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    Home»हिमाचल प्रदेश»कुल्लू»सरकार ने निजी व सरकारी कम्पनियों को नोटिस जारी किया जिन्होंने बिना सूचना के नदियों में पानी छोड़ा
    कुल्लू

    सरकार ने निजी व सरकारी कम्पनियों को नोटिस जारी किया जिन्होंने बिना सूचना के नदियों में पानी छोड़ा

    By Himachal VartaSeptember 14, 2023
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    कुल्लू ( हिमाचलवार्ता न्यूज़ )   हिमाचल सरकार बिजली परियोजनाओं का संचालन कर रही कंपनियों से नुकसान की भरपाई पर विचार कर रही है। ऐसी सभी निजी और सरकारी कंपनियों को सरकार ने नोटिस जारी कर दिए हैं, जिन्होंने बिना पूर्व सूचना के नदियों में पानी छोड़ा है।कुल्लू जिला में जल विद्युत परियोजनाओं में डैम सेफ्टी एक्ट की अवहेलना न हुई होती तो शायद नदियों में बाढ़ से इतनी तबाही नहीं होती। बिजली परियोजनाओं के बांधों से पानी छोड़ने की वजह से डाउन स्ट्रीम में भारी नुकसान हो रहा है। सरकार ने 2014 में प्रदेश की सभी जल विद्युत कंपनियों को प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली लगाने के निर्देश दिए गए थे। जिला की पांच में से एक भी बिजली परियोजना ने नौ साल में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को स्थापित नहीं किया। 10 जुलाई को बाढ़ ने कुल्लू घाटी में 200 से अधिक परिवारों को बेघर कर दिया और सैकड़ों बीघा भूमि तबाह हो गई है। इसके अलावा करोड़ों की सरकारी व निजी संपदा को भी क्षति पहुंची है। कुल्लू में 192 मेगावाट की एलाइन दुहांगन, 86 मेगावाट की क्षमता वाली मलाणा-एक, 100 मेगावाट की मलाणा-दो, 100 मेगावाट की सैंज जल विद्युत परियोजना और सिउंड में एनएचपीसी के 520 मेगावाट प्रोजेक्ट के बांध बने हैं। पांचों ही बांधों में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम नहीं लगे हैं।  10 जुलाई की सुबह पिन पार्वती नदी में आई बाढ़ से पूर्व लोगों को इतना अधिक पानी छोड़े जाने का आभास नहीं था। पानी के साथ आए भारी मलबे ने रिहायशी इलाकों में नदी की दिशा बदली और लोगों की संपत्ति नष्ट कर दी। जानकारी के अनुसार हिमाचल सरकार बिजली परियोजनाओं का संचालन कर रही कंपनियों से नुकसान की भरपाई पर विचार कर रही है। ऐसी सभी निजी और सरकारी कंपनियों को सरकार ने नोटिस जारी कर दिए हैं, जिन्होंने बिना पूर्व सूचना के नदियों में पानी छोड़ा है। इसमें कुल्लू जिला में स्थापित हुई पांचों परियोजनाएं भी शामिल हैं। इस बरसात में मलाणा-2 के बांध के गेट जाम हो गए थे। कुल्लू और मंडी जिले की सीमा पर बने लारजी में अर्ली वार्निंग सिस्टम अधूरा है। सैंज निवासी मदन शर्मा, अंशुल भट्टी, गोविंद ठाकुर और भाग दासी ने बताया कि परियोजना प्रबंधन अधिक बिजली का उत्पादन कर अधिक मुनाफा कमाने की नीति का अनुसरण करते हैं। यहां रुटीन में पानी नहीं छोड़ा जाता। जब बांध पूरी तरह भर जाता है, तब जाकर पानी छोड़ते हैं जो तबाही का कारण बनता है। बांध सुरक्षा एक्ट की अवहेलना गंभीर मामला
    हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने बताया कि सीएम के निर्देश पर हिमाचल में बांधों के कारण आई बाढ़ में हुई क्षति की भरपाई बांध अथॉरिटी से करवाई जाएगी। बिजली परियोजनाओं के बांधों पर सुरक्षा उपकरण न लगाने पर 21 बिजली परियोजनाओं को लीगल नोटिस दिए गए हैं।

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