Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Breakng
    • राष्ट्र रक्षा के लिए कालिस्थान‌ मंदिर में डा बिंदल‌‌ द्वारा यज्ञ का आयोजन
    • आतंक के खिलाफ लंबी लड़ाई, एकता ही बड़ा हथियार: मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अतुल कौशिक
    • आदर्श अस्पताल संगड़ाह पर करोड़ों खर्च के बाद भी डॉक्टर और सुविधाओं का टोटा
    • केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि खाद्यान्न संकट जैसी कोई स्थिति नहीं : उपायुक्त
    • मातृ दिवस पर करियर अकादमी स्कूल में आयोजित हुए कार्यक्रम
    • चरस तस्कर को दस साल का कठोर कारावास व एक लाख रुपए जुर्माना की सजा
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Himachal Varta
    • होम पेज
    • हिमाचल प्रदेश
      • शिमला
      • सिरमौर
      • ऊना
      • चंबा
      • लाहौल स्पीति
      • बिलासपुर
      • मंडी
      • सोलन
      • कुल्लू
      • हमीरपुर
      • किन्नोर
      • कांगड़ा
    • खेल
    • स्वास्थ्य
    • चण्डीगढ़
    • क्राइम
    • दुर्घटनाएं
    • पंजाब
    • आस्था
    • देश
    • हरियाणा
    • राजनैतिक
    Saturday, May 10
    Himachal Varta
    Home»आस्था»शिरगुल की जन्मस्थली शाया में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
    आस्था

    शिरगुल की जन्मस्थली शाया में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

    By Himachal VartaOctober 27, 2022
    Facebook WhatsApp

    नाहन (हिमाचल वार्ता न्यूज) ( रेणु ब्यास) :-  दीपावली के पावन पर्व पर शिरगुल देवता की जन्म स्थली  शाया में हजारों  श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य देव के दर्शन करके आर्शिवाद प्राप्त किया । गौर रहे है कि  दीपावली और पड़वा के पावन पर्व पर कालांतर से  शिरगुल देवता का आर्शिवाद व दर्शन करने की परंपरा   है जिसमें सिरमौर के अतिरिक्त शिमला व सोलन के हजारों की संख्या में श्रद्धालु आकर शिरगुल देवता का आर्शिवाद प्राप्त करते हैं जबकि इस मेले में देव दर्शन के अतिरिक्त श्रद्धालुओं कें मंनोरंजन की कोई गतिविधियां नहीं होती है । बता दें कि सूर्य ग्रहण के चलते इस बार पडे़ई अथवा गोवर्धन पूजा के दिन मंदिर बंद रहा जबकि दीपावली व भैयादूज को मंदिर में असंख्य श्रद्वालुओं देव दर्शन करके पुण्य कमाया । इस मौके पर मंदिर समिति द्वारा शिरगुल देव की चिंतन स्थली में भंडारे का भी आयोजन किया गया ।
    गौरतलब है कि भगवान शिव के अंशावतार शिरगुल का प्रादुर्भाव लगभग एक हजार पूर्व शाया की पावन धरा पर इस क्षेत्र के शासक राजा भूखड़ू के घर में हुआ था । बचपन में माता-पिता के निधन के उपरंात शिरगुल और उनके भाई चंद्रेश्वर अपने मामा के घर मनौण में रहने लगे । एक दिन शिरगुल देव और चंदे्रश्वर फागू में एक खेत मे पशु चरा रहे थे और साथ ही कुछ हलधर खेत में लगा रहे थे । शिरगुल की मामी हलधर के लिए भोजन लेकर आई और साथ में शिरगुल और चंदेश्वर के लिए सतू के पिंड बनाकर लाई जिसमें मक्खी एवं अन्य कीट मिलाए हुए थे उन्होने सतू के पिंड खाने से मना कर दिया।  और मामी की प्रताड़ना ने तंग आकर शिरगुल ने फागू खेत में पैर मारकर पानी की धार निकाली और जल ग्रहण करके स्वयं चूड़धार के लिए रवाना हुए थे। फागू के खेत में शिरगुल द्वारा अपने तप से निकाली पानी की धार  आज भी विद्यमान है और इस जल को गंगा के समान पवित्र माना जाना है ।
    चूड़धार में कठिन तपस्या करने के उपरंात शिरगुल देव सूत के व्यापारी बनकर दिल्ली गए जहां पर उनका युद्ध मुगल शासकों के साथ हुआ । मुगल सेना के सिपाहियों द्वारा शिरगुल की दैविक शक्ति को क्षीण करने के उददेश्य से उन पर कच्चे चमड़े की बेड़ियां लगाई और शिरगुल को कैद कर दिया गया । कारागार में शिरगुल को कैद से मुक्त करवाने में  भंगायणी नामक महिला, जोकि इस कारागार में सफाई का कार्य करती थी ,ने बहुत सहायता की । भंगायणी माता ने राजस्थान के राणा गोगा जाहर वीर को संदेश पहूंचाया और गोगा ने शिरगुल को कैंद से मुक्त करवाया । शिरगुल ने भंगायणी को अपनी धर्म बहन बनाकर वापिस साथ लाए और उसे हरिपुरधार में बसा दिया जहां पर वर्तमान मंे भंगायणी माता का भव्य मंदिर है । शिरगुल देव स्ययं चूड़धार पहूंचे और उन्होने घोर तपस्या करने के उपरांत वही बैंकुण्ठ को चले गए ।  चूड़धार में शिरगुल द्वारा स्थापित शिवलिंग वर्तमान में श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है जहां पर हर वर्ष लाखों की तादाद में श्रद्धालु कठिन चढ़ाई चढ़कर चूड़धार पर्वत पर पहूंचकर शिरगुल मंदिर में दर्शन करते हैं ।
    शिरगुल मंदिर शाया के एक महान भक्त एक साहित्यकार  शेरजंग चैहान ने बताया कि सिरमौर, शिमला और सोलन जिला के नौ क्षेत्रों के लोगों के शिरगुल देवता इष्ट है जिन्हे नोतबीन कहा जाता है । इन क्षेत्रों के लोग वर्ष में पड़ने वाले चार बड़े साजे के अवसर पर शिरगुल देवता के दर्शन को आते है और यदि कोई परिवार चार साजे में किसी कारण से न आ सके तो दिवाली के अगले दिन पड़वा को अवश्य आते है । बताते है पड़वा को देव दर्शन करने से चार साजे का फल मिलता है ।

    Follow on Google News Follow on Facebook
    Share. Facebook Twitter Email WhatsApp


    Demo

    Recent
    • राष्ट्र रक्षा के लिए कालिस्थान‌ मंदिर में डा बिंदल‌‌ द्वारा यज्ञ का आयोजन
    • आतंक के खिलाफ लंबी लड़ाई, एकता ही बड़ा हथियार: मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अतुल कौशिक
    • आदर्श अस्पताल संगड़ाह पर करोड़ों खर्च के बाद भी डॉक्टर और सुविधाओं का टोटा
    • केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि खाद्यान्न संकट जैसी कोई स्थिति नहीं : उपायुक्त
    • मातृ दिवस पर करियर अकादमी स्कूल में आयोजित हुए कार्यक्रम
    Recent Comments
    • Sandeep Sharma on केन्द्र ने हिमालयी राज्यों को पुनः 90ः10 अनुपात में धन उपलब्ध करवाने की मांग को स्वीकार किया
    • Sajan Aggarwal on ददाहू मैं बिजली आपूर्ति में घोर अन्याय
    © 2025 Himachal Varta. Developed by DasKreative.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.