नाहन हिमाचल वार्ता न्यूज़ (एसपी जैरथ) :- डूमेश्वर देवता और काली के प्राचीन मंदिर के पुनर्निर्माण करने के उपरांत राजगढ़ ब्लाॅक के राणाघाट में तीन दिवसीय देवयज्ञ आरंभ हो गया । मंदिर समिति के सदस्य जीवन सिंह तोमर ने बताया कि नवनिर्मित मंदिरों की प्रतिष्ठा का कार्य शनिवार को आरंभ हुआ जबकि क्षेत्र के लोग अपने आराध्य देव डूमेश्वर देवता और काली माता को स्नान के लिए कांगड़ा जिला के नगरकोट यात्रा पर ले गए थे जहां पर देवताओं का परंपरा के अनुसार स्नान करवाया गया । उन्होने बताया कि मंदिर की प्रतिष्ठा पूर्ण होने पर डूमेश्वर देवता और काली माता अपने मंदिर में 22 मई को विराजमान हो जाएगंे। जीवन सिंह तोमर ने बताया कि यज्ञ में राणाघाट के अलावा धाईला देवठी, बेरटी, डगरानी , शरगांव के लोगों ने अपने पीठासीन देवता की प्रतिष्ठा में अपनी हाजरी भर रहे हैं । देवता की नगरकोट यात्रा में डूमेश्वर देवता के गुर अथवा देवा ओम सिंह, काली माता के देवा बलदेव सिंह , भंडारी भीम सिंह, सैणा रामगोपाल, देव जुन्गा देवठी के देवा हरिनंद शर्मा सहित समस्त ग्रामवासी इस यात्रा में शरीक हुए । उन्होने बताया कि 22 मई को डूमेश्वर देवता और काली माता के मंदिर में विराजमान होने के उपरांत भंडारे का आयोजन किया गया है जिसमें हजारों लोग बढ़ चढ़ कर भाग लेगें।
उन्होने बताया कि कालांतर में डूमेश्वर देवता गुठान अपने भ्रमण के दौरान राणाघाट आए थे जिस डूमेश्वर देवता ने राणाघाट में अपने स्थान बना दिया था जिसका अतीत में स्थानीय लोगों द्वारा मंदिर बनाया गया था । जिसका काफी वर्षों उपरांत पुनरूद्धार किया गया है । संयोग की बात है कि डूमेश्वर देवता के 22 रियासतों और 18 ठकुराईयों का भ्रमण करने के उपरांत अपने मूल मंदिर गुठान कोटखाई में इन दिनों तीन दिवसीय का महा देवयज्ञ चल रहा है। इन्ही डूमेश्वर देवता का राणाघाट में भी स्थान है जिसे लोग अपना कुलदेवता मानते हैं ।
उन्होने बताया कि कालांतर में डूमेश्वर देवता गुठान अपने भ्रमण के दौरान राणाघाट आए थे जिस डूमेश्वर देवता ने राणाघाट में अपने स्थान बना दिया था जिसका अतीत में स्थानीय लोगों द्वारा मंदिर बनाया गया था । जिसका काफी वर्षों उपरांत पुनरूद्धार किया गया है । संयोग की बात है कि डूमेश्वर देवता के 22 रियासतों और 18 ठकुराईयों का भ्रमण करने के उपरांत अपने मूल मंदिर गुठान कोटखाई में इन दिनों तीन दिवसीय का महा देवयज्ञ चल रहा है। इन्ही डूमेश्वर देवता का राणाघाट में भी स्थान है जिसे लोग अपना कुलदेवता मानते हैं ।