच का विषय है। त्योहारों का सीजन है जिसके चलते रेडीमेड मिठाई भी काफी मात्रा में आने की उम्मीद है। हैरानी तो यह भी है कि शहर में बीते कुछ समय पहले नकली टाटा का नमक भारी मात्रा में बेचा जा रहा था।
जिसके बारे में खाद्य सुरक्षा विभाग को जरा भी भनक नहीं थी। मगर टाटा कंपनी के जांच अधिकारियों ने स्थानीय प्रशासन की मदद से नकली नमक शहर से बरामद किया था। इससे विभाग की कार्यप्रणाली कैसी है भली प्रकार समझा जा सकता है। सिरमौर जिला और नाहन शहर सहित कई ऐसे बड़े दुकानदार हैं जिनकी दुकानों में भारी मात्रा में एक्सपायरी डेट का सामान भी पड़ा हुआ है। जिला में बड़ी तेजी से फास्ट फूड सहित बेकरी प्रोडक्ट की बढ़ोतरी हुई है।
जानकारी तो यह भी है कि जो बेकर्स के द्वारा केक बनाए जा रहे हैं उसमें लगाए जाने वाली विवड क्रीम और उसमें दिए जाने वाले अलग-अलग फ्लेवर किस गुणवत्ता के हैं उस पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। हैरानी तो इस बात की है जिन कार्यशाला में केक आदि का निर्माण किया जाता है वहां पर किसी भी तरह की हाइजीन नहीं बरती जाती है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है, विभाग की लापरवाही के चलते जनता को जहर परोसा जा रहा है। विभाग केवल अपने टारगेट पूरे करने को लेकर ही जागृत है इसके अलावा नकली कारोबार करने वालों को किस प्रकार दंडित किया गया है इसकी आम जनता को कोई जानकारी नहीं है।
वही सहायक आयुक्त अतुल कायस्थ का कहना है कि उनका यहां से ट्रांसफर सोलन हो गया है मगर अतिरिक्त कार्यभार वह सिरमौर का भी देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि विभाग पूरी तरह से सक्रिय है। उन्होंने कहा कि जो टारगेट उन्हें मिले हैं उन्हें पूरा किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि विभाग के द्वारा क्या कार्यवाही की गई है इसकी जानकारी मीडिया को नहीं बल्कि आला अधिकारियों को दी जाती है। बाहर से मावा आया है इसको लेकर उन्होंने कहा हमें इसकी जानकारी नहीं है।