कुल्लू (हिमाचल वार्ता न्यूज़ ) बेसहारा पशुओं को आश्रय दिलाने के लिए सरकार और प्रशासन बड़े-बड़े वादे तो कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर यह दावे और वादे उतर नहीं रहे हैं। सरकार और प्रशासन की योजनाएं कागजों तक ही फिलहाल सीमित लग रहे हैं। जिला कुल्लू की सडक़ों पर सैंकड़ों की संख्या में बेहसारा पशु घूम रहे हैं। धार्मिक एवं पर्यटन नगरी मणिकर्ण की बात करें तो भुंतर से लेकर मणिकर्ण तक सैंकड़ों पशु सडक़ों पर है। वहीं, मणिकर्ण में पुल पर बेसहारा पशुओं ने डेरा जमा दिया है। यहां पर यह पशु आने-जाने वाले लोगों को परेशान कर रहे हैं। बता दें कि इसी पुल से होकर राममंदिर और गुरुद्वारा के लिए हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु जा रहे हैं। वहीं, स्कूल, पंचायत को भी इसी पुल से जाते हैं, लेकिन पुल पर बेसहारा पशुओं से कई बार स्कूली बच्चों और श्रद्धालुओं और आम लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। पुल पर आठ से दस बेहसहारा पशु सुबह यहां पर होते हैं। कई बार भी श्रद्धालुओं भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इन पशुओं को कहां आश्रय दिया जाए, पंचायत ने भी अभी तक कोई रुचि नहीं दिखाई है। हैरानी की बात तो यह है कि अभी तक मणिकर्ण घाटी में बेसहारा घूम रहे पशुओं को गोसदन की सुविधा का प्रावधान करवाने में प्रशासन, सरकार ने भी कोई उचित कदम नहीं उठाए हैं। यह बेहसहारा पशु आम राहगीरों, किसान-बागबानों और वाहन चालकों को परेशानी में डाल रहे हैं। कई बार सडक़ों पर घूम रहे बेसहारा पशु वाहनों की चपेट में भी रात के समय आ रहे हैं। कई पशुओं की वाहनों की चपेट में आने से मौत हो गई है। लेकिन पशुओं के दर्द को भी कोई नहीं समझ पा रहा है।
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Sunday, July 6