शिमला ( हिमाचलवार्ता न्यूज़ ) हिमाचल में पंचायतीराज विभाग में विलय की मांग को लेकर 30 सितंबर से हड़ताल कर रहे जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों पर प्रदेश सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है। वीरवार को सरकार ने हड़ताल पर चल रहे 167 कनिष्ठ अभियंताओं (जेई) की एक साथ सेवाएं समाप्त कर दीं। सरकार का तर्क है कि कनिष्ठ अभियंताओं के हड़ताल पर होने से पंचायतों में मनरेगा का भुगतान नहीं हो पा रहा और आपदा राहत एवं पुनर्वास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। पंचायती राज विभाग के निदेशक ऋग्वेद ठाकुर ने कार्रवाई को लेकर जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और सभी जिलों के अतिरिक्त जिला उपायुक्तों को पत्र जारी कर दिए हैं। पंचायतों में काम प्रभावित न हो इसके लिए अब सरकार ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा या डिग्री प्राप्त 164 तकनीकी लोगों को आउटसोर्स पर एक साल के लिए सेवाओं पर रखने का निर्णय लिया है।जिप कैडर कर्मियों की हड़ताल से 3,615 पंचायतों में विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। सरकार ने हड़ताली कर्मियों को नोटिस जारी किए थे, इसके बाद पंचायतीराज विभाग ने जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से 18 अक्तूबर तक हड़ताली कर्मियों का विवरण मांगा था और वीरवार से उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई।बता दें कि पंचायतीराज विभाग में विलय की मांग को लेकर प्रदेश के 88 विकास खंडों में सेवाएं दे रहे करीब 4,700 कर्मी हड़ताल पर हैं। अपनी मांग मनवाने के लिए कर्मचारी हर स्तर पर सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। विकास खंड स्तर पर हड़ताल कर रहे जिला परिषद कैडर के कर्मियों को अब पंचायत के प्रतिनिधि भी समर्थन दे रहे हैं।प्रदेश आपदा से जूझ रहा, हड़ताल का सही समय नहीं : मुख्यमंत्रीबिलासपुर जिले के दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने जिला परिषद कैडर के कर्मचारियों के विरोध पर कहा कि यह हड़ताल का सही समय नहीं है। कर्मचारियों को समझना चाहिए कि प्रदेश आपदा से जूझ रहा है। सरकार गंभीर है और समय आने पर उनकी मांगों को पूरा कर लिया जाएगा। इस तरह से दबाव डाल कर समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। अब हड़ताल छोड़कर कर्मचारियों को काम पर लौटना चाहिए।
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Saturday, July 5