कुल्लू ( हिमाचल वार्ता न्यूज़ ) उत्तर भारत को रोशन करने वाले जिला कुल्लू के बिजली प्रोजेक्टों के निर्माण से पहाड़ नाजुक होने लगे हैं। इससे पहाड़ कमजोर होकर दरकने लगे हैं। जिला कुल्लू में करीब 20 बिजली प्रोजेक्ट हैं। इसमें अधिकतर का निर्माण पूरा हो गया है। कुछ का निर्माण चल रहा है। जिले में बाह्य सराज आनी-निरमंड से लेकर मनाली तक हर नदी-नालों पर प्रोजेक्ट बने हैं। इसमें 10 के करीब बड़े प्रोजेक्ट हैं, जिसकी उत्पादन क्षमता 100 मेगावाट से अधिक है। इतने ही माइक्रो प्रोजेक्ट हैं। उसमें एक से पांच मेगावाट तक बिजली पैदा हो रही है। इन प्रोजेक्टों में दस से 12 सुरंगों को निर्माण किया गया है। हजारों के हिसाब से हर भरे पेड़ों को काटा गया है। इसकी एवज में कुछ ही पेड़ों को लगाया जाता हैब्यास में बाढ़ से हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड का लारजी में 126 मेगावाट का प्रोजेक्ट पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। इसमें बिजली उत्पादन पूरी तरह से ठप है। 10 जुलाई को ब्यास, पार्वती, तीर्थन तथा सैंज नदी में आई बाढ़ से प्रोजेक्ट पूरी तरह तहस-नहस हो गया है। पावर हाउस में बाढ़ का पानी और मलबा घुसा है। प्रोजेक्ट को 658 करोड़ का नुकसान आंका गया है।बिजली प्रोजेक्टों का अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण के साथ फोरलेन, हाईवे और ग्रामीण सड़कों से निकलने वाले मलबे को डंपिंग साइटों के बजाय नदी-नालों में फेंका जाता है। 9 और 10 जुलाई को हुई तबाही इसका एक कारण है।
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Saturday, May 10