कुल्लू ( हिमाचल वार्ता)अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव कुल्लू जिला के ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक आस्थाओं का अनूठा संगम है, जो इसे देश में मनाए जाने वाले अन्य उत्सवों से पूर्णतया अलग करता है। वर्ष 1660 ईस्वी से आरंभ हुआ यह उत्सव कुल्लू जिला सहित प्रदेश की समृद्ध संस्कृति व परंपराओं के संरक्षण व संवर्धन में अहम भूमिका निभा रहा है। श्री पठानिया ने कहा कि इस बार हिमाचल में प्राकृतिक आपदा से सभी जिलों, विशेषकर कुल्लू और मनाली, में बहुत नुकसान हुआ है।ऐसे लगता था कि हम इस प्राकृतिक आपदा से कैसे उभरेंगे, परंतु मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुख्खू की दृढ़ इच्छाशक्ति से हम इससे उभरने में सफल हुए हंै। प्रदेश सरकार ने आपदा की इस घड़ी में प्रभावित लोगों को हर संभव राहत प्रदान करने का पूर्ण प्रयास किया है। हम सभी के लिए यह एक अच्छी बात है कि आपदा के बावजूद हम सब अपनी संस्कृति से पूर्णतया जुड़े हुए हैं। इसे सहेजने के लिए लगातार प्रयास करते रहते हैं। हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि प्रदेश के हमारे प्रथम मुख्यमंत्री डाक्टर वाईएस परमार के बाद आज तक जो भी मुख्यमंत्री हुए हैं, उन सभी ने अपने-अपने समय में प्रदेश के विकास के लिए पूरे प्रयास करने की कोशिश की है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हिमाचल के आधारभूत ढांचे को तैयार करने में अभूतपूर्व प्रयास किया गया था,जो कि यहां की देव संस्कृति के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण कदम था। इस अवसर पर सांसद प्रतिभा सिंह ने भी जनसभा को संबोधित किया और कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह में देव संस्कृति के प्रति अटूट आस्था थी। उन्होंने कुल्लू को देव सदन की सौगात दी थी, जिसे देव समाज कभी भी भूल नहीं सकता है। उनके कार्यकाल में ही नजराना राशि शुरू हुई और लगातर उन्होंने नजराने के साथ-साथ बजंतरियों के लिए भी मानदेय शुरू किया था।
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Friday, December 1