बीशू पर बुरांस के फूलों की माला घर के बाहर लगाना शुभ मानते हैं लोग राजगढ़( हिमाचल वार्ता न्यूज)(लक्ष्य शर्मा) :- राजगढ़ जनपद में तीन दिवसीय बैशाखी अर्थात बीशू पर्व बुधवार को पारंपरिक सिडडू व्यंजन के साथ आरंभ हो गया । बता दें कि गिरिपार क्षेत्र में बीशू अर्थात बैशाखी पर्व को वर्ष का पहला त्यौहार माना जाता है । इस पर्व कालांतर से आटे के बकरे बनाने की अनूठी परंपरा बदलते परिवेश में भी कायम है ।जाने माने वरिष्ठ साहित्यकार एंव लेखक शेरजंग चैहान, वरिष्ठ नागरिक सूरत सिंह चैहान ने बताया कि राजगढ़ जनपद में बीशू का त्यौहार संक्रांति से दो दिन पूर्व आरंभ हो जाता है । जिसमें पहले दिन लोगों द्वारा सिडडू बनाए जाते हैं । इसी प्रकार दूसरे दिन विशेष व्यंजन के रूप में आटे के बकरे बनाए जाते हैं जिसे लोग बड़े चाव से घी के साथ खाते हैं । इस दिन रात्रि को गिरिपार का विशेष व्यंजन अस्कलियां बनाई जाती है । सक्रांति के दिन प्रातः सबसे पहले लोग अपने गांव के कुल देवता के दरबार में बुरांस की माला लगाते हैं तदोंपरात बुरांस की लड़ियां अपने घरों में लगाने की परंपरा आज भी कायम है । बैशाख संक्राति को देवालय और घर पर बुरांस का फूल लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है जोकि खुशहाली और सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है । लोग बुरांस के फूलों को इस त्यौहार के लिए जंगलों से ढूंढ कर लाते हैं ।गौर रहे कि बैशाख की सक्रांति को स्थानीय भाषा में बड़ा साजा कहते हैं इस दिन गांव के मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है । लोग अपने कुलदेवता को चावल की भेंट अर्पित करते हैं। इस दिन लोग अपने घरों पटांडे और खीर बनाते हैं । इस पर्व पर लोग अपनी बहन व बेटियों को भी विशेष रूप से आमंत्रित करते हैं । शेरजंग चैहान ने बताया कि बीशू पर्व पर आटे के बकरे बनाना भी बहुत शुभ माना जाता है । बताया कि सिडडू बनाने का प्रचलन भी कालांतर से हैं । इसी प्रकार चावल के आटे से अस्कलियां विशेष पत्थर के खांचे में बनाई जाती है जोकि खाने में बहुत की स्वादिष्ट होती है । गिरिपार क्षेत्र में बीशू की साजी के अवसर पर कई स्थानों पर मेलों का भी आयोजन होता है । राजगढ़ में बैशाख की संक्राति पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है ।उन्होने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में वर्ष में पड़ने वाली चार बड़ी साजी का विशेष महत्व है । जिनमें बैशाख संक्राति, श्रावण मास की हरियाली संक्राति, दीपावली और मकर संक्राति शामिल है । इस दिन लोग अपने कुलदेवता के मंदिर में जाकर विशेष रूप से हाजरी भरते हैं । बैशाखी के पर्व पर राजगढ़ के समीप शाया स्थित शिरगुल देवता के मंदिर में हजारों लोगों ने अपनी हाजरी लगाते हैं । मेले व त्यौहार किसी भी क्षेत्र की संस्कृति के संवाहक है जो लोगों को अपने अतीत से जोड़ते हैं ।
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Saturday, May 24